अमेरिका के ऊर्जा संसाधन राज्य सहायक सचिव जेफ्री आर पायट ने सोमवार को हूतियों के खिलाफ भारतीय नौसेना की कार्रवाई की सराहना की और कहा कि यह एक व्यापक क्षेत्र में सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की क्षमता को दिखाता है. उन्होंने कहा कि भारत के इस कदम से अमेरिका को भी फायदा होता है.
इजरायल-हमास लड़ाई के कारण चल रहे वैश्विक संकट के बीच ऊर्जा सुरक्षा में भारत-अमेरिका संबंधों पर समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, 'हम अंतरराष्ट्रीय प्रणाली में अभूतपूर्व उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे हैं. वैश्विक कंटेनर शिपिंग के रास्ते को बदल दिया गया है. भारतीय नौसेना एक टैंकर जहाज को बचाने के लिए आगे आई जो हूतियों के मिसाइल हमले में जल रहा था. उस जहाज को बचाने के लिए केवल भारतीय नौसेना ही सामने आई. यह एक सुरक्षा प्रदाता के रूप में भारत की क्षमता को दिखाता है जिससे अमेरिका को भी फायदा होता है.'
भारत और अमेरिका के बीच मुक्त व्यापार समझौतों पर पायट ने कहा, 'मुझे लगता है कि हमलोग भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को लेकर किसी तरह की बातचीत फिलहाल नहीं कर रहे हैं. लेकिन दोनों ही देश मिलकर व्यापारिक रिश्तों को और गहरा करने को लेकर अहम बातचीत कर रहे हैं.'
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के व्यापार संबंध रोटी की तरह नहीं बल्कि अब ये संबंध बड़े और फूलकर पूड़ी जैसे हो गए हैं.
अपने हालिया भारत दौरे को लेकर पायट ने कहा, 'उच्च तकनीक के क्षेत्र में भारत के साथ हमारे सहयोग का एक अहम हिस्सा iCET फ्रेमवर्क में हमारा सहयोग है. हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने हाल ही में फैसला किया है कि इस फ्रेमवर्क को और मजबूत करने के लिए वो इसमें महत्वपूर्ण खनिजों और क्लीन एनर्जी तकनीक को भी शामिल करेंगे. हम अन्वेषण के क्षेत्र में अपने प्रयोगशालाओं के बीच सहयोग को और आगे ले जाने कr चाह रखते हैं.'
पायट ने अपने हालिया भारत दौरे में केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के संबंध में उन्होंने कहा, 'उनके साथ मैंने व्यापक मुद्दों पर चर्चा की जिसमें ऊर्जा सुरक्षा के साझा हित, वैश्विक ऊर्जा बाजार की स्थिरता, रूस की यूक्रेन पर कार्रवाई से हुए प्रभाव को बेअसर करना शामिल है. हमने इस दौरान लाल सागर, ईरान की गतिविधियों, वेनेजुएला और तेल बाजार में चल रहे हर तरह के व्यवधानों पर बात की, विशेष रूप से भारत और अमेरिका एक-दूसरे को राह दिखा रहे हैं. इन बाजारों में हमारे साझा हित हैं.'
अमेरिकी अधिकारी 26 जनवरी से लेकर 31 जनवरी तक भारत में थे जिस दौरान वो नई दिल्ली और हैदराबाद में रहे. नई दिल्ली में उन्होंने इंडिया-यूएस फोरम के दो पैनलों पर अपनी बात रखी. इस दौरान उन्होंने साझा ऊर्जा प्राथमिकताओं और वैश्विक ऊर्जा बदलाव के लिए महत्वपूर्ण खनिजों के अवसरों और चुनौतियों पर जोर दिया.
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