जब नौकरी ही नहीं होगी तो इंसान खाएगा क्या और बचाएगा क्या? अगर आप सोच रहे हैं कि बेरोजगारी का मुद्दा केवल रोटी से जुड़ा है तो आप गलत समझ रहे हैं. बेरोजगारी के मुद्दे से सरकार की बेरुखी नौजवानों की जिंदगी निगल रही है.
एनसीआरबी के ताजा आंकड़े आपको डरा देंगे. 2018 में 12936 नौजवानों ने बेरोजगारी के कारण जान दी. रोजाना औसतन 35 लोगों ने बेरोजगारी के चलते जान दी. इसी दौरान खेती से जुड़े 10349 लोगों ने अपनी जान दी.
ऐसी स्थिति आई क्यों?
समझना पड़ेगा कि अर्थव्यवस्था की ऐसी दुर्दशा क्यों हुई? क्योंकि लोगों के पास खरीदारी की क्षमता कम हो गई है, लोगों के पास खरीदारी की क्षमता क्यों कम हुई? क्योंकि नौजवानों के पास नौकरी या रोजगार ही नहीं है. नौजवानों के पास रोजगार क्यों नहीं है? क्योंकि सरकार ने कंपनियों और उद्योगों की कमर तोड़ दी. नौजवानों के पास रोजगार होने से क्या होगा?- वो खरीदारी करेंगे तो बाजार में रुपये की आवाजाही बढ़ेगी. बाजार में रुपया आएगा तो क्या होगा?-मांग बढ़ेगी, मांग बढ़ेगी उत्पादन के लिए उद्योग लगेंगे.रिपोर्ट ने खोली पोल
तुरंत कदम उठाने की जरूरत
वहीं अर्थशास्त्रियों चेतावनी दे रहे हैं कि सरकार ने तुरंत कोई ठोस कदम नहीं उठाया तो समस्या और गंभीर हो जाएगी. क्योंकि बेरोजगारी में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, महंगाई बढ़ती जा रही है और इन सबके बीच मांग (डिमांड) घटती जा रही है. अब सबको राहत की उम्मीद बजट से है. लेकिन अर्थव्यवस्था के माहिर ये भी कहते हैं कि देश की माली हालत बेहद खस्ता है और ऐसे में बजट से किसी को बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए.