
चंगेज खान का नाम इतिहास के सबसे क्रूर और भयावह शासकों में गिना जाता है. जिसने 13वीं सदी में मंगोल साम्राज्य की स्थापना के दौरान लाखों लोगों की जान ली, यहां तक कि जिस नगर ने प्रभुत्व स्वीकार नहीं किया वहां के जानवरों तक को भी नहीं छोड़ा. निशापुर में मंगोल राजकुमार की हत्या के प्रतिशोध में चंगेज खान ने अपनी सेना को आदेश दिया कि 'नगर को इस तरह विध्वंस किया जाए कि पूरे नगर में हल चलाया जा सके.'
चंगेज खान ने 1220 ई. में निशापुर (अब ईरान में) में 17 लाख 47 हजार, जबकि 1222 ई. में हिरात (अब अफ़ग़ानिस्तान में) में 16 लाख और 1258 ई. में बगदाद (अब इराक में) पर आधिपत्य करते समय 8 लाख लोगों की जान ली थी. इन इस्लामिक शहरों में अधिकांश मारे गए लोग मुस्लिम नागरिक थे. इसीलिए अक्सर यह सवाल उठता है कि चंगेज खान किस धर्म को मानता था. कई लोग मानते हैं कि वह मुस्लिम था, लेकिन ऐतिहासिक तथ्य और विशेषज्ञों की राय इस धारणा को गलत साबित करती है.

कौन था चंगेज खान?
चंगेज खान का जन्म 1162 ई. के आसपास आधुनिक मंगोलिया के उत्तरी भाग में ओनोन नदी के पास हुआ था. उसका नाम तेमुजिन था. उसके पिका का नाम येसूजेई था, जो कियात कबीले का मुखिया था और उसकी मां का नाम ओलुन इके था. पिता की हत्या के बाद मां ओलुन इके ने तेमुजिन (चंगेज खान) और उसके सगे व सौतेले भाइयों को पाला था. कहा जाता है कि तेमुजिन ने पहली जंग अपनी पत्नी बोरटे को बचाने के लिए की थी, जिसका अपहरण कर लिया गया था. 1206 ई. में चंगेज खान मंगोल लोगों का राजा बन गया था और अनुशासित सेना तैयार कर ली थी. उस समय वह चीन पर कब्जा करना चाहता था, जो तीन राज्यों में बंटा था. अपना अधिकांश जीवन युद्ध में बिताने के बाद चंगेज खान की मृत्यु 1227 ई. में हो गई थी.
किस धर्म को मानता था चंगेज खान?
चंगेज खान न तो मुस्लिम था और न ही किसी अन्य प्रमुख धर्म का कट्टर अनुयायी. वह मुख्य रूप से मंगोलियाई शमनवाद (Tengrism) को मानता था, जो उस समय मंगोल जनजातियों का पारंपरिक विश्वास था.
चंगेज खान और टेंग्रीवाद
मंगोल संस्कृति में टेंग्रीवाद एक केंद्रीय विश्वास प्रणाली थी, जिसमें आकाश के देवता 'टेंग्री' को सर्वोच्च माना जाता था. टेंग्रीवाद प्रकृति पूजा और पूर्वजों की पूजा पर आधारित था, जिसमें पहाड़ों, नदियों और आकाश को पवित्र माना जाता था. चंगेज खान ने अपने शासनकाल में इस विश्वास को अपनाया और अपने साम्राज्य की नीतियों में इसे शामिल किया.

द सीक्रेट हिस्ट्री ऑफ द मंगोल्स (13वीं सदी में लिखा गया मंगोलों का एक प्राचीन ग्रंथ) के मुताबिक, चंगेज खान टेंग्री को ही सबसे बड़ी शक्ति मानता था और अपने युद्धों व विजयों को टेंग्री के आशीर्वाद से प्रेरित मानता था. वह अक्सर युद्ध से पहले शमानी अनुष्ठान करता था, जिसमें शमैन (आध्यात्मिक गुरु) टेंग्री से मार्गदर्शन मांगता. कहा जाता है कि मंगोल साम्राज्य में विभिन्न धर्मों के विद्वानों और धार्मिक नेताओं को दरबार में बुलाया जाता था, लेकिन चंगेज खान ने कभी किसी एक धर्म को राजधर्म के रूप में लागू नहीं किया.
मुस्लिम होने की गलतफहमी क्यों?
चंगेज खान के मुस्लिम होने की गलतफहमी का कारण मंगोल साम्राज्य के बाद के शासकों का इस्लाम अपनाना हो सकता है. चंगेज खान के पोते, जैसे हुलागु खान और बरके खान, ने इस्लाम स्वीकार किया था, जिसके कारण कुछ लोग यह मान लेते हैं कि चंगेज खान भी मुस्लिम था. इसके अलावा, मंगोलों के मध्य एशिया और फारस पर आक्रमण के दौरान कई मुस्लिम क्षेत्रों पर उनके शासन ने इस भ्रम को और बढ़ाया.