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दिल्ली में लगने वाला है ग्रैप-2? अगर लग गया तो क्या-क्या काम नहीं कर पाएंगे

Delhi Pollution AQI: दिल्ली में दीवाली और सर्दी से पहले ही एक्यूआई लेवल बढ़ने लगा है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही दिल्ली में ग्रैप -2 लागू किया जा सकता है, जिसके बाद प्रदूषण को बढ़ावा देने वाले कई कामों पर बैन लग जाएगा.

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दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. (Photo: PTI)
दिल्ली में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. (Photo: PTI)

दिवाली और सर्दी आने से पहले ही दिल्ली की हवा प्रदूषित होने लगी है. 'जहरीली' होती दिल्ली की हवा के बीच कहा जा रहा है कि दिल्ली में जल्द ही ग्रैप-2 लागू किया जा सकता है. अगर ऐसा होता है तो दिल्ली में उन कामों पर रोक लग जाएगी, जिनसे प्रदूषण बढ़ने की आशंका रहती है. ऐसे में जानते हैं कि आखिर ये ग्रैप है क्या और इसकी कितनी कैटेगरी है. इसके अलावा जानते हैं कि किस लेवल में कौन-कौन से काम करने की इजाजत नहीं दी जाती है. तो जानते हैं कि दिल्ली के ग्रैप और उसके नियमों के बारे में...

क्या होता है ग्रैप?

ग्रैप का मतलब GRAP से है. GRAP का फुल फॉर्म ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान है. ये सरकार की एक योजना है, जिसे दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण के खिलाफ बनाया गया है. इस प्लान के जरिए प्रदूषण को कंट्रोल किया जाता है. दरअसल, इसके कई चरण हैं और ये चरण भी बढ़ते प्रदूषण के साथ बढ़ते जाते हैं. जैसे जैसे चरण बढ़ते हैं, वैसे वैसे दिल्ली में पाबंदियां भी बढ़ती जाती हैं.  

कितने लेवल हैं?

GRAP के करीब 4 चरण होते हैं. जब दिल्ली में हवा 201 से 300 एक्यूआई तक खराब होती है तो पहला चरण लागू किया जाता है. इसके बाद अगर हवा ज्यादा खराब होती है और एक्यूआई 301 से 400 तक पहुंच जाता है तो इसका दूसरा चरण लागू हो जाता है. अगर हवा ज्यादा खराब हो जाए यानी एक्यूआई 400 से भी ज्यादा हो जाए तो तीसरा चरण लगता है और हालात ज्यादा खराब होने पर GRAP का चौथा लेवल लागू कर दिया जाता है. 

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किस कैटेगरी के क्या हैं नियम?

ग्रैप-1: अभी दिल्ली में ग्रैप-1 लागू हो चुका है. ग्रैप का पहला लेवल है, जिसमें प्रदूषण को बढ़ने से रोकने के लिए शुरुआती कदम उठाए जाते हैं. ग्रैप-1 में निर्माण और तोड़फोड़ साइटों को धूम कम करने के लिए सभी उपायों का ध्यान रखना होता है. 500 स्क्वायर मीटर से ज्यादा के कंस्ट्रक्शन वर्क के लिए पहले रजिस्ट्रेशन जरूरी कर दिया जाता है. ओपन में कचरा ना डालने के लिए कहा जाता है और मलबा आदि को ढककर रखना होता है. डंपिंग साइट्स पर आग रोकने के लिए प्रयास किए जाते हैं और जिन ट्रकों को दिल्ली नहीं आना, उन्हें पेरिफेरल से डायवर्ट किया जाता है. कोयले, लकड़ी के इस्तेमाल पर रोक लगा दी जाती है. 

ग्रैप-2: ग्रैप-2 में पाबंदियों को बढ़ा दिया जाता है. जैसे पार्किंग फीस को बढ़ाया जाता है और मेट्रो के चक्कर में बढ़ावा किया जाता है. डीजल जनरेटर पर रोक लगती है और नैचुरल गैस जनरेटर चलाने के लिए कहा जाता है. इसके अलावा आग, कोयला आदि पर कई तरह की पाबंदियां लगाई जाती हैं. 

ग्रैप-3: GRAP-3 में एनसीआर राज्यों से प्रदूषण फैलाने वाली बसों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. अब एनसीआर से प्रदूषण फैलाने वाली बसों की दिल्ली में एंट्री नहीं होगी. सीएनजी, बीएस VI और इलेक्ट्रिक बसों को इसमें छूट रहेगी. इसके अलावा भारतीय पर्यटक परमिट वाली बसों या टेम्पो यात्रियों पर भी ये लागू नहीं होगा. इसके साथ ही कंस्ट्रक्शन पर कई पाबंदियां लग जाएगी. 

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हालांकि, बताया जा रहा है कि इस बार कुछ छूट दी जा सकती है. वेल्डिंग और गैस कटिंग के बड़े काम नहीं हो सकेंगे. छोटे काम जैसे मैकेनिकल, इलेक्ट्रिक और प्लंबिंग को छूट दी जा सकती है. सीमेंट, प्लास्टर और कोटिंग का काम नहीं हो सकेगा लेकिन छोटे इंडोर रिपेयर और मेंटिनेंस काम किए जा सकेंगे. टाइल, स्टोन और फ्लोर मटिरियल की कटिंग, ग्राइंडिंग और फिक्सिंग का काम नहीं हो सकेगा.

ग्रैप-4: ग्रैप-4 में सीएनजी, इलेक्ट्रिक ट्रक और इमरजेंसी सामान ले जा रहे ट्रकों को ही दिल्ली में प्रवेश दिया जाता है. इसके अलावा ईवी/सीएनजी/बीएस-VI डीजल वाहनों को छोड़कर, गैर-दिल्ली-पंजीकृत एलसीवी को दिल्ली में अनुमति नहीं दी जाती है. राजमार्ग, सड़क, फ्लाईओवर, ओवरब्रिज, पाइपलाइन आदि पब्लिक परियोजनाओं के कार्य को रोक दिया जाता है. वहीं, स्कूलों में छुट्टी कर दी जाती है और ऑनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया जाता है. साथ ही वर्क फ्रॉम होम करने पर जोर दिया जाता है. 

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