बलात्कार के आरोपों का सामना कर रहे महाराष्ट्र के सामाजिक न्याय मंत्री और एनसीपी नेता धनंजय मुंडे ने 2020 में ही करुणा शर्मा के साथ अपने संबंधों के बारे में घोषणा की थी. 4 दिसंबर, 2020 को मुंडे ने बॉम्बे हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर किया था और अपने साथी करुणा शर्मा के साथ अपनी कोई भी निजी तस्वीर और वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट करने पर रोक लगाने की मांग की थी. बता दें कि करुणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर "करुणा धनंजय मुंडे" नाम से जानी जाती हैं.
मुकदमे में उन्होंने शर्मा से बहुत स्पष्ट रूप से नुकसान की बात कही थी. लेकिन अंतरिम राहत के रूप में वह केवल यह चाहते थे कि जिस महिला से उनके दो बच्चे हैं, वो अपने विभिन्न सोशल मीडिया हैंडल्स पर उन दोनों की अंतरंग तस्वीरें और वीडियो पोस्ट न करें.
याचिका दायर होने के तुरंत बाद, 16 दिसंबर को न्यायमूर्ति ए के मेनन की एकल पीठ ने मुंडे के वकीलों के साथ मामले की सुनवाई की. मुंडे का पक्ष रखने वाले एडवोकेट शरण जगतियानी ने कोर्ट को बताया कि, "हालांकि वादी बदनामी के लिए हर्जाने की मांग करता है, लेकिन वादी हर्जाने के लिए दबाव नहीं डालेगा". वकील ने कोर्ट से आगे कहा था यह मामला "वादी की निजता के अधिकार की रक्षा के लिए" है.
अदालत ने अपने आदेश में मुंडे के वकीलों द्वारा की गई दलील का उल्लेख किया था कि शर्मा, जिसने सोशल मीडिया पेज फेसबुक पर कुछ सामग्री पोस्ट की थी, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर दोनों की कुछ और अंतरंग सामग्री पोस्ट करने का इरादा रखती थीं.
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कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि दोनों पार्टियों के बीच एक रिश्ता था, और वादी (मुंडे) ने उस संबंध से दूरी बनाने की कोई कोशिश नहीं की थी. वादी जिस बात की सुरक्षा चाहता है वह उसकी निजता का अधिकार है जहां तक तस्वीरों और वीडियो रिकॉर्डिंग का संबंध है.
मुंडे ने अपनी याचिका में मांग की थी कि, "वर्तमान मुकदमे की सुनवाई और अंतिम निस्तारण को लंबित करते हुए, यह अदालत प्रतिवादी को किसी भी निजी फोटो, निजी वीडियो या निजी ऑडियो या वादी की रिकॉर्डिंग को फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम या व्हाट्सएप सहित किसी भी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक या सोशल मीडिया प्लेटफार्म में वितरित करने या प्रकाशित करने से रोकने के खिलाफ निषेधाज्ञा का अंतरिम आदेश पारित करने की कृपा करे."
सुनवाई के दौरान शर्मा की तरफ से पक्ष नहीं रखा गया था और अदालत ने मुंडे को अंतरिम राहत दी थी. इस मामले की सुनवाई अब 1 फरवरी को बॉम्बे हाईकोर्ट करेगी.