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पैरेंटिंग को लेकर अनिल कपूर बोले- बहुत टफ जॉब है, मैं तो रोजाना एडवाइज लेता हूं

अनिल कपूर एक बेहतरीन एक्टर के साथ-साथ एक बेहतरीन पिता और पति भी हैं. फैमिली मैन की इमेज और परिवार के बारे में अनिल ने खुलकर बातचीत की है.

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अनिल कपूर
अनिल कपूर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अनिल कपूर ने पैरेंटिंग पर की खुलकर बातचीत
  • लिंकअप्स की खबरों पर पत्नी सुनिता का होता था ये रिएक्शन

असल जिंदगी में अनिल कपूर तीन बच्चों के पिता हैं. सोनम, रिया और हर्षवर्धन कपूर तीनों ही अपने करियर में सक्सेसफुल हैं. बच्चों संग बॉन्डिंग और फादरहुड पर अनिल कहते हैं, मैं असल जिंदगी में कैसा पिता हूं, इसका जवाब तो मेरे बच्चे ही बेहतर तरीके से दे सकते हैं. वैसे मैं कभी सख्त पिता नहीं रहा. वो मेरे फितरत में ही नहीं है. मैं मानता हूं कि आप बच्चों को जितना प्यार से काम करवा सकते हैं, वो गुस्से और सख्तीपन के साथ संभव नहीं हो पाती है.

अनिल आगे कहते हैं, हालांकि अब बच्चे बड़े हो गए हैं. हमारे सोच में डिफरेंस भी आया है. दोनों ही जनरेशन के थॉट्स को लेकर क्लैशेस होते रहते हैं. मैं खुद भी सीख ही रहा हूं. मुझमें भी बहुत सी खामियां होंगी, जिसे बदलने की जरूरत है. मैं सोचता हूं कि कैसे बेहतर पिता बनूं. अब तो लोगों से एडवाइज लेने लगा हूं कि भाई तू कैसे हैंडल करता है. बच्चें सुनते हीं नहीं हैं. मुझे लगता है कि उनकी खुद की चॉइसेस और टेस्ट हैं और उन्हें लेकर वो काफी स्ट्रॉन्ग ओपिनियन रखते हैं. मैं उन्हें कुछ भी जबरदस्ती नहीं करवा सकता हूं. वो नहीं करेंगे, जबतक आपकी सोच से वो कन्विंन्स न हो जाएं. पैरेंटिंग एक टफ जॉब है.

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बॉलीवुड इंडस्ट्री में इतने सिलेब्रिटी डिवोर्स हुए हैं, ऐसे में अनिल कपूर और सुनीता एक पावर कपल की मिसाल पेश करते हैं. अपनी सक्सेसफुल शादी का सीक्रेट बताते हुए अनिल कहते हैं, सच कहूं, इसमें मेरा कोई योगदान नहीं है. सारा क्रेडिट सुनीता को जाता है. मैंने बहुत सी गलतियां की हैं, जिसका मुआवजा मैं भर-भर कर दे रहा हूं. गलती भी एक हो, तो बताऊं.

वहीं समकालीन एक्ट्रेसेस संग लिंकअप की गॉसिप पर सुनीता के रिएक्शन पर अनिल कहते हैं, मैं बहुत ही तेज और शार्प था. मैं पतली गली से निकल जाया करता था. कभी पकड़ा ही नहीं गया. इसलिए इसे लेकर मेरे और सुनिता के बीच कोई लड़ाई नहीं हुई (हंसते हुए). वैसे कोई भी रिलेशनशिप बिना समझौते के नहीं संभव है. आपको पार्टनर का पॉइंट ऑफ व्यू भी समझना पड़ता है. एक-दूसरे खामियां और खूबियां दोनों को ही एक्सेप्ट करते हुए आगे बढ़ना होता है. आपको सामने वाले की पॉजिटिव क्वालिटी पर ज्यादा तवज्जों देनी चाहिए.

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