उत्तराखंड की मसूरी विधानसभा सीट देहरादून जिले में पड़ती है. मसूरी को पर्वतों की रानी भी कहा जाता है. हर साल बड़ी संख्या में सैलानी मसूरी पहुंचते हैं. मसूरी में ही लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी भी स्थित है. जो भारतीय प्रशासनिक सेवाओं के लिए एकमात्र प्रशिक्षण केंद्र है. देहरादून जिले की इस सीट पर फिलहाल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) काबिज है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
मसूरी विधानसभा सीट के चुनावी अतीत की बात करें तो साल 2007 के चुनाव में इस सीट से कांग्रेस ने जोत सिंह गुनसोला को उम्मीदवार बनाया था. कांग्रेस के टिकट पर जोत सिंह गुनसोला विधानसभा पहुंचे भी. 2012 में भी कांग्रेस ने अपने निवर्तमान विधायक जोत सिंह को टिकट दिया. इस बार बीजेपी के गणेश जोशी ने मनजोत सिंह गुनसोला को हरा दिया और मसूरी विधानसभा सीट से विधायक निर्वाचित हुए. मनजोत को नौ हजार वोट से अधिक के अंतर से हार मिली थी. निर्दलीय गोदावरी थापा तीसरे स्थान पर रहे थे.
2017 का जनादेश
मसूरी विधानसभा सीट से 2017 के चुनाव में बीजेपी ने अपने निवर्तमान विधायक गणेश जोशी पर ही भरोसा बरकरार रखा. कांग्रेस ने इस बार गोदावरी थापा को उम्मीदवार बनाया था. बीजेपी के गणेश ने कांग्रेस के गोदावरी थापा को करीब 19 हजार वोट के अंतर से हरा दिया था. निर्दलीय उम्मीदवार राजकुमार जायसवाल तीसरे स्थान पर रहे थे.
सामाजिक ताना-बाना
मसूरी विधानसभा सीट के सामाजिक समीकरणों की बात करें तो इस विधानसभा क्षेत्र में हर जाति-वर्ग के मतदाता रहते हैं. मसूरी विधानसभा क्षेत्र में कुल करीब सवा लाख से अधिक मतदाता हैं. राजपूत और ब्राह्मण मतदाता यहां अच्छी तादाद में हैं. पर्वतीय और अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाता इस सीट का चुनाव परिणाम निर्धारित करने में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
विधायक का रिपोर्ट कार्ड
मसूरी विधानसभा सीट से विधायक बीजेपी के गणेश जोशी सूबे की सरकार में मंत्री भी हैं. गणेश जोशी का दावा है कि उनके कार्यकाल में इलाके का चहुंमुखी विकास हुआ है. राज्य सरकार में मंत्री बनाए जाने के बाद गणेश जोशी का कद मजबूत हुआ है तो वहीं जातीय और क्षेत्रीय समीकरण भी उनके पक्ष में नजर आ रहे हैं. कांग्रेस का दावा है कि विधायक इलाके की समस्याओं के निराकरण में विफल रहे हैं.