महाराष्ट्र में नासिक के त्र्यंबकेश्वर से बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक आदिवासी महिला पर अपने ही बच्चों को पैसों के लिए बेच देने का गंभीर आरोप लगा है. यह दावा सामाजिक कार्यकर्ता भगवान माधे ने किया, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आ गया. जांच की गई तो पता चला कि महिला के 12 बच्चे हैं. पुलिस ने महिला, उसके पति और सभी बच्चों को हिरासत में लेकर जांच शुरू कर दी है.
सोशल एक्टिविस्ट भगवान माधे ने आरोप लगाते हुए कहा कि बर्द्याची वाडी में रहने वाली 45 वर्षीय महिला के कुल 14 बच्चे थे. आर्थिक तंगी इतनी ज्यादा थी कि उसने कथित तौर पर अपने 4 से 6 बच्चों को पैसों के लिए बेच दिया. मामला तब सामने आया, जब महिला ने अपने 14वें बच्चे को जन्म देने के बाद अस्पताल में चेकअप तक नहीं कराया. सोशल वर्कर्स को पता चला तो टीम ने सुरक्षित डिलीवरी कराई, लेकिन दो महीने बाद उन्हें संदेह हुआ कि महिला ने नवजात को 10,000 रुपये लेकर किसी व्यक्ति को दे दिया है.
अक्टूबर 2025 में डिलीवरी के बाद बच्चे का वजन कम था, इसलिए एक आशा वर्कर परिवार से मिलने पहुंची. वहां महिला ने कहा कि उसका बच्चा है ही नहीं, वह उसे दे चुकी है. इस पर आशा वर्कर ने तुरंत स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी. मामले की गंभीरता देखते हुए पुलिस मौके पर पहुंची और विस्तृत जांच शुरू की.

जांच में महिला के 12 बच्चों की जानकारी आई सामने
जांच में सामने आया कि महिला के 12 बच्चे हैं, जिनमें से एक की मौत हो चुकी है. वहीं तीन बच्चों को अलग-अलग परिवारों को दे दिया गया था. पुलिस इन बच्चों और उन्हें रखने वाले परिवारों को पुलिस स्टेशन लेकर गई, जिसके बाद सभी बच्चों और माता-पिता को नासिक महिला एवं बाल कल्याण विभाग के चिल्ड्रन होम भेज दिया गया.
हालांकि महिला ने बच्चों को बेचे जाने की बात से इनकार किया है. उसका कहना है कि गरीबी के कारण वह बच्चों की परवरिश नहीं कर पा रही थी, उसके पास दूध तक नहीं था, इसलिए उसने बच्चों को केवल रिश्तेदारों के पास देखभाल के लिए भेजा, पैसे नहीं लिए.
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एसपी बालासाहेब पाटिल ने कहा कि मामले की जांच चाइल्ड वेलफेयर कमेटी को सौंप दी गई है और एक-एक सूचना की जांच की जा रही है. पुलिस द्वारा किए गए निरीक्षण के दौरान घर में चार बच्चे मौजूद पाए गए.
जानकारी में पता चला कि महिला के कुल 12 बच्चे हैं, जिनमें 7 लड़के और 5 लड़कियां शामिल हैं. दो लड़कियां शादीशुदा हैं. परिवार के पास 12 एकड़ जमीन भी है, लेकिन वह पूरी तरह पथरीली और बंजर है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब बनी हुई है. महिला ने 2014 में परिवार नियोजन की सर्जरी भी कराई थी, लेकिन वह सफल नहीं हुई. आशा वर्कर ने 2025 में जन्म से पहले महिला का रजिस्ट्रेशन भी किया था.
दस्तावेजों में गड़बड़ियों का शक
जांच के दौरान दस्तावेजों में गड़बड़ियों का शक भी गहरा गया. छह साल की बच्ची को वावी हर्ष गांव के एक दंपत्ति के नाम से स्कूल में दाखिला मिला, और आधार कार्ड के लिए जारी किए गए सर्टिफिकेट में पिता के नाम की जगह बंगारे का नाम लिखा गया. एक्टिविस्ट भगवान माधे ने का आरोप है कि आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य कर्मियों की मिलीभगत से दस्तावेजों में बदलाव किया गया.
महिला के भाई, जिसके पास दो महीने का बच्चा मिला, उन्होंने कहा कि यह बच्चा बेचा नहीं गया है, बल्कि सिर्फ रिश्तेदारी को देखभाल के लिए दिया गया है. आधार कार्ड न होने के कारण दस्तावेज पूरे नहीं किए गए थे. अब पूरा मामला इस बात पर टिका है कि क्या बच्चों को बेचा गया है या सिर्फ देखभाल के लिए दिया गया था. यह चाइल्ड वेलफेयर कमेटी की जांच रिपोर्ट के बाद ही साफ होगा. रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.