विकास के तमाम दावों के बीच झारखंड के सिमडेगा जिले में सड़क विहीनता अब भी लोगों की बुनियादी समस्याओं में शामिल है. हाल ही में एक बार फिर डालियामरचा गांव से एक तस्वीर सामने आई है, जिसने सरकारी विकास योजनाओं की असलियत को उजागर कर दिया.
जानकारी के मुताबिक, गांव की गर्भवती महिला हना गुड़िया को जब प्रसव पीड़ा हुई तो परिजनों ने तुरंत ममता वाहन बुलाया, लेकिन गांव तक सड़क नहीं होने की वजह से एंबुलेंस वहां नहीं पहुंच सकी. ऐसे में महिला को खाट पर लिटाकर लगभग डेढ़ किलोमीटर तक ऊबड़-खाबड़ रास्तों से मुख्य सड़क तक ले जाया गया, जहां वाहन इंतजार कर रहा था.
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इस घटना ने एक बार फिर ग्राम्य क्षेत्र में बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर कर दिया है. इससे महज दो दिन पहले भी बानो प्रखंड के डुमरिया मारिकेल गांव में भी ऐसी ही तस्वीर देखने को मिली थी.
कोलेबिरा विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी ने इस पूरे मामले को 'शर्मनाक' बताते हुए कहा कि त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि योजनाएं गांव तक पहुंचे. यदि स्थानीय सरकारें ईमानदारी से काम करें तो ऐसे हालात से बचा जा सकता है.
यह हालात सिर्फ एक गांव के नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र की बुनियादी समस्या की ओर इशारा करते हैं. जब तक ग्रामीण जनता अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करेगी और सरकारें जवाबदेह नहीं बनेंगी, तब तक बदलाव मुश्किल है. फिलहाल, सिमडेगा में विकास की जगह खाट ही आम जनता का सहारा बनी हुई है.