बिहार विधानसभा चुनाव में भले ही एनडीए का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा, लेकिन जेडीयू चुनाव आंकड़ों में काफी पिछड़ गई. इस निराशजनक प्रदर्शन के बाद अब पार्टी ने बड़े स्तर पर तैयारियां शुरू कर दी हैं. हाल ही में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संगठन में बड़े स्तर पर बदलाव करते हुए हारने वाले पूर्व मंत्री, पूर्व सांसद और पूर्व विधायकों को जिले की जिम्मेदारी सौंपी, तो वहीं अब पार्टी ने जनता के बीच अपनी बात पहुंचाने के लिए मुखपत्र ‘जेडीयू संधान’ जारी कर दिया है.
दो भाषा में जारी हुआ मुखपत्र
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बार-बार कहते रहे हैं कि वो बोलने से ज्यादा करने में विश्वास रखते हैं, लेकिन चुनाव के नतीजों के बाद वो कई मौकों पर ये कह चुके हैं कि उनके कामों की जानकारी जनता के बीच नहीं पहुंच पाई, इसीलिए पार्टी ने अब अपना मुखपत्र जारी किया है. ‘जेडीयू संधान’ नाम का यह मासिक मुखपत्र फिलहाल हिंदी और अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित होगा. आने वाले दिनों में इसे मैथिली, अंगिका, भोजपुरी और उर्दू में भी प्रकाशित किया जाएगा.
हर घर तक पहुंचेगी सरकार की बात
बिहार तक से बातचीत में इस मुखपत्र के हिंदी संस्करण के सम्पादक डॉ. कुमार वरुण ने बताया कि पार्टी की विचारधारा को आमजन तक पहुंचाने के लिए ये मुखपत्र निकाला गया है. पार्टी ने दूर दृष्टि रखते हुए ये मुखपत्र जारी किया है. मुखपत्र में मौजूद लोक संवाद कोना के जरिए पार्टी और सरकार के बारे में आम लोगों की राय को प्रमुखता दी जाएगी. यह मुखपत्र, संगठन की आने वाली नीतियों के साथ ही बीते समय में क्या खोया-क्या पाया, इसका दस्तावेज होगा.
मुखपत्र जारी करने पीछे की ये है बड़ी वजह
मुखपत्र के अंग्रेजी संस्करण के सम्पादक कुमार बिमलेन्दु ने बताया कि आने वाले दिनों में जैसे-जैसे पार्टी का विस्तार होगा, इस मुखपत्र की जरूरत भी बढ़ती जाएगी. नागालैंड जैसे नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों में भी पार्टी के विस्तार के लिए ये मुखपत्र काम आएगा. अगर आपने कोई काम किया है तो वो लोगों को पता होना चाहिए. ये मुखपत्र महाराष्ट्र में शिवसेना के मुखपत्र की तरह ही पार्टी का स्टैंड रखेगा, लेकिन वो सामना की तरह सनसनीखेज बातें नहीं बल्कि समाजवादी और धर्म-निरपेक्ष रहेगा.
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