scorecardresearch
 

रणवीर सिंह की 'धुरंधर' क्यों पब्लिक को थिएटर्स तक खींच लाई? इन 5 बातों में छुपा है कामयाबी का सीक्रेट

रणवीर सिंह की 'धुरंधर' तीन दिन में ही बॉक्स ऑफिस पर तगड़ी कामयाबी ले आई है. इसकी सक्सेस के पीछे सबसे बड़ी वजह इसका दमदार कंटेंट है, जिसकी तारीफ लोग थिएटर से बाहर निकलकर कर रहे है. फिल्म में बहुत कुछ ऐसा है जो स्पाई-फिल्म के बॉलीवुड फॉर्मैट को तोड़ता है.

Advertisement
X
'धुरंधर' की ताबड़तोड़ कामयाबी के पीछे हैं ये 5  वजहें (Photo: Instagram/@ranveersingh)
'धुरंधर' की ताबड़तोड़ कामयाबी के पीछे हैं ये 5 वजहें (Photo: Instagram/@ranveersingh)

रणवीर सिंह की फिल्म 'धुरंधर' ने बीते वीकेंड बॉक्स ऑफिस पर तगड़ा भौकाल जमाया. सिर्फ 3 दिन में इसने 100 करोड़ रुपये से ज्यादा कमा डाले. संडे को इसने, शुक्रवार के मुकाबले डेढ़ गुना कलेक्शन किया. ये आंकड़ा दिखाता है कि रिलीज के बाद थिएटर्स में 'धुरंधर' के दर्शक लगातार बढ़ते चले गए. ये कामयाबी टिकट खिड़की या ट्रेड रिपोर्ट्स में नहीं, थिएटर्स के अंदर तय हुई. 

'धुरंधर' उन फिल्मों में से एक है जिसकी स्क्रीनिंग से बाहर आने के बाद भी लोग इसकी चर्चा कर रहे हैं. इसपर एनालिसिस कर रहे हैं, डिबेट कर रहे हैं और इसके बुखार में हैं! आखिर 'धुरंधर' पर्दे  पर ऐसा क्या कर रही है, इसका सीक्रेट  इन 5 बातों में छिपा है:

1. जासूस जासूसी कर रहा है, हीरोबाजी नहीं
सिनेमा कोई रियल वर्ल्ड तो है नहीं, एक सिंथेटिक रियलिटी है. मगर जब इस सिंथेटिक रियलिटी को हल्का सिनमैटिक ट्रीटमेंट मिलता है, तो दर्शक बोल उठते हैं- 'ऐसा थोड़े ही होता है!' बॉलीवुड के स्पाई-यूनिवर्स के जासूस हों, या दूसरी फिल्मों और वेब सीरीज के... इनका फोकस हाई-फाई एक्शन, भौकाली एंट्री पर ही ज्यादा रहता है. सारे जासूसों को जेम्स बॉन्ड बनने का चस्का लग चुका है. अकेला आदमी देश के देश तबाह किए दे रहा है. 

Advertisement

ऐसे स्टाइल वाली स्पाई फिल्मों की बॉलीवुड में लंबी लाइन लग चुकी थी. मगर 'धुरंधर' इस शिकायत को दूर करती है. रणवीर सिंह वो जासूस हैं, जो जासूसी कर रहे हैं. उन्हें स्टाइलिश एक्शन हीरो दिखाने की तेजी में 'धुरंधर' कहानी के माहौल को कमजोर नहीं करती. वो जासूस हैं, ये बस उनके किरदार का डिस्क्रिप्शन नहीं है, यही पूरी कहानी है. और रणवीर को इस किरदार में, अपनी एनर्जी पर लगाम लगाए हुए परफ़ॉर्म करते देखकर आपको मजा आता है. 

2. कहानी के पहिए बने सपोर्टिंग किरदार 
'धुरंधर' जैसी स्पाई फिल्मों की सबसे बड़ी कमजोरी ये है कि सपोर्टिंग किरदार अपना असर नहीं छोड़ पाते. फिल्में हीरो को हाईलाइट करने में ही सारा व्यक्त लगा देती हैं. पर 'धुरंधर' हीरो के अलावा बाकी किरदारों को भी चमकने का मौका देती है 

अक्षय खन्ना का गैंगस्टर रहमान डकैत 'धुरंधर' की कहानी के लिए, रणवीर के हीरो जितना जरूरी है. अर्जुन रामपाल के मेजर इकबाल के बिना गैंगस्टर वर्ल्ड का टेरर कनेक्शन नहीं बन सकता. संजय दत्त के चौधरी असलम के एक्शन में आए बिना, भारत के ग्रैंड प्लान को जरूरी मूवमेंट नहीं मिलता. और ना ही राकेश बेदी के जमील जमाली के बिना गैंगस्टर्स का पॉलिटिकल कनेक्शन बनता. डोंगा, स्याही और उजैर बलोच जैसे सपोर्टिंग किरदारों को भी स्क्रीनप्ले ने इस्तेमाल किया है. सिर्फ एक-दो सीन्स में इस्तेमाल करके बीच में नहीं छोड़ा. 

Advertisement

3. रिक्त स्थान भरने वाला एंगल 
एलओसी पर तनावपूर्ण रिश्तों की देन ये है कि इस समय भारत की एक बहुत बड़ी जनसंख्या ऐसी है जिसने पाकिस्तान देखा ही नहीं है. ये एक बहुत बड़ा विजुअल गैप है. दूसरा बड़ा विजुअल गैप है, इस तरह के सीक्रिट ऑपरेशन्स से जुड़ी तस्वीरों या जानकारी की कमी. कॉन्सपिरेसी थ्योरीज ने भारतीय जनता को ये फैसिनेशन दिया है कि भारत, पाकिस्तान को जवाब देने के लिए वहां घुसकर ऑपरेशन करता रहा है. मगर ये सब होता कैसे है, ये कोई नहीं जानता. क्योंकि ऐसी कोई ऑफिशियल जानकारी या इमेज कूटनीतिक लेवल पर बहुत नुकसान पहुंचा सकती है. 

'धुरंधर' ये दोनों विजुअल गैप भरती है. इसमें आपको पहली बार इस लेवल के भारतीय सीक्रिट ऑपरेशन  की इमेज देखने को मिलती है. आप सोच रहे थे कि भारत ऐसे ऑपरेशन कैसे कर सकता है? 'धुरंधर' आपको स्क्रीन पर दिखाती है कि 'ऐसे होते हैं ये ऑपरेशन'. फिल्म ये भी दिखाती है कि अंदर से पाकिस्तान अब कैसा दिखता होगा. वहां लोगों की जिंदगी, पहनावा, बोलचाल, खाना-पीना, नाच-गाना कैसा होता होगा. 

ये कितना एक्यूरेट है ये तो कोई पाकिस्तानी ही बता सकता है. पर जिसने नहीं देखा, उसे ये सब 'धुरंधर' दिखा रही है. भारत पर आतंकी हमलों, भारतीय जान-माल का नुकसान और उसके बदले की कहानियां फिल्मों ने दिखाई हैं. पर उन आतंकी हमलों के पीछे पाकिस्तानी मास्टरमाइन्ड कैसे काम करते होंगे, ये 'धुरंधर' दिखाती है.

Advertisement

4. कहानी को आगे बढ़ाने वाली लव स्टोरी 
स्पाई फिल्मों की लव स्टोरी, कहानी को स्लो-डाउन करने लगती है. हीरो का प्रेम उसके एक्शन का इमोशनल जस्टिफिकेशन होती है. अगर प्रेमिका पाकिस्तानी है और हीरो भारतीय तो बात इमोशनल कनफ्लिक्ट वाली हो जाती है. मगर अधिकतर यही होता है कि लव स्टोरी पर फोकस, मुख्य नैरेटिव को धीमा कर देता है. 'धुरंधर' की लव स्टोरी फिल्म के प्लॉट में बुनी हुई है. लड़की पाकिस्तानी पॉलिटिशियन की बेटी है. हीरो उसका इस्तेमाल अपने मिशन को पूरा करने के लिए कर रहा है. उससे, उसके ही पिता की महत्वपूर्ण डिटेल्स निकलवाता है. ये 'धुरंधर' की कहानी को आगे बढ़ाता है.

5. बैकग्राउंड स्कोर और गाने 
'धुरंधर' के गानों का रोल फिल्म के स्क्रीनप्ले में बहुत बड़ा है. कहानी इन गानों से रुकती नही है. इनमें ही आगे बढ़ रही है. गानों को ऐसे इस्तेमाल किया गया है कि आपको कहीं भी ये गाने फिल्म की स्पीड स्लो करते हुए नहीं लगते. बल्कि गानों की बीट्स फास्ट है. 3 घंटे 30 मिनट लंबी फिल्म में अगर गाने स्लो होते तो फिल्म की लंबाई महसूस होने लगती. चाहे फिल्म का टाइटल ट्रैक हो, या 'इश्क जलाकर' और 'शरारत' जैसा आइटम नंबर. सबकी बीट्स कड़क और फास्ट हैं. 'गहरा हुआ' जैसा रोमांटिक ट्रैक भी फास्ट बीट्स पर है. ये ट्रिक लंबी फिल्म को भी लंबा नहीं लगने देती. 

Advertisement

'धुरंधर' हीरो के नाम का शोर मचाने वाली फिल्म नहीं है. हीरो से जनता को जो काम करने की उम्मीद है, वो वही कर रहा है. इस काम के लिए उसे हाईलाइट होने की बजाय, लोगों की परछाईं में रहना है. तो वो ऐसा ही कर रहा है. 'धुरंधर' जासूस को, जासूसी करता दिखा रही है.

डायरेक्टर आदित्य धर ने किरदारों और कहानी का मूड बिल्ड-अप करने के लिए लंबे शॉट्स यूज किए हैं. वो अपने दर्शक से इस माहौल को समझने की उम्मीद करते हैं. और जनता उन्हें इस भरोसे का ईनाम दे रही है. फिल्ममेकिंग की ये ईमानदारी ही 'धुरंधर' की कामयाबी का कारण बन रही है. इसी की वजह से जनता जमकर इसके टिकट खरीद रही है. और इसी वजह से फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भी कारनामे कर रही है. 

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement