हम में से शायद सभी के साथ कभी न कभी ऐसा हुआ होगा, कि जब हमने अपनी पुरानी जैकेट या शर्ट-पैंट निकाला हो और उसकी जेब में 500-1000 रुपये निकल आए हों. उस समय अजब सी खुशी मिलती है और ये बिना सोचे मिले किसी बोनस की तरह लगता है. अब सोचिए अगर ऐसा ही भूला हुआ पैसे कुछ सौ रुपये न होकर लाखों या करोड़ों में हो, तो कैसा हो? जी हां, बैंकों में बिना दावे वाले ऐसे ही 78,213 करोड़ रुपये बेकार पड़े हैं, जिन पर किसी का ध्यान नहीं जाता. हो सकता है कि ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट आपके किसी परिजन ने जमा कराया हो और भूल गए हों. भारतीय रिजर्व बैंक ने साल 2023 में इसकी जांच के लिए एक पोर्टल शुरू किया था, जिसके जरिए इस रकम को ट्रैक किया जा सकता है. इसका प्रोसेस भी बेहद आसान है.
78213 करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड डिपॉजिट
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों पर गौर करें, तो बीते साल मार्च 2024 तक देश भर के विभिन्न बैंकों में कुल 78,213 करोड़ रुपये का अनक्लेम्ड अमाउंड डिपॉजिट है, जिसका दावा करने वाला कोई नहीं है. साल दर साल इस आंकड़े में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. बात करें इस बिना दावे वाली रकम के उपयोग के बारे में, तो आरबीआई की ओर से इसे डिपॉजिटर्स एजुकेशन और जागरूकता निधि (DEAF) में स्थानांतरित कर दिया जाता है, जिसके जरिए सालाना इस रकम पर महज 3 फीसदी का ब्याज मिलता है.
RBI ने किया था UDGAM पोर्टल लॉन्च
बैंकों में बढ़ते अनक्लेम्ड डिपॉजिट की इस समस्या का समाधान करने और इसके हकदार व्यक्तियों की इस फंड तक पहुंच को आसान बनाने के लिए साल 2023 में केंद्रीय बैंक ने बड़ा कदम उठाया था. RBI ने अगस्त 2023 में अनक्लेम्ड डिपॉजिट्स-गेटवे टू एक्सेस इन्फॉर्मेशन (UDGAM) पोर्टल लॉन्च किया था. यह प्लेटफॉर्म यूजर्स को विभिन्न बैंकों में अनक्लेम्ड डिपॉजिट को एक ही स्थान पर ट्रैक करने की परमिशन देता है.
UDGAM पोर्टल कैसे मददगार है?
UDGAM पोर्टल RBI द्वारा रिजर्व बैंक सूचना प्रौद्योगिकी प्राइवेट लिमिटेड (ReBIT), भारतीय वित्तीय प्रौद्योगिकी और संबद्ध सेवाओं (IFTAS) और इसमें शामिल बैंकों के सहयोग से विकसित एक वन-स्टॉप प्लेटफॉर्म है. यह कई बैंकों में दावा न किए गए जमा को खोजने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए पेश किया गया था. फिलहाल की बात करें, तो देश के करीब 30 बैंक इस पोर्ट्ल का हिस्सा हैं, जिनमें इस अनक्लेम्ड डिपॉजिट का करीब 90% हिस्सा जमा है.
पोर्टल की शुरुआत में इससे जुड़ने वाले बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), पंजाब नेशनल बैंक (PNB), साउथ इंडियन बैंक (South Indian Bank), सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया (Central Bank Of India), धनलक्ष्मी बैंक, DBS बैंक इंडिया और सिटीबैंक शामिल हैं. अन्य बैंकों को चरणबद्ध तरीके से इस पोर्टल से जोड़ा गया है.
पोर्टल पर ऐसे करें रजिस्ट्रेशन
इन डॉक्यूमेंट्स की पड़ेगी जरूरत
अपने अनक्लेम्ड डिपॉजिट का पता लगाने के लिए अकाउंट होल्डर का नाम, बैंक को दर्ज करना जरूरी है. इसके अलावा पैन, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस नंबर, पासपोर्ट नंबर या जन्म प्रमाण में से किसी एक की जरूरत होगी. इस डिटेल को सब्मिट करने के बाद आप अपनी दावा न की गई जमाराशियों को Search ऑप्शन के जरिए देख सकेंगे.
क्या होता है अनक्लेम्ड अमाउंट?
यहां ये जान लेना जरूरी है कि आखिर ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट आखिर होता क्या है? तो बता दें कि अलग-अलग बैंक सालाना आधार पर अकाउंट्स रिव्यू करते हैं. इसमें ये पता भी लगाया जाता है कि ऐसे कौन-कौन से बैंक अकाउंट हैं, जिनमें किसी तरह का कोई ट्रांजेक्शन नहीं हुआ है. जब किसी डिपॉजिटर्स की ओर से बीते 10 साल के दौरान किसी अकाउंट में न तो कोई फंड डाला जाता है और न ही इसमें से कोई रकम निकाली जाती है तो इस दौरान अकाउंट में पड़ी रकम को Unclaimed Deposit होता क्या है?
दरअसल, माना जाता है. साथ ही बैंक इस अमाउंट को लेकर कस्टमर्स से संपर्क करने की कोशिश भी करते हैं. जिन अकाउंट में कोई दावेदार नहीं होता है तो उसकी जानकारी बैंकों की ओर से आरबीआई को दी जाती है. इसके बाद ये अनक्लेम्ड डिपॉजिट डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (DEAF) में ट्रांसफर कर दिया जाता है.