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आज का दिनः कैसे दिलचस्प हुआ श्रीलंका का राष्ट्रपति चुनाव?

श्रीलंका के सांसद आज नए राष्ट्रपति का चुनाव करेंगे. वहीं, जम्मू कश्मीर में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव कराए जा सकते हैं. एमएसपी को लेकर केंद्र सरकार ने जो कमेटी बनाई है, उस पर संयुक्त किसान मोर्चा को क्यों ऐतराज है.

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श्रीलंका में नए राष्ट्रपति का चुनाव आज
श्रीलंका में नए राष्ट्रपति का चुनाव आज

श्रीलंका के लिए आज बड़ा अहम दिन है. राजनीतिक और आर्थिक तौर पर तंगी का शिकार ये देश आज नए राष्ट्रपति का चुनाव करेगा. चुनाव नहीं हो रहे हैं, गोटाबाया राजपक्षे के इस्तीफे के बाद जो जगह खाली हुई है, उसको भरने के लिए पहले ही के संसद सदस्यों के जरिये नया राष्ट्रपति चुनने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी. इधर भारत में कल श्रीलंका के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक हुई. बैठक में क्या हुआ और क्या कोई मतभेद भी पॉलिटिकल पार्टीज में दिखा?

वहीं श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो में अब दिन चढ़ने के साथ चुनाव की तैयारी चल रही है. आज क्या राजनीतिक घटनाक्रम रहने वाले हैं कोलंबो में, खासकर नए राष्ट्रपति पद के लिए और ये जो कहा जा रहा है कि रानिल विक्रमसिंघे का नाम लगभग क्लियर है, क्या वाकई उनके लिए राह इतनी आसान होगी या अब सूरत बदल गई है?

क्या साल के आखिर में हो पाएंगे जम्मू-कश्मीर में चुनाव?  

साल 2019, 5 अगस्त. मोदी 2.0 की सरकार बन गई थी. जम्मू-कश्मीर को स्पेशल स्टेटस देने वाला आर्टिकल 370 निष्प्रभावी कर दिया गया. साथ ही जम्मू-कश्मीर को राज्य न रख कर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो अलग-अलग यूनियन टेरेटरी में बांट दिया गया. कहा गया कि जब जे&के में सिचुएशन थोड़ी नॉर्मल होगी, वहां विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे. लेकिन उससे पहले नए सिरे से परिसीमन कराया गया ताकि विधानसभा क्षेत्रों को नए सिरे से डिमार्केट किया जा सके.

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पहले जम्मू-कश्मीर में विधानसभा की 83 सीटें होती थीं जो परिसीमन के बाद अब 90 हो गई है. इसमें जम्मू में 43 और कश्मीर में 47 विधानसभा क्षेत्र बनाए गए हैं. अब चुनाव की तैयारियां भी प्रदेश में जोरों पर हैं. वोटर लिस्ट भी लगभग फाइनल स्टेज में है और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में ये कहा जा रहा है कि गुजरात और हिमाचल प्रदेश के साथ ही इस साल के आखिर में जम्मू-कश्मीर में भी चुनाव कराए जाने के आसार हैं. तो क्या वाकई जम्मू-कश्मीर में चुनाव का माहौल बन रहा है और क्या साल के आखिर के महीनों में वहां चुनाव हो पाएंगे?

MSP पर बनी कमेटी से संयुक्त किसान मोर्चा को क्या है ऐतराज?

भारत सरकार ने जिन तीन कृषि कानूनों को ऐतहासिक बताया था, विपक्ष और कई किसान संगठन उसको काला कानून बता विरोध में आ गए. सरकार को हाथ पीछे करने पड़े. सरकार ने हाथ पीछे इस आश्वासन के साथ किए कि एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य जो कई फसलों पर दिया जाता है, उस पर कानून बनाने के मसले पर किसान संगठनों के और सरकार के प्रतिनिधि मिल-बैठकर कुछ तय करेंगे. ठीक-ठाक इंतजार के बाद कमेटी सोमवार को बना दी गई. कमेटी का चेयरमेन एक्स एग्रीकल्चर सेक्रेटरी संजय अग्रवाल को बनाया गया है.

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इसके अलावा एग्रीकल्चरल इकोनॉमिस्ट सुखपाल सिंह, CSC शेखर और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को कमेटी में शामिल किया गया है. साथ ही, कुछ किसान संगठनों को भी जगह दी गई है. लेकिन जो मेन स्टेकहोल्डर आंदोलन का रहा है संयुक्त किसान मोर्चा, उसने कल केंद्र सरकार की कमेटी को खारिज कर दिया. तो संयुक्त किसान मोर्चा की आपत्तियां क्या हैं, क्यों वो इस कमेटी में शामिल नहीं हो रहा? संयुक्त किसान मोर्चा और योगेंद्र यादव का आरोप है कि मांग MSP पर गारंटी देने वाले कानून की थी लेकिन ये कमेटी इस बिंदु पर कुछ नहीं कहती, क्या वाकई ऐसा है?

क्यों गर्मी में झुलस रहा यूरोप?

यूरोप वासी जिनको इंडिया वाले अक्सर ओवरकोट में ही इमेजिन करते हैं, भयानक गर्मी से झुलस रहे हैं. खासकर, पश्चिम यूरोप का इलाका रिकॉर्ड तापमान दर्ज कर रहा. सोमवार को स्पेन में 43 डिग्री, फ्रांस में 42, नीदरलैंड में 33.6 तक तापमान रहा. ब्रिटेन में तो कल टेम्परेचर 40 डिग्री को पार कर गया जो कि ऐतिहासिक था. फिलहाल यूरोप में इस गर्मी को लेकर पब्लिक सेंटिमेंट कैसे हैं? यूरोप को झुलसा रही ऐतिहासिक गर्मी की वजह क्या है, क्या ये महज क्लाइमेट चेंज है या फिर फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन और ग्रीस के जंगलों में जो आग लगी है, उस वजह से हो ये रहा है या और भी कुछ कारण हैं?

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इन खबरों पर विस्तार से चर्चा के अलावा ताजा हेडलाइंस, देश-विदेश के अखबारों से सुर्खियां, आज के दिन की इतिहास में अहमियत सुनिए 'आज का दिन' में अमन गुप्ता के साथ.

20 जुलाई 2022 का 'आज का दिन' सुनने के लिए यहां क्लिक करें...

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