प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार रात राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में लॉकडाउन 4.0 के आने की पुष्टि की, हालांकि, इस बार नियम अलग होंगे. Covid-19 महामारी के खत्म होने के कोई संकेत नहीं होने की वजह से यह अपेक्षित था. भारत ने पहले तीन लॉकडाउन में कैसा किया? जवाब हमेशा की तरह उस इंडिकेटर (संकेतक) में छुपा है, जिसे आप देखने के लिए चुनते हैं.
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सबसे बुनियादी संकेतक जो माना जाता है वहां भारत के लिए खबर अच्छी नहीं है. लॉकडाउन के तीन चरणों में हर दिन जुड़ने वाले केसों का औसत आंकड़ा लगातार हर चरण में बढ़ता गया है. लॉकडाउन का तीसरा चरण, पहले चरण के मुकाबले 6 गुना अधिक केस हर दिन जोड़ रहा है.

हालांकि, केसों में औसत दैनिक बढ़ोतरी की रफ्तार हर लॉकडाउन अवधि के साथ धीमी हुई है. लॉकडाउन के दूसरे और तीसरे चरण में केसों की दैनिक बढ़ोतरी दर लॉकडाउन 1.0 के पहले तीन हफ्तों की तुलना में आधी रही.

यही ट्रेंड मौतों के आंकड़ों को लेकर भी है. जबकि हर दिन दर्ज होने वाली मौतों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन उनकी बढ़ोतरी की रफ्तार धीमी हुई है. हालांकि, एक आंकड़ा चिंता देने वाला है. प्रत्येक लॉकडाउन अवधि के दौरान भारत की केस मृत्यु दर (कुल रिकॉर्ड केसों की संख्या से मौतों की संख्या का अनुपात) हल्की बढ़ती गई. इसके मायने हैं कि पुष्ट केसों के मौतों में तब्दील होने की संख्या बढ़ रही है. हालांकि, भारत की मृत्यु दर यूरोपीय और उत्तरी अमेरिकी देशों की तुलना में कम है.

केरल और तेलंगाना को छोड़कर बाकी सभी राज्य हर दिन बढ़ने वाले केसों की संख्या को लेकर राष्ट्रीय ट्रेंड जैसी तस्वीर ही दिखा रहे हैं. केरल और तेलंगाना अकेले ऐसे राज्य ,हैं जिन्होंने लॉकडाउन 1.0 से 3.0 तक हर दिन दर्ज होने वाले केसों की संख्या में गिरावट दर्ज की है. हालांकि, तेलंगाना को अपने आधिकारिक डेटा में अंतर की समस्या का सामना करना पड़ रहा है. वहीं केरल में विदेश से अपने नागरिकों की वापसी की स्थिति में केसों की संख्या में बढ़ोतरी देखनी पड़ सकती है, जिसके लिए वो तैयारी कर रहा है.

सभी यूरोपीय देश जिन्होंने सख्त लॉकडाउन लागू किया, उन्होंने लॉकडाउन खोलने से पहले हर दिन दर्ज होने वाले केसों की संख्या में गिरावट देखी. यूनाइटेड किंगडम का लॉकडाउन समय के हिसाब से भारतीय लॉकडाउन के सबसे करीब बैठता है. हालांकि, जब यूके में लॉकडाउन लागू हुआ तो वहां 11,000 से अधिक केस रिपोर्ट हो चुके थे. वही भारत ने 570 केस आने पर ही लॉकडाउन शुरू कर दिया था. यहां तर्क दिया जा सकता है कि यूके लॉकडाउन लागू करने से पहले ही अपने शिखर के नजदीक पहुंचना शुरू हो गया था.

यह कहा जा रहा है कि भारत में लॉकडाउन के चरणों के सापेक्ष देखा जाए तो इस अवधि में यूके में हर दिन दर्ज किए जाने वाले केसों की संख्या में लगातार गिरावट आई. लेकिन यूके में भारत की तुलना में मौत का आंकड़ा ऊंचा रहा है. हालांकि, इसमें भी भारत के दूसरे और तीसरे लॉकडाउन की अवधि के दौरान गिरावट आई.

अगर लॉकडाउन 4.0 की जरूरत है, और जैसा कि सुझाव दिया जा रहा है कि इसमें सोशल डिस्टेंसिंग के साथ यात्राओं और कामकाज को खोला जाएगा, तो भारत को इस असलियत को जेहन में रखना चाहिए कि ये वायरस के फैलाव को रोकने की जंग में आरामदायक स्थिति में पहुंचने से पहले ही सख्त लॉकडाउन से बाहर आने जा रहा है.
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