गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 156 सीटें हासिल कर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. बीजेपी की गुजरात में इस सुनामी से कांग्रेस को भारी नुकसाना का सामना करना पड़ा और वह 17 सीटों पर सीमट गई. गुजरात में कांग्रेस की ये सबसे बड़ी हार है. बीजेपी की इस बंपर जीत में पाटीदार समुदाय का अहम योगदान रहा. पाटीदार समुदाय के एक वर्ग ने 2017 विधानसभा चुनाव में पाटीदार कोटा आंदोलन के कारण गुस्से में आकर बीजेपी के खिलाफ मतदान किया था. यही समुदाय इस चुनाव में बीजेपी के साथ आ गया और यही कारण रहा कि बीजेपी को इतनी बड़ी जीत मिली.
भारतीय जनता पार्टी को गुजरात विधानसभा चुनावों में शानदार जीत मिली. कहा जा रहा है कि इस जीत में पाटीदार समुदाय का खासा योगदान है. भाजपा ने पाटीदार बाहुल्य निर्वाचन क्षेत्रों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. लगभग हर सीट पर जीत हासिल की है, जिसमें पटेलों की अच्छी खासी आबादी है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस ने 2017 में मोरबी, टंकरा, धोराजी और अमरेली की पाटीदार बाहुल्य सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, ये सभी विधानसभा सीटें इस बार भाजपा के कोटे में आ गया. यहां पाटीदार समुदाय ने बड़े पैमाने पर सत्ताधारी दल का समर्थन किया. भारतीय जनता पार्टी ने वराछा रोड, कतारगाम और ओलपाड की पाटीदार सीटों पर बड़े अंतर से जीत हासिल की है. हालांकि यहां आम आदमी पार्टी भी कुछ सीटों पर पाटीदार समुदाय के वोट से जीत की उम्मीद कर रही थी.
उत्तर गुजरात में, कांग्रेस ने पांच साल पहले पाटीदार बहुल उंझा सीट जीती थी, लेकिन इस बार वह भाजपा से हार गई. बीजेपी ने 2022 के चुनाव से पहले पटेल समुदाय तक पहुंच बनाई. सितंबर 2021 में पार्टी ने अपने मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की जगह वर्तमान भूपेंद्र पटेल को सीएम बना दिया. सत्तारूढ़ बीजेपी ने पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता रहे हार्दिक पटेल को कांग्रेस से अपनी पार्टी में शामिल कर लिया और उन्हें वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा. यहां से उन्होंने भारी अंतर से जीत दर्ज की. सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 फीसदी आरक्षण यानि EWS कोटा दिए जाने से भाजपा को राज्य और केंद्रीय स्तर पर फायदा हुआ.
पाटीदार आंदोलन का असर
गुजरात में 2017 के विधानसभा चुनाव पर कोटा आंदोलन का असर था. तब हार्दिक पटेल के नेतृत्व में समुदाय के लिए ओबीसी का दर्जा हासिल करने के लिए शुरू कोटा आंदोलन चला था. 2017 के चुनावों में, 182 में से 150 सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित करने के बावजूद भाजपा को सिर्फ 99 सीटें मिलीं थीं. पाटीदार कोटा आंदोलन और भाजपा के खिलाफ हार्दिक पटेल के जोरदार अभियान की बदौलत विपक्षी कांग्रेस तब 77 सीटों पर विजयी हुई थी. गुजरात में लगभग 40 सीटें ऐसी हैं जहां पाटीदार मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. ये सीटें राज्य के ग्रामीण और शहरी इलाकों में फैली हुई हैं. हालांकि गुजारात में पटेलों की आबादी का लगभग 18 प्रतिशत हिस्सा है. 2017 में 44 पाटीदार विधायक चुने गए थे.
इन सीटों पर पाटीदार समुदाय का दबदबा
सौराष्ट्र क्षेत्र में पाटीदार मतदाताओं के प्रभाव वाली सीटों में मोरबी, टंकारा, गोंडल, धोराजी, अमरेली, सावरकुंडला, जेतपुर, राजकोट पूर्व, राजकोट पश्चिम और राजकोट दक्षिण शामिल हैं. जबकि उत्तरी गुजरात में विजापुर, विसनगर, मेहसाणा और उंझा सीटों पर पाटीदार मतदाताओं की काफी संख्या है. अहमदाबाद शहर की कम से कम पांच सीटों घाटलोडिया, साबरमती, मणिनगर, निकोल और नरोदा को भी पटेल बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है. दक्षिण गुजरात में, सूरत जिले की कई सीटों को पाटीदारों का गढ़ माना जाता है. जिनमें वराछा, कामरेज, कतारगाम और सूरत उत्तर शामिल हैं. 2022 के चुनावों के लिए, भाजपा ने 41 पाटीदारों को टिकट दिया था. आप ने समुदाय से बड़ी संख्या में सदस्यों को टिकट भी दिया था. इस समुदाय को खुश रखने के लिए भाजपा ने यह भी घोषणा की थी कि चुनाव के बाद भूपेंद्र पटेल को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. इसका बीजेपी को बड़ा लाभ हुआ और इतनी बड़ी जीत मिली.