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UP Board: हिंदी में क्यों फेल हो रहे हैं छात्र?

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी किए गए 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के नतीजों में हिंदी विषय का रिजल्ट काफी खराब रहा है. हिंदी के खराब रिजल्ट के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर छात्र मातृभाषा में क्यों फेल हो रहे हैं...

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से जारी किए गए 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा के नतीजों में हिंदी विषय का रिजल्ट काफी खराब रहा है. बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट कक्षाओं में करीब 11 लाख छात्र-छात्राएं हिंदी में ही फेल हो गए हैं. बता दें कि 10वीं कक्षा में 3028767 परीक्षार्थियों ने भाग लिया , जिसमें 780582 (25.77 प्रतिशत) परीक्षार्थी असफल हो गए. जबकि 12वीं बोर्ड परीक्षा में 2604093 छात्र-छात्राओं में से 338776 (13 फीसदी) विद्यार्थी पास हो गए हैं.

वहीं क्षेत्रीय भाषाओं में परीक्षा देने वाले सभी उम्मीदवार पास हुए हैं और उनका पास प्रतिशत 100 रहा है. इसमें असमी, मलयालम, मराठी, नेपाली आदि भाषाएं शामिल है. गणित में 74.45 फीसदी विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं. हाईस्कूल की गणित विषय की परीक्षा में कुल 20 लाख 99 हजार 376 विद्यार्थी पंजीकृत थे, जिनमें से 20 लाख 27 हजार 436 ने परीक्षा दी और 15 लाख 9 हजार 466 विद्यार्थी सफल रहे. हिंदी के खराब रिजल्ट के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिर छात्र मातृभाषा में क्यों फेल हो रहे हैं...

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यूपी बोर्ड परीक्षा में 150 स्कूलों के सारे छात्र हो गए फेल

अन्य विषयों पर ज्यादा ध्यान- हिंदी में बच्चों के फेल होने की सबसे अहम वजह हिंदी पर ज्यादा ध्यान ना देना हो सकती है. दरअसल टीचर्स से लेकर पेरेंट्स तक सभी विज्ञान, अंग्रेजी, गणित विषयों को अहम मानते हैं और हिंदी पर ध्यान नहीं देते हैं. इसका नतीजा ये होता है कि बच्चे हिंदी की तैयारी नहीं कर पाते हैं और परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं करते.

हिंदी लिखने में कमजोर- आजकल अधिकतर लोग मोबाइल और कंप्यूटर पर हमेशा अंग्रेजी में ही टाइप करते हैं. साथ ही आम बोलचाल में भी अंग्रेजी टेक्स्ट का ही इस्तेमाल करते हैं. इससे बच्चों की हिंदी लिखने की आदत खत्म हो रही है और विद्यार्थी ज्यादा व जल्दी नहीं लिख पाते हैं. यह भी हिंदी में फेल होने की अहम वजह साबित हो सकती है.

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ज्यादा ध्यान नहीं- जब भी परीक्षा का वक्त पास आता है तो परीक्षार्थी पहले से ही तैयारी शुरू कर देते हैं. लेकिन बच्चे परीक्षा से पहले की जाने वाली तैयारी में हिंदी पर ध्यान नहीं देते हैं और सोचते हैं कि इसे बाद में पढ़ लिया जाएगा, लेकिन कई टॉपिक क्लियर नहीं होने की वजह से उन्हें खराब रिजल्ट का सामना करना पड़ता है.

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150 स्कूलों के सभी बच्चे फेल

बोर्ड ने उन 98 स्कूलों की जानकारी दी है, जिनका कक्षा 10वीं में 0 फीसदी रिजल्ट रहा है, जबकि 52 उन स्कूलों का नाम भी सामने आया है, जिनका एक भी बच्चा कक्षा 12वीं में पास नहीं हुआ है. इस मुद्दे को लेकर बोर्ड की सचिव ने टीओआई को बताया कि इस साल कॉपी चेक करने को लेकर सख्त निर्देश जारी किए गए थे. सचिव के अनुसार जल्द ही बोर्ड उन स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.

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