शिक्षा मंत्रालय ने ऐलान किया था कि देश के केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन साझा प्रवेश परीक्षा के आधार पर होगा. इसे इसी साल से लागू भी किया जाना था. कोरोना के कारण केंद्रीय विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा यानी सीयूसीईटी इस साल लागू नहीं की जाएगी. यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन यानी यूजीसी ने यह ऐलान कर दिया है कि इस साल केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सीयूसीईटी को लागू नहीं किया जाएगा.
यूजीसी ने ट्वीट कर कोरोना वायरस की महामारी को इसकी वजह बताया है. यूजीसी ने कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालय शिक्षण सत्र 2021-22 में भी उसी तरह प्रवेश ले सकते हैं जिस तरह वे पहले लेते रहे हैं. यूजीसी ने साथ ही यह भी कहा है कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए सीयूसीईटी की व्यवस्था को अगले शिक्षण सत्र 2022-23 से लागू किया जा सकता है.
In view of prevailing COVID-19 pandemic, admission process in Central Universities during Acad Session 2021-22, may continue as per past practice.
— UGC INDIA (@ugc_india) July 18, 2021
Central Universities Common Entrance Test (CUCET) may be implemented from Acad Session 2022-23. @dpradhanbjp @EduMinOfIndia @PIBHRD
गौरतलब है कि कुछ केंद्रीय विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आधार पर प्रवेश लेते रहे हैं जबकि दिल्ली यूनिवर्सिटी जैसे कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए अपना सिस्टम है. कई केंद्रीय विश्वविद्यालय अपने स्तर पर प्रवेश परीक्षा कराते रहे हैं. पिछले साल यूजीसी ने सभी 41 केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा आयोजित करने की संभावनाओं का अध्ययन करने को एक पैनल गठित किया था.
इस संयुक्त प्रवेश परीक्षा के दायरे में दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) और जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) जैसे विश्वविद्यालय भी आ जाएंगे. सीयूसीईटी इसी साल से लागू होना था लेकिन महामारी के कारण ऐसा नहीं हो सका. सीयूसीईटी के आयोजन की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) को दिए जाने की संभावना थी. यूजीसी के इस कदम को छात्रों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा था.
छात्रों को नहीं देनी पड़ती कई विश्वविद्यालयों की परीक्षा
छात्रों के लिए इसे महत्वपूर्ण इसलिए भी माना जा रहा था कि उन्हें दाखिले के लिए कई विश्वविद्यालयों की प्रवेश परीक्षा नहीं देनी पड़ती और उनपर दबाव भी कम होता. बता दें कि यूजीसी ने पंजाब केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति आरपी तिवारी के नेतृत्व में सात सदस्यीय कमेटी का गठन किया था जिसने स्नातक स्तर पर प्रवेश के लिए केंद्रीय विश्वविद्यालयों को एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने की सिफारिश की थी.