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'दिल्ली ब्लास्ट के आतंकी उमर को दी थी ट्रेनिंग...', कश्मीर के डॉक्टर निसार कहां हैं? टेरर से जुड़ रहे तार

एंटी-नेशनल क्रेडेंशियल्स के चलते 2023 में सरकारी सेवा से बर्खास्त किए गए कश्मीर के डॉक्टर निसार-उल-हसन एक बार फिर जांच एजेंसियों के रडार पर हैं. फरीदाबाद जैश ‘व्हाइट कॉलर’ मॉड्यूल और लाल किला धमाके की जांच में उनका नाम सामने आ रहा है. NIA ने पूछताछ के लिए डॉक्टर को हिरासत में लिया है.

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डॉ. निसार को 2023 में बर्खास्त कर दिया गया था. (Photo:  Mir Fareed/ITG)
डॉ. निसार को 2023 में बर्खास्त कर दिया गया था. (Photo: Mir Fareed/ITG)

फरीदाबाद जैश 'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल और लाल किला धमाके की जांच ने एक बार फिर विवादित डॉक्टर डॉ. निसार-उल-हसन को सुर्खियों में ला दिया है. नवंबर 2023 में एंटी-नेशनल गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में उन्हें सरकारी सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था. अब, ताजा जांच में सुरक्षा एजेंसियां एक बार फिर उनकी भूमिका को खंगाल रही हैं.

डॉ. निसार-उल-हसन, कश्मीर के सोपोर के अचाबल गांव के रहने वाले हैं. यह एक ऐसा इलाका जो कभी आतंकवाद का गढ़ माना जाता था. उन्होंने 1991 में GMC श्रीनगर से MBBS और 2001 में SKIMS से MD (जनरल मेडिसिन) किया. बाद में वह श्रीनगर के SMHS अस्पताल में असिस्टेंट प्रोफेसर बने, लेकिन यहीं से उनके खिलाफ विवाद और राजनीतिक टकराव शुरू हुए.

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सरकारी सेवा के दौरान वह 'डॉक्टर्स एसोसिएशन ऑफ कश्मीर' के लंबे समय तक अध्यक्ष रहे. इसी दौरान कई बार उनके बयान, हड़ताल और विरोध-प्रदर्शन राजनीतिक विवाद में बदल गए.

2013 और 2014 में काफी एक्टिव थे निसार

2013 में, नकली दवाओं के बड़े घोटाले के खिलाफ उन्होंने DAK की ओर से हड़ताल की अपील की, जिसे हुर्रियत समेत कई अलगाववादी समूहों का समर्थन मिला और मामला राजनीतिक रूप से संवेदनशील हो गया.

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2014 में, सरकार के खिलाफ उनके बयानों, जैसे चुनाव ड्यूटी का बहिष्कार, टैक्स न देने की अपील और 'आजादी संस्थानों को मजबूत करो' जैसे कथनों को गंभीर 'एंटी-नेशनल' माना गया और तत्कालीन सरकार ने उन्हें निलंबित कर दिया.

अल-फलाह यूनिवर्सिटी में काम करते थे डॉक्टर

लंबी कानूनी और राजनीतिक प्रक्रिया के बाद उन्हें 2018 में गवर्नर शासन के दौरान बहाल कर दिया गया, लेकिन उनकी गतिविधियां सुरक्षा एजेंसियों की नजर में बनी रहीं. आखिरकार नवंबर 2023 में, एलजी प्रशासन ने उन्हें आर्टिकल 311(2)(c) के तहत सेवा से बर्खास्त कर दिया और उन्हें "टिकिंग टाइम बम" बताया.

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अब, फरीदाबाद टेरर मॉड्यूल की जांच में उनका नाम फिर उभर आया है. वह पिछले कुछ वर्षों से अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जनरल मेडिसिन के प्रोफेसर के तौर पर काम कर रहे थे. दिलचस्प बात यह है कि लाल किला कार ब्लास्ट का मास्टरमाइंड बताए जा रहे डॉ. मोहम्मद उमर नबी ने भी वहीं उनके अधीन जूनियर डॉक्टर के रूप में काम किया था.

कैसा था डॉ. उमर का व्यवहार?

इंडिया टुडे से बातचीत में डॉ. निसार की पत्नी डॉ. सुरैया ने बताया, "डॉ. निसार और डॉ. उमर के संबंध बिल्कुल अच्छे नहीं थे. उमर मरीज नहीं देखते थे, क्लास छोड़ देते थे और कई बार चेतावनी के बाद उन्हें वार्ड से हटाना पड़ा. अब जो भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि वे भागे हुए हैं, ये सब गलत है. उन्हें NIA ने नियमित पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है, जैसे कई फैकल्टी और छात्र लिए गए हैं."

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जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि डॉ. उमर नबी और जैश से जुड़े मॉड्यूल के साथ डॉ. निसार की कोई सीधी भूमिका थी या वे केवल संयोगवश इस पूरे घटनाक्रम का हिस्सा बन गए. फिलहाल, NIA पूछताछ जारी है.

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