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व‍िरोध के बाद दिल्ली यूनिवर्स‍िटी ने वापस लिया अपना बड़ा आदेश, सीनियर श‍िक्षकों पर बढ़ाया था वर्कलोड

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) के सचिव और एक अन्य शिक्षक ने कहा कि सरकार से अतिरिक्त शिक्षकों की मांग करने के बजाय, मौजूदा शिक्षकों पर अधिक शिक्षण घंटों का बोझ डाला जा रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ये एक और हमला है. DUTA भी नीतिगत मुद्दों पर चुप है! 2018 के UGC विनियम (और 2010 से पहले के विनियम) ऐसा कोई भेद नहीं करते हैं.

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Delhi University
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दिल्ली विश्वविद्यालय ने आलोचना के बाद मंगलवार को सीन‍ियर फैकल्टी से संबंधित सर्कुलर वापस ले लिया. इस सर्कुलर में सीन‍ियर फैकल्टी मेंबर्स का वर्कलोड जूनियर समकक्षों के बराबर बढ़ा दिया गया था. सोशल मीडिया पर शिक्षण कर्मचारियों की ओर से इस सर्कुलर की कड़ी आलोचना की गई थी. 

गौरतलब है कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने मंगलवार की सुबह ही यह सर्कुलर जारी किया था. सर्कुलर में डीयू के कॉलेजों और विभागों के 
प्र‍िंस‍िपल्स और डायरेक्टर्स को डायरेक्शन द‍िया गया. न‍िर्देशों में प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों को वही कार्यभार सौंपने की बात की गई जो आमतौर पर अस‍िस्टेंट प्रोफेसरों जैसे निचले स्तर के पदों को दिया जाता है. 

यूजीसी के मानदंडों के अनुसार, वरिष्ठ संकाय सदस्यों (प्रोफेसरों और एसोसिएट प्रोफेसरों) को सप्ताह में 14 घंटे काम करना होता है, जबकि जूनियर संकाय (सहायक प्रोफेसरों) को 16 घंटे का साप्ताहिक कार्यभार होता है.सर्कुलर में करियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) प्रमोशन का हवाला देते हुए वरिष्ठ पदों पर कार्यभार दो घंटे बढ़ाने का प्रस्ताव किया गया था. 

डिप्टी रजिस्ट्रार कार्यालय द्वारा जारी आदेश में कहा गया कि पदधारी सहायक प्रोफेसर के मुख्य पद से जुड़ा कार्यभार संभालेंगे, भले ही उन्हें एसोसिएट प्रोफेसर या प्रोफेसर के रूप में कोई पदोन्नति मिली हो, क्योंकि सीएएस के तहत पदोन्नति व्यक्ति विशेष के लिए होती है. 

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इस कदम पर सोशल मीडिया पर फैकल्टी मेंबर्स ने आपत्ति जताते हुए आलोचना की. कुछ ने प्रशासन पर अतिरिक्त शिक्षण स्टाफ की भर्ती करने के बजाय चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम (एफवाईयूपी) की भरपाई के लिए कार्यभार बढ़ाने का आरोप लगाया. डीयू के प्रोफेसर और एकेडम‍िक काउंस‍िल के सदस्य मिथुराज धुसिया ने पीटीआई से कहा कि जब यूजीसी के नियम सीधी भर्ती या पदोन्नति के माध्यम से एसोसिएट प्रोफेसरों के बीच अंतर नहीं करते हैं, तो डीयू यह नोट‍िफिकेशन क्यों जारी कर रहा है? इसे पूरी तरह से खारिज किया जाना चाहिए और डीयू को तुरंत इस अधिसूचना को वापस लेना चाहिए. 

डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (DTF) के सचिव और एक अन्य शिक्षक ने कहा कि सरकार से अतिरिक्त शिक्षकों की मांग करने के बजाय, मौजूदा शिक्षकों पर अधिक शिक्षण घंटों का बोझ डाला जा रहा है. दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा ये एक और हमला है. DUTA भी नीतिगत मुद्दों पर चुप है! 2018 के UGC विनियम (और 2010 से पहले के विनियम) ऐसा कोई भेद नहीं करते हैं. नियमों के अनुसार, वरिष्ठ शिक्षकों के लिए प्रत्यक्ष शिक्षण घंटे 14 और जूनियर शिक्षकों के लिए 16 हैं. डीयू अध्यादेश भी 2018 के UGC विनियमों को दोहराता है. 

आलोचना के बाद डीयू ने शाम को एक नया सर्कुलर जारी किया जिसमें कहा गया कि शिक्षकों के कार्यभार से संबंधित पहले का सर्कुलर वापस ले लिया गया है. इसमें आगे कहा गया कि इसके अलावा यह सूचित किया जाता है कि इस संबंध में बाद में स्पष्टीकरण यदि कोई हो विश्वविद्यालय द्वारा उचित समय पर जारी किया जाएगा.

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