मुंबई की एक स्पेशल कोर्ट ने पुणे के भोसरी भूमि घोटाला मामले में महाराष्ट्र के पूर्व राजस्व मंत्री एकनाथ खडसे, उनकी पत्नी मंदकिनि खडसे और दामाद गिरीश चौधरी की डिस्चार्ज याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने खडसे की 'शक्ति और पद का रणनीतिक रूप से इस्तेमाल' किया था. अब तीनों पर आरोप तय होने और ट्रायल शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है.
स्पेशल जज सत्यनारायण नावंदर ने एकनाथ खडसे और उनके परिवार की डिस्चार्ज एप्लीकेशन खारिज कर दी है. याचिका खारिज होने से अब आरोपियों के खिलाफ आरोप तय होने और ट्रायल शुरू होने का रास्ता साफ हो गया है. अब खडसे, उनकी पत्नी मंदाकिनि खडसे और उनके दामाद गिरीश चौधरी पर आरोप तय किए जाएंगे.
जज ने कहा कि आरोपियों ने खडसे की ताकत और पद का इस्तेमाल करते हुए पिछले मालिक से भूमि समझौता करवाया था. इस समझौते में पिछले मालिक को दिए जाने वाले मुआवजे को प्राप्त करने की शर्त भी थी.
सरकारी जमीन को औने-पौने दाम पर खरीदने का आरोप
एकनाथ खडसे को महाराष्ट्र की पिछली बीजेपी-नीत सरकार में सीनियर मंत्री पद से 2016 में इस्तीफा देना पड़ा था. उन पर आरोप था कि उन्होंने अपनी पत्नी और दामाद गिरीश चौधरी द्वारा पुणे के पास भोसरी औद्योगिक क्षेत्र में महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (MIDC) की सरकारी जमीन खरीदने की सुविधा के लिए अपनी स्थिति का दुरुपयोग किया. जांचकर्ताओं ने दावा किया कि खडसे परिवार ने उस वक्त के मौजूदा बाजार दर से बहुत कम कीमत पर जमीन खरीदी थी. ईडी ने आरोप लगाया है कि खडसे परिवार ने जमीन ₹3.75 करोड़ में खरीदी, जबकि इसकी वास्तविक कीमत ₹31.01 करोड़ थी.
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उप-रजिस्ट्रार की भूमिका पर सवाल
कोर्ट ने कहा कि जमीन के अधिग्रहण को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित किया गया था. भूमि रिकॉर्ड में अधिग्रहण का नोट भी लिया गया था. इसके बावजूद, उप-रजिस्ट्रार ने मौजूदा नियमों से अनभिज्ञता दिखाते हुए और स्थापित प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए बिक्री विलेख (Sale Deed) निष्पादित किया. जज ने कहा कि ट्रायल के दौरान यह तय करना होगा कि उप-रजिस्ट्रार को आरोपी बनाया जाए या नहीं.
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ट्रायल और कानूनी स्थिति...
अदालत ने माना कि रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम तथा भारतीय दंड संहिता की अन्य धाराओं के तहत तीन आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त है. इस मामले में खडसे और उनकी पत्नी को आरोपी नामित किया गया है, लेकिन जांच एजेंसी ने उन्हें कभी गिरफ्तार नहीं किया.
हालांकि, उनके दामाद गिरीश चौधरी को जुलाई 2021 में गिरफ्तार किया गया था और सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने से पहले उन्होंने दो साल से ज्यादा जेल में बिताए थे.