उदारीकरण की नीति के साथ ही भारत में एक पेशे के रूप में सोशल वर्क अधिक प्रसांगिक हो गया है. ऐसा होना स्वाभाविक भी है क्योंकि उदारीकरण की नीति के परिणामस्वरूप निश्चय ही भारतीय अर्थव्यवस्था का अति तीव्र विस्तार हुआ परंतु इसका लाभ भारत में उच्च वर्ग, उच्च मध्य-वर्ग, मध्य-वर्ग और शिल्प-निपुण वर्ग के लोगों को ही प्राप्त हो पाया.
दूसरी तरफ, सरकार की नीति सब्सिडी के बोझ को न्यूनतम स्तर पर लाकर राजकोषीय घाटे को नियंत्रित करने की रही जिससे अर्थव्यवस्था के लाभ का लोगों में पुनर्वितरण नहीं हो पाया. इन सबसे मार्जिन पर खड़े लोगों के जीवन यापन का संकट बढता चला गया. सरकारी और गैरसरकारी, दोनों ही धरातलों पर ऐसी स्थिति में वैक्लपिक रणनीति को अपनाकर उस समस्या के उचित हल को समाज के सामने रखना सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से जरूरी होता चला गया. इस बढ़ती जरूरत के साथ ही साथ एक करियर ऑप्शन के रूप में सोशल वर्क की चमक भी बढती चली गई.
विश्वविद्यालयों एवं निजी संस्थानों में एक विषय के रूप में सोशल वर्क की लोकप्रियता लगातार बढती चली गई. छात्रों को इस विषय के अंतर्गत कम्युनिटी ऑर्गनाइजेशन, सोशल पॉलिसी प्लानिंग, इकोलॉजी, इकनॉमिक्स, साइकोलॉजी, लॉ, पॉलिटिकल साइंस, हेल्थ, जेंडर स्टडीज, चाइल्ड केयर, फैमिली सर्विस, बायोलॉजी और मेडिकल साइंस से जुड़े विषय की शिक्षा दी जाती है. इन विषयों की शिक्षा प्राप्त कर आप अपनी रुचि के अनुरूप क्लिनिकल सोशल वर्क, मेडिकल सोशल वर्क, स्कुल सोशल वर्क, एडमिनिस्ट्रेशन या मैनेजमेंट सोशल वर्क, सोश लवर्क इन चाइल्ड एंड फैमिली केयर, कम्यूनिटी ऑर्गनाइजर में से किसी भी क्षेत्र में अपने लिए सही करियर की तलाश कर सकते हैं जो पैसे के साथ-साथ आपको सुकून भी दे सकेगा. लेकिन इसके लिए, अगर संभव हो सके, इनमें से किसी भी संस्थान के साथ जुड़कर इस विषय की प्रॉपर ट्रेनिंग जरूर हासिल करें:
(1) डिपार्टमेंट ऑफ सोशल वर्क, दिल्ली विश्वविद्यालय
(2) टाटा इंस्टीट्युट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई
(3) डॉ अंबेडकर इंस्टीट्युट ऑफ सोशल साइंस, आगरा
(4) जामिया मिलिया इस्लामिया, ऩई दिल्ली
(5) इंदिरा गांधी नेशनल ओपन युनिवर्सिटी, नई दिल्ली
स्नातक स्तर की परीक्षा पास करने के बाद कोई भी छात्र प्रतियोगी प्रवेश परीक्षा पास कर इन संस्थानों से जुड़ सकता है. वैसे 12वीं की परीक्षा पास कर लेने के बाद भी बीएसडब्ल्यू का कोर्स किया जा सकता है. ग्रैजुएशन की डिग्री लेने के बाद दो सालों के एमएसडब्ल्यू की डिग्री हासिल की जा सकती है.
अगर छात्र चाहें तो एमएसडब्ल्यू की डिग्री लेने के बाद एम फिल या पी एच डी का कोर्स भी पूरा कर एक चमकदार करियर की तरफ कदम उठा सकते हैं जहां पैसे के साथ-साथ आपको सुकून भी मिल पाएगा.