बॉलीवुड के ही-मैन कहे जाने वाले और जमाने तक फैंस के दिलों पर राज करने वाले दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र नहीं रहे. उनका जाना फिल्म इतिहास के एक दौर का जाना है और उस खाली को कोई भर पाए ऐसा मुमकिन नहीं. बेहतरीन कलाकार, उतने ही नेकदिल इंसान और जवां दिलों के धड़कर रहे धरमजी को लोगों ने अपने दिलों में जगह दी.
उन्हें उनकी फिल्मों और उनके फिल्मों गीतों के जरिये याद करने का सिलसिला जारी है और इसी के तहत बीते दिनों दिसंबर की सर्द और धुंधभरी एक शाम सुरमयी याद का गुलदस्ता बन गई. मौका था नई दिल्ली के त्रिवेणी कला संगम में आयोजित संगीतमय श्रद्धांजलि कार्यक्रम का, जिसका नाम था 'पल-पल दिल के पास तुम रहते हो'.
जब बीते दौर के गीतों से भर आईं आंखें
सभागार में मौजूद दर्शक उनके गीतों पर झूम उठे और कई की आंखें भर आईं, जब उन्होंने बीते दौर के उन नगमों को सुना, जो किसी जमाने में हर दिल अजीज हुआ करते थे.
कार्यक्रम की शुरुआत, बड़ी स्क्रीन पर धर्मेंद्र की कुछ फिल्मों के दृश्यों से हुई और शोले के टंकी वाले दृश्य पर खत्म हुई. इस दौरान कार्यक्रम का संचालन कर रहे और धर्मेंद्र की सुरमयी जीवनी को फिल्मी गीतों से आगे बढ़ा रहे निधिकांत ने शोले के दृश्य का स्टेज मंचन भी किया. इस दौरान उन्होंने इसमें कार्यक्रम की प्रोड्यूसर सोहेला कपूर और अनुराधा दर को भी शामिल कर लिया, जिन्होंने शोले की 'मौसी' की भूमिका को मंच पर जीवंत किया.
मंच पर जीवंत हुआ शोले का यादगार दृश्य
कार्यक्रम का संयोजन-संचालन करने वाले निधिकान्त पाण्डेय ने कार्यक्रम की शुरुआत की तो स्टेज पर सुरों का जादू गूंज उठा और सिंगर देवानंद झा की आवाज ने समां बांध दिया. धर्मेंद्र की पहली फिल्म से लेकर उनके कई लोकप्रिय गीतों को देवानंद झा ने उसी अंदाज में प्रस्तुत किया. जीतू, अमित और अधीर ने संगीत में योगदान किया.
अब जब देवानंद झा ने गीतों की माला शुरू की तो एक से बढ़कर एक गीत उन्होंने प्रस्तुत किया. इस कड़ी में 'ये दिल तुम बिन कहीं लगता नहीं', 'आपकी नज़रों ने समझा', 'झिलमिल सितारों का आंगन होगा', 'गाड़ी बुला रही है', 'ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे', 'मैं जट यमला पगला दीवाना', 'सात अजूबे', 'ड्रीम गर्ल', 'पल पल दिल के पास' जैसे गीत इसमें शामिल रहे.
'पल-पल दिल के पास' गीत से हुआ कार्यक्रम का समापन
कुछ गानों में निधिकान्त ने भी जुगलबंदी की और दर्शकों ने इस जोड़ी को तालियों से सराहा भी. इस दौरान धर्मेंद्र की दिलीप कुमार और आनंद भाइयों से जुड़ी कहानी भी सुनने को मिली. कार्यक्रम के अंत में वही गीत पेश किया गया जो शीर्षक था: पल-पल दिल के पास… जिसे सुनकर दर्शक भावविभोर हो गए और जब वह सभागार से निकले तो उनके जेहन में बीते दौर की सुनहरी यादें थीं.