दिल्ली यूनिवर्सिटी के ऑनलाइन एग्जाम से जुड़े मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने डीयू को निर्देश दिया है कि वह पहले मॉक टेस्ट का पूरा डेटा कोर्ट के सामने रखे.
कोर्ट ने डीयू को कहा है कि वो बताए कि कितने स्टूडेंट्स ने उसके मॉक टेस्ट में हिस्सा लिया था. इसमें छात्रों को क्या परेशानियां आई थीं. इसके अलावा ये भी पूछा है कि पोर्टल पर क्या क्या तकनीकी दिक्कतें देखने को मिलीं.
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मॉक टेस्ट 2 फेज में कराया जाएगा. पहला 27 से 29 जुलाई के बीच में और दूसरा 1 से 4 अगस्त के बीच में. कोर्ट ने यूनिवर्सिटी को कहा है कि 27 को हुए मॉक टेस्ट का डाटा कोर्ट में पेश किया जाए. यूनिवर्सिटी पहले ही कोर्ट को बता चुकी है कि 5 दिन के अंतराल पर 10 अगस्त को ऑनलाइन ओपन बुक एग्जाम की शुरुआत की जा सकती है.
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है, इसीलिए हाईकोर्ट ने इस मुद्दे की सुनवाई फिलहाल 28 जुलाई तक के लिए स्थगित कर दी है. दिल्ली यूनिवर्सिटी ने हाईकोर्ट में दिए अपने हलफनामे में साफ कर दिया है कि वह अगले महीने अगस्त में परीक्षाएं कराने के लिए तैयार है. परीक्षाएं सितंबर तक खत्म हो जाएंगी लेकिन नतीजे के लिए डीयू नवंबर तक का वक्त मांग रहा है.
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परीक्षाओं से पहले दो फेज में मॉक टेस्ट की तैयारी भी की जा रही है. फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट देखना चाहता है कि ऑनलाइन परीक्षाओं से पहले कराए जाने वाले मॉक टेस्ट कितने सफल हैं और उसमें किस तरह की दिक्कतें आई थीं.
बता दें कि दिल्ली यूनिवर्सिटी के 2 लाख 70 हज़ार फाइनल ईयर के छात्र इन ऑनलाइन परीक्षाओं का इंतजार कर रहे हैं. 10 जुलाई को यह परीक्षाएं होनी थीं लेकिन पोर्टल पर कुछ तकनीकी खामियां और कुछ छात्रों द्वारा दिल्ली हाईकोर्ट में लगाई याचिका के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी ने परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था.
बता दें कि हाईकोर्ट उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें छात्रों ने 10 जुलाई को होने वाली ऑनलाइन परीक्षाओं को रद्द करने की मांग की थी. इसकी वजह ये है कि यूनिवर्सिटी की तरफ से यह फैसला आनन-फानन में लिया गया था. छात्रों की इस को लेकर कोई तैयारी नहीं थी. इसीलिए दिल्ली हाईकोर्ट में 10 जुलाई की परीक्षाओं को चुनौती देने के लिए तकरीबन आधा दर्जन याचिकाएं लगाई गईं.
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कोर्ट ने कहा था कि दिल्ली यूनिवर्सिटी अगर 10 जुलाई को होने वाली परीक्षाओं के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी तो फिर इसकी घोषणा आनन-फानन में क्यों की गई? हाईकोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को फटकार लगाते हुए कहा था कि 10 जुलाई को होने वाली परीक्षाओं से पहले ही मॉक टेस्ट में ही पोर्टल में तमाम दिक्कतें दिखाई दीं.
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कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से ये भी कहा था कि इस मामले में उन्हें खुद अपने छात्रों के भविष्य की फिक्र होनी चाहिए. अगर परीक्षाएं समय पर नहीं हो पाईं और उसके बाद नतीजे आने में देरी हुई तो छात्रों का पूरा 1 साल बर्बाद हो सकता है. दिल्ली यूनिवर्सिटी के तकरीबन ढाई लाख छात्र इस वक्त फाइनल ईयर के एग्जाम देने के लिए तैयार हैं.अगर इन छात्रों को सितंबर तक मार्कशीट नहीं मिली तो आगे की यूनिवर्सिटी में खासतौर से विदेशी यूनिवर्सिटीज में इन छात्रों को एडमिशन नहीं मिल पाएगा. दूसरा अभी परीक्षा की तारीख तय नहीं होने के चलते पैदा हुई अनिश्चितता और 10 जुलाई की परीक्षाएं रद्द होने के बाद से छात्रों को मानसिक तनाव का सामना भी करना पड़ रहा है.