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26/11 केस में बरी फहीम नहीं कर सकता ये नौकरियां... महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में सौंपी गोपनीय सूची

अंसारी को 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तानी फिदायीन अजमल कसाब के साथ ट्रायल के बाद बरी किया गया था, लेकिन वे 2008 रामपुर CRPF कैंप ग्रेनेड हमला मामले में दोषी पाया गया था, जिसमें सात CRPF जवान और एक नागरिक की मौत हुई थी. इस मामले में उसे 10 साल की सजा हुई थी, जिसे वे पूरी कर चुका है. जेल से लौटने के बाद वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है.

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बॉम्बे कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील स्वीकार करते हुए मामले की इन-चेम्बर सुनवाई के लिए सहमति दे दी. (File Photo- PTI)
बॉम्बे कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील स्वीकार करते हुए मामले की इन-चेम्बर सुनवाई के लिए सहमति दे दी. (File Photo- PTI)

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट में एक गोपनीय रिपोर्ट पेश करते हुए जस्टिस एएस गडकरी और आर.आर. भोन्सले की पीठ से अनुरोध किया कि 26/11 मामले में बरी हुए आरोपी द्वारा दायर याचिका की सुनवाई चेम्बर में की जाए, क्योंकि रिपोर्ट में मौजूद जानकारी को खुली अदालत में साझा नहीं किया जा सकता.

यह पीठ 26/11 मामले में बरी हुए फहीम अरशद मोहम्मद यूसुफ अंसारी की याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने चरित्र प्रमाणपत्र (Character Certificate) जारी न किए जाने को चुनौती दी है. यह प्रमाणपत्र उन्हें टैक्सी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवश्यक PSV बैज हासिल करने में मदद कर सकता है.

थाणे निवासी अंसारी ने पुलिस क्लियरेंस सर्टिफिकेट (PCC) के लिए आवेदन किया था, जो टैक्सी या ऑटो को व्यावसायिक रूप से चलाने के लिए अनिवार्य होता है. लेकिन पुलिस ने एक नकारात्मक रिपोर्ट जारी करते हुए दावा किया कि अंसारी प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) से जुड़े रहे हैं, इसलिए उसे PCC नहीं दिया जा सकता. इसके चलते वे PSV बैज प्राप्त नहीं कर सका.

अंसारी को 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मामले में पाकिस्तानी फिदायीन अजमल कसाब के साथ ट्रायल के बाद बरी किया गया था, लेकिन वे 2008 रामपुर CRPF कैंप ग्रेनेड हमला मामले में दोषी पाया गया था, जिसमें सात CRPF जवान और एक नागरिक की मौत हुई थी. इस मामले में उसे 10 साल की सजा हुई थी, जिसे वे पूरी कर चुका है. जेल से लौटने के बाद वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहा है.

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ये नौकरियां नहीं कर सकता अंसारी

सुनवाई के दौरान राज्य की ओर से पेश हुए अतिरिक्त लोक अभियोजक अमित पलकर ने उन नौकरियों की सूची कोर्ट को सौंपी, जिनके लिए चरित्र प्रमाणपत्र अनिवार्य होता है. सूची में निजी और सरकारी दोनों तरह की नौकरियां शामिल थीं, जिनमें पुलिस वेरिफिकेशन जरूरी है.

निजी क्षेत्र में सुरक्षा गार्ड की नौकरी, निजी कंपनियों या फैक्ट्रियों में काम, नगरपालिका के कॉन्ट्रैक्ट पद, RTO बैज और निजी स्कूल–कॉलेजों में नौकरी के लिए पुलिस क्लियरेंस अनिवार्य बताया गया. पलकर ने कहा, "इन नौकरियों के लिए ही प्रमाणपत्र आवश्यक है, इसके अलावा वह कोई भी काम कर सकते हैं."

कोर्ट ने राज्य सरकार की दलील स्वीकार करते हुए मामले की इन-चेम्बर सुनवाई के लिए सहमति दे दी. अब याचिका पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद होगी.

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को 10 फिदायीन आतंकियों ने मुंबई के CST स्टेशन, ताज और ट्राइडेंट होटल, एक कैफे और अस्पतालों पर हमला कर 166 लोगों की जान ले ली थी, जबकि लगभग 300 लोग घायल हुए थे.

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