महाराष्ट्र के नागपुर में एक बुजुर्ग शख्स से मोबाइल भुगतान सेवा गूगल पे का अधिकारी बताकर चार लाख रुपये की ठगी हो गई. दरअसल बुजुर्ग ने दवा खरीदते समय 1200 की जगह 2500 रुपये का भुगतान कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने कस्टमर केयर को कॉल किया और उसी दौरान इस ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया.
नागपुर पुलिस ने मंगलवार को बताया कि राणा प्रताप नगर के रहने वाले सुरेंद्र बोरहा (65) ने ऑनलाइन ऑर्डर की गई दवाओं के लिए 1,200 रुपये के बजाय गलती से 2,500 रुपये का भुगतान कर दिया. जब उन्हें गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने गूगल पे कस्टमर सर्विस नंबर के लिए ऑनलाइन सर्च किया.
गूगल पे का अधिकारी बनकर की ठगी
बुजुर्ग को 10 जून को Google Pay ग्राहक सेवा के एक कार्यकारी होने का दावा करने वाले एक व्यक्ति का फोन आया. बातचीत के दौरान उसने बुजुर्ग से बैंक डिटेल ले ली और मोबाइल फोन पर एनीडेस्क नाम का ऐप्लीकेशन डाउनलोड करा दिया.
अचानक चार लाख रुपये खाते से ट्रांसफर
बुजुर्ग ने पाया कि उनके खाते से बिना उनकी अनुमति के एक अजनबी के खाते में 4 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए गए थे. पुलिस अधिकारी ने बताया कि साइबर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आगे की जांच में जुटी है.
ऑनलाइन ठगी का शिकार होने पर क्या करें?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ध्रुव शर्मा ने कहा कि साइबर क्राइम से जुड़े मामलों को पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां दोनों देखती हैं, अगर आप किसी भी तरह के ऑनलाइन घोटाले का शिकार होते हैं तो www.cybercrime.gov.in लिंक पर जाकर अपनी शिकायत रजिस्टर करा सकते हैं. पुलिस स्टेशन में जाकर आप साइबर सेल में भी अपने खिलाफ हुई धोखाधड़ी के बारे में जानकारी दे सकते हैं. साइबर अपराधों से जुड़े मामलों की शिकायत हेल्पलाइन नंबर 155260 पर की जा सकती है. बैंक अकाउंट से जुड़े फ्रॉड के मामले भी यहीं दर्ज कराए जा सकते हैं.
बैंक फ्रॉड होने पर क्या करें?
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट ध्रुव शर्मा ने कहा कि अगर आपके साथ बैंकिंग फ्रॉड हुआ है तो अपना बैंक अकाउंट, ट्रांजैक्शन डीटेल्स से संबंधित विवरण पुलिस को दें और जल्द से जल्द अपने बैंक के कस्टमर केयर पर कॉल करके फ़्रॉड हुए ट्रांजैक्शन पर डिस्प्यूट/ चार्जबैक केस दर्ज करें अगर आपके पास सबूत के तौर पर स्क्रीन शॉट्स हैं तो उन्हें भी दें.
ध्रुव शर्मा ने बताया कि कई मामलों में पैसे रिकवर हो जातें है, कई मामलों में ऐसा कर पाना नामुमकिन हो जाता है. बता दें कि ऑनलाइन घोटाले से जुड़े ज्यादातर मामले IT एक्ट 2000 के तहत चलते हैं. अपराधियों के खिलाफ धारा 43, 65, 66 और 67 के तहत केस चलते हैं. IPC की धारा 420, 120बी और 406 के तहत भी केस चल सकता है.