दिल्ली में नवंबर में सर्दी के कपड़े निकाल लिए जाते हैं. ख़ास तौर पर उस वक्त जब अक्टूबर के महीने में ही दिवाली और छठ सब मना चुके हों. लेकिन सोमवार को दिल्ली में एक अनूठा रिकॉर्ड बना और वो था पिछले 13 सालों में नवंबर के सबसे गर्म दिन का. हर कोई हैरान है कि आखिरकार अचानक ऐसा क्या हुआ कि सर्दी के लिए पहचान रखने वाली दिल्ली में नवंबर के महीने में दिन का तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया. आजतक ने इसके पीछे की वज़ह जानने के लिए मौसम विभाग के वैज्ञानिकों की राय जाननी चाही, तो पता चला कि कुछ ऐसा हुआ जो आमतौर पर इन महीनों में कम देखने को मिलता है. आइए जानते हैं दिल्ली में अबतक क्यों नहीं हुई ठंड की दस्तक.
हवा की बदली दिशा ने कर दिया खेल
दरअसल, आमतौर पर इन दिनों यानी नवंबर के महीने में दिल्ली और आसपास के इलाकों में पछुआ हवाएं चलती हैं. ये हिमालय और कई बार तो उसके भी पार यूरोपीय देशों तक से ठंडी हवाएं लेकर आती हैं. लेकिन पिछले तीन दिनों से दिल्ली में हवाओं का रुख बदला हुआ है. मौसम विभाग के सीनियर वैज्ञानिक आर के जेनामनि कहते हैं कि मौजूदा रिकॉर्ड अधिकतम तापमान की वज़ह यही पुरवैय्या हवाएं ही हैं. पूर्व दिशा से आने वाली हवाएं जिनको ईस्टरली हवाएं कहा जाता है वो आम तौर पर सर्दियों के मौसम में गर्मी का एहसास दिलाती हैं.
आने वाले दिनों में बारिश भी होने के आसार
इन दिनों एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में बना हुआ है, जिसकी वज़ह से वहां ऊपरी इलाकों में बर्फबारी भी दर्ज की गई है. उसके असर से दिल्ली में भी अगले दो दिनों तक बादलों की आवाजाही बनी रहेगी और मुमकिन है कि कुछ जगहों पर हल्की बारिश भी हो. हवा की रफ्तार भी 10 किलोमीटर प्रति घंटा से तेज़ चलेगी. गौरतलब है कि अक्टूबर के पहले हफ्ते के बाद दिल्ली में बारिश नहीं हुई है और मौसम कमोबेश शुष्क ही बना हुआ है.
प्रदूषण से मिलेगी राहत
तापमान अधिक होने का रिकॉर्ड कुछ मायनों में दिल्ली के लिए अच्छा भी है. पिछले हफ्ते दिल्ली की एयर क्वालिटी सीवियर और सीवियर प्लस कैटेगरी में पहुंच गई थी. लेकिन जब तापमान बढ़ता है तो हवा फैलती भी है और उसकी वजह से प्रदूषण करने वाले कारकों की मिक्सिंग हाईट भी ऊपर हो जाती है और प्रदूषण का स्तर कम दिखता है. इसके अलावा हवा की बढ़ी रफ्तार भी प्रदूषण के कारकों को आसानी से तितर बितर कर देती है.
10 नवंबर से फिर गिरने लगेगा तापमान
मौजूदा मौसम का सिस्टम 10 तारीख तक चलने के आसार हैं, जिसके बाद एक बार फिर से हवा अपना रुख बदलेगी और पश्चिम से आने वाली हवाएं तापमान को नीचे ले जाएंगी. अगर तबतक पंजाब हरियाणा में पराली जलनी कम नहीं होती तो मुमकिन है कि प्रदूषण भी फिर से वापसी करे.