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बिहार विधानसभा चुनाव: दरभंगा में बुजुर्ग वोटरों का झुकाव नितीश की तरफ, बोले- विकास हुआ लेकिन अब नई सोच चाहिए, 'PK' को बताया सपनों का सौदागर

बिहार विधानसभा चुनाव में सीनियर सिटीजन मतदाताओं का रुख काफी दिलचस्प नजर आ रहा है. दरभंगा के दोनार चौक पर आजतक की टीम ने जब बुजुर्ग वोटरों से बातचीत की तो ज्यादातर ने वर्तमान नितीश सरकार पर भरोसा जताया. वहीं, कुछ लोगों ने बदलाव की जरूरत बताते हुए कहा कि हर सरकार पहले कार्यकाल में अच्छा काम करती है, लेकिन बाद में ढीली पड़ जाती है.

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बुजुर्गों की जुबानी बिहार का मूड.(Photo: Prahalad Kumar/ITG)
बुजुर्गों की जुबानी बिहार का मूड.(Photo: Prahalad Kumar/ITG)

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, मतदाताओं का रुख जानने के लिए आजतक की टीम दरभंगा के दोनार चौक पहुंची, जहां सीनियर सिटीजन मतदाताओं ने खुलकर अपनी राय रखी. इस दौरान बुजुर्ग मतदाताओं ने अपनी बेबाक राय देकर यह स्पष्ट कर दिया कि राज्य के चुनावी समीकरणों में अनुभव की आवाज भी अहम भूमिका निभाने वाली है.

दरअसल, दरभंगा में अधिकांश बुजुर्ग मतदाता वर्तमान मुख्यमंत्री नितीश कुमार की सरकार से संतुष्ट नजर आए. उनका कहना था कि अब तक जितनी भी सरकारें बिहार में आईं, उनमें नितीश कुमार की सरकार सबसे बेहतर रही है. वहीं, एक बुजुर्ग मतदाता ने कहा सड़क, बिजली, स्वास्थ्य और शिक्षा हर क्षेत्र में सरकार ने उल्लेखनीय काम किया है. उन्होंने माना कि नितीश कुमार ने सभी वर्गों को ध्यान में रखकर योजनाएं चलाईं और बिहार के विकास की गति को तेज किया.

बिहार विधानसभा चुनाव

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हालांकि, कुछ सीनियर सिटीजन ने वर्तमान सरकार से असहमति भी जताई. उन्होंने कहा कि हर सरकार अपने पहले कार्यकाल में अच्छा काम करती है, लेकिन बाद में ढर्रे पर आ जाती है. एक बुजुर्ग ने कहा, बदलाव जरूरी है, ताकि नए लोगों को मौका मिले और बिहार में नई सोच विकसित हो. वहीं, कुछ ने यह भी कहा कि नितीश कुमार ने किसानों के लिए कोई बड़ा काम नहीं किया.

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दिलचस्प बात यह रही कि कई बुजुर्गों ने सीनियर सिटीजन के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने की मांग रखी. उनका कहना था कि सरकार को बुजुर्गों की समस्याओं, स्वास्थ्य, पेंशन और सम्मानजनक जीवन के लिए अलग व्यवस्था करनी चाहिए. जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर पर भी बुजुर्ग मतदाताओं ने खुलकर राय दी.

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कुछ ने उन्हें ‘वोटकटुआ’ बताया तो कुछ ने कहा कि वे अत्यधिक महत्वाकांक्षी हैं. वहीं, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर के वादों पर बुजुर्गों ने कहा कि नेता चुनाव के समय बड़ी-बड़ी बातें करते हैं, लेकिन उनका कितना पालन होता है, यह देखने वाली बात होगी. कुल मिलाकर, बिहार के बुजुर्ग मतदाता इस बार भी अपने अनुभव के आधार पर वोट डालने की तैयारी में हैं. कुछ स्थिरता चाहते हैं, तो कुछ बदलाव की राह देख रहे हैं.

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