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क्या धरती से गायब हो चुके पशु-पक्षी एक बार फिर लौटने वाले हैं, क्या है डी-एक्सटिंक्शन जिसपर हो रहा विवाद?

वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि सैकड़ों साल पहले गायब हुआ डोडो पक्षी वापस लौट आए. ये एक तरह से मुर्दा चीजों को जिंदा करने जैसा होगा. अगर ऐसा हो तो डायनासोर या खत्म हुई सारी स्पीशीज धरती पर वापस आ सकेंगी. ये बात तो मजेदार है, लेकिन फिर क्यों वैज्ञानिकों का एक तबका डी-एक्सटिंक्शन यानी विलुप्त हुओं को वापस लाने का विरोध कर रहा है?

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क्लाइमेट चेंज की वजह से पशु-पक्षी तेजी से विलुप्त हो रहे हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)
क्लाइमेट चेंज की वजह से पशु-पक्षी तेजी से विलुप्त हो रहे हैं. सांकेतिक फोटो (Unsplash)

कुछ सालों पहले पशु-पक्षियों पर काम करने वाली एक नामी संस्था ने एक पोल आयोजित किया था. इसमें उन जानवरों के नाम पूछे गए, जिन्हें हम धरती पर वापस चाहते हैं. इसके बाद से ही डी-एक्सटिंक्शन टर्म आम जबान तक पहुंचा. बहुत से वैज्ञानिक कोशिश कर रहे हैं कि उनके पुरखों की वजह से एनिमल्स की जो प्रजातियां खत्म हुईं, वे वापस लौट आएं. उनकी नजर में ये पुरानी गलतियों का प्रायश्चित है.

क्या है विलुप्तीकरण 

एक्सटिंक्शन या विलुप्तीकरण तब कहलाता है, जब किसी खास प्रजाति का आखिरी जीव भी दुनिया से खत्म हो जाए. इससे पहले भी कई श्रेणियां होती हैं. इसमें पशु खतरे में, या गंभीर खतरे में, जैसी कैटेगरी में मार्क किए जाते हैं. जब भी किसी स्पीशीज को गंभीर खतरे में बताया जाए तो इसका सीधा मतलब है कि उस तरह के कुछ ही पशु बाकी हैं. लापरवाही से वे भी खत्म हो जाएंगे. 

कब विलुप्त हुआ डोडो

यूएन कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी की रिसर्च कहती है कि रोज पूरी दुनिया से 150 से भी ज्यादा स्पीशीज खत्म हो रही हैं. इनमें डोडो का जिक्र सबसे पहले आता है. स्वादिष्ट मांस के लालच में इतना शिकार हुआ कि 17वीं सदी में ये पूरी तरह से गायब हो गए. आखिरी डोडो पक्षी साल 1681 में मॉरिशस में दिखा था, जिसके बाद सिर्फ म्यूजियम में इसके अवशेष मिलते हैं.

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de extinction of extinct species and why some are against the idea photo Getty Images

क्या है गैर-विलुप्तीकरण

ये नई चीज है. ऐसा कोई शब्द पहले था भी नहीं. अब वैज्ञानिक इस प्रयास में हैं कि गायब हो चुकी प्रजातियां जिंदा हो सकें. डोडो पक्षी इसमें टॉप पर है. साल 2002 में ही डोडो से माइटोकॉन्ड्रियल DNA निकालकर सुरक्षित करने में सफलता मिल चुकी. ये वो DNA है, जो मां से बच्चे में ट्रांसफर होता है. इसे mtDNA कहा जा रहा है. जांच पर पाया गया कि इसका सबसे करीबी रिश्तेदार निकोबारी कबूतर है. अब इसी कबूतर की स्टडी जारी है. 

कैसे होगा संभव

- जीन तकनीक की मदद से कबूतर के जीन्स में बदलाव लाकर उन्हें ही डोडो पक्षी में बदल दिया जाए. 

- वैज्ञानिक जीन एडिटिंग से नई तरह की कोशिकाएं बनाकर उसे दूसरी चिड़िया के अंडों में डाल सकते हैं. इससे शायद ये हो सके कि नए जन्मा बच्चा आगे चलकर डोडो जैसे पक्षी को जन्म दे.

- ये भी हो सकता है कि सारे प्रयास बेकार हो जाएं लेकिन जीन एडिटिंग पर काम तो चल रहा है. 

de extinction of extinct species and why some are against the idea photo Unsplash

क्यों हो रहा विरोध

- जब ये स्पीशीज विलुप्त हुईं, जब से लेकर अब तक क्लाइमेट पूरी तरह से बदल चुका है. ऐसे में उन्हें दोबारा धरती पर लाने पर भी वो जीवित नहीं रह सकेंगी. 

- अभी कई स्पीशीज खत्म होने की कगार पर जा चुकी हैं. जीन एक्सपर्ट का कहना है कि पहले उन्हें बचाया जाना चाहिए. 

- अगर जीन एडिटिंग से डोडो वापस लौट आया तो उसकी कीमत उन पक्षियों को चुकानी होगी, जिनके जीन्स में बदलाव किए जाएंगे.

- इससे इंसान को भरोसा हो जाएगा कि वो हर नुकसान की भरपाई कर सकता है. इस भरोसे के साथ वो बेलगाम होकर नुकसान कर सकता है.

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कुछ ही सालों में खत्म हुई ज्यादातर प्रजातियां 

खत्म हो चुकी स्पीशीज की बात करें तो वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड (WWF) के अनुसार साल 1970 के बाद से लेकर 2014 तक 60% से ज्यादा स्तनधारी, पक्षी, मछलियां और रेप्टाइल खत्म हो चुके. सिर्फ मांसाहार ही नहीं, बल्कि जंगलों का काटना या प्रदूषण फैलाना भी इनकी कुछ वजहों में से है. स्टडी में दुनिया के 59 एक्सपर्ट शामिल थे, जिन्होंने माना कि गायब हो चुके पशु-पक्षियों की जगह अगर इंसानी आबादी खत्म होती, तो उत्तरी-दक्षिणी अमेरिका, अफ्रीका, यूरोप और चीन पूरी तरह खाली हो चुके होते.

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