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'विनोद खन्ना और उनकी सौतेली मां...', बचपन में कैसे थे अक्षय खन्ना? स्कूल की जूनियर ने बताया

एक्टर अक्षय खन्ना फिल्म धुरंधर को लेकर चर्चा में बने हुए हैं. हाल ही में फिल्म के शानदार कलेक्शन के बीच एक जूनियर ने एक्टर को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है.

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फिल्म 'धुरंधर' में अक्षय खन्ना (Photo: x/@jiostudios)
फिल्म 'धुरंधर' में अक्षय खन्ना (Photo: x/@jiostudios)

बड़ा पर्दा हो या फिर सोशल मीडिया इस वक्त हर जगह अक्षय खन्ना छाए हुए हैं. इसके पीछे की वजह फिल्म 'धुरंधर' में उनकी दमदार एक्टिंग है. रणवीर सिंह स्टारर फिल्म में अक्षय खन्ना रहमान डकैत बन सुर्खियां बटोर रहे हैं. ऐसा कोई नहीं है, जो उनकी अदाकारी की तारीफ न कर रहा हो. इस बीच उनकी स्कूल की जूनियर ने एक्टर को लेकर खुलासा किया है.

दरअसल, पॉलिटिशियन और स्कूल में अक्षय खन्ना की जूनियर रहीं सायरा शाह हलीम ने हाल ही में बताया कि वो स्कूल के दिनों में काफी शर्मीले थे और पूरे स्कूल का उनपर क्रश था.

सायरा शाह हलीम ने शेयर की पोस्ट
सायरा शाह हलीम ने इंस्टाग्राम पर अक्षय खन्ना की एक फोटो शेयर कर लिखा,'लॉरेंस स्कूल लवडेल के 'ओरिजिनल हार्टब्रेक किड'. शायद मैंने यह पहले शेयर नहीं किया है, लेकिन अक्षय खन्ना लॉरेंस स्कूल लवडेल में हमसे कुछ साल सीनियर थे. जहां मैं अपने भाई मेजर मोहम्मद अली शाह के साथ बोर्डिंग में पढ़ती थी. लॉरेंस स्कूल लवडेल के हॉल में एक दिन बहुत एक्साइटमेंट थी, चर्चा थी कि विनोद खन्ना का बेटा क्लास 11th में एडमिशन ले रहा है और हम यह जानने के लिए उत्सुक थे कि वह कैसा दिखता है.'

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स्कूल के क्रश थे अक्षय खन्ना
'अगले दो सालों तक हमने उसे हर दिन देखा जब वह हमारे पास से गुजरता था, या कैंपस में ऊपर-नीचे घूमता था, कोई उससे तब टकरा जाता था जब वह टक शॉप से ​​बाहर आता था वगैरह वगैरह और यार, वह स्कूल का क्रश था! बस.'

'अक्षय फुटबॉल टीम का शोर-शराबा करने वाला कैप्टन नहीं था. वह शांत तूफान था. वह कम बोलने वाला और सोचने वाला था और उसने जो एकमात्र ड्रामा किया, वह अपने स्कूल के दोस्तों के दिलों में किया. अक्षय एक रहस्यमयी इंसान था. जो कभी स्कूल सोशल में नहीं जाता था, कभी बड़े ग्रुप्स का हिस्सा नहीं था, उसे बस लॉन में चाय पीते हुए या स्कूल कैंपस में अकेले टहलते हुए चुपचाप रहना पसंद था. पारंपरिक अर्थों में कभी 'लेडीज मैन' न होने के बावजूद वह कैंपस में सबसे पॉपुलर सीनियर था.'

सायरा ने अंत में लिखा, 'मुझे याद है कि उसके पापा विनोद खन्ना और सौतेली मां अक्सर उससे मिलने आते थे. बहुत बाद में मुझे हैरानी नहीं हुई कि वह फिल्मों में चला गया, कुछ फिल्में चलीं, कुछ नहीं चलीं, इन सब में एक बात वैसी ही रही - वह शुरू से आखिर तक शांत और रहस्यमयी रहा, जैसा वह अब है. मुझे खुशी है कि उन्हें पहचान मिल रही है.'

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