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'कार्यपालिका के निर्णयों की न्यायिक समीक्षा संभव नहीं...', गुजरात हाईकोर्ट ने UCC समिति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की

गुजरात हाईकोर्ट ने UCC समिति के गठन को चुनौती देने वाली अपील खारिज कर दी. अदालत ने कहा कि समिति बनाना राज्य सरकार का कार्यपालिका संबंधी अधिकार है और संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत वैध है.

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गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका प्रशासनिक कार्यों में दखल नहीं दे सकती (File Photo: ITG)
गुजरात हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायपालिका प्रशासनिक कार्यों में दखल नहीं दे सकती (File Photo: ITG)

गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार को उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें राज्य सरकार द्वारा गठित यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) समिति को चुनौती दी गई थी. यह अपील हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के उस फैसले के खिलाफ दायर हुई थी, जिसने पहले ही याचिका को खारिज कर दिया था.

डबल बेंच ने साफ कहा कि UCC समिति का गठन पूरी तरह राज्य की कार्यपालिका का विषय है और अदालत ऐसे प्रशासनिक फैसलों की न्यायिक समीक्षा नहीं कर सकती. कोर्ट ने यह भी दोहराया कि समिति संविधान के अनुच्छेद 162 के तहत बनाई गई है, इसलिए यह निर्णय पूरी तरह राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है.

याचिकाकर्ता का कहना था कि समिति बिना किसी अधिसूचना के बनाई गई और इसमें अल्पसंख्यक समुदाय का कोई सदस्य नहीं रखा गया. लेकिन अदालत ने कहा कि ये तर्क समिति गठन की प्रक्रिया या राज्य की शक्ति को चुनौती नहीं देते. 

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अदालत ने स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता केवल सदस्यों की संरचना को आधार बना रहे थे, जबकि राज्य के पास समिति गठित करने का पूरा अधिकार है. अदालत ने कहा कि समिति गठन की शक्ति को चुनौती ही नहीं दी गई. इसलिए अपील खारिज की जाती है.

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इसी आधार पर हाईकोर्ट ने अपील को खारिज करते हुए सिंगल जज के फैसले को सही ठहराया. 

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