Russia-Ukraine War: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन के समर्थन में रूस पर प्रतिबंधों का दायरा बढ़ाना शुरू कर दिया है. शुक्रवार को अब अमेरिका ने अपने नए प्रतिबंधों में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन के खिलाफ के प्रेस सचिव पेसकोव सहित 19 रूसी दिग्गज धन-कुबेरों और उनसे जुड़े 50 व्यक्तियों को निशाना बनाया है. ये रूसी धनकुबेर पुतिन के इनर सर्किल का हिस्सा हैं.
न्यूज एजेंसी एएफपी के मुताबिक, अमेरिकी विदेश विभाग ने यह भी ऐलान कर दिया है कि रूस के सबसे धनी व्यक्तियों में से एक अलीशेर बुरहानोविच उस्मानोव सहित 19 रूसी कुलीन शख्सियतों और उनके परिवार के दर्जनों सदस्यों और करीबी सहयोगियों पर वीजा प्रतिबंध लगा रहा है यानी अब ये सभी अमेरिका नहीं जा पाएंगे. यही नहीं, अमेरिका ने विमान कारखानों Irkutsk और Aviastar सहित कई रूसी विमान निर्माताओं के खिलाफ प्रतिबंध लगा दिए हैं.
बिडेन ने अपने मंत्रिमंडल और उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के साथ बैठक की शुरुआत में नए प्रतिबंधों का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका लक्ष्य पुतिन और रूस पर ज्यादा से ज्यादा असर डालना और दुनिया भर में अमेरिकी और हमारे सहयोगियों पर नुकसान को कम करना था.
व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया कि रूसी बिजनेसमैन और उनके परिवार के दर्जनों सदस्य अमेरिकी वित्तीय प्रणाली से कट जाएंगे. अमेरिका में उनकी संपत्ति को फ्रीज कर दिया जाएगा और यही नहीं, उनको संपत्ति के इस्तेमाल से रोक दिया जाएगा.
अमेरिका ने रूसी रक्षा मंत्रालय क्रेमलिन के प्रवक्ता पेसकोव को राष्ट्रपति पुतिन के प्रचार का एक शीर्ष वाहक बताते हुए उन पर प्रतिबंध लगाए हैं. वहीं, रूस के दिग्गज कारोबारी उस्मानोव और अन्य की संपत्ति को अमेरिका और अमेरिकियों द्वारा इस्तेमाल करने से रोक दिया जाएगा. उनकी संपत्ति में उनका सुपररीच (superyacht) शामिल है, जो दुनिया के सबसे बड़े क्रूज में से एक है, जिसे जर्मनी ने अभी-अभी जब्त किया था. रूस के सबसे बड़े निजी स्वामित्व वाले विमानों में से एक उस्मानोव का निजी जेट भी इन प्रतिबंधों में शामिल है.
इससे पहले बाइडेन ने आश्वासन दिया था कि यूक्रेनपर हमले की रूसी नेता लगातार बड़ी कीमत चुकाएंगे. इसी कड़ी में यह एक और बड़ी कार्रवाई की गई है. उन्होंने कहा था कि अमेरिकी न्याय विभाग रूसी कुलीन वर्गों के खिलाफ कठोर कदम उठाने के लिए एक टास्क फोर्स का भी गठन कर रहा है.
पता हो कि 24 फरवरी से रूस अपनी शर्तों को लेकर यूक्रेन पर हमलावर है. इन शर्तों में डोनेट्स्क और लुहान्स्क की रूसी संप्रभुता को मान्यता दिलवाना, यूक्रेन सेना का विसैन्यीकरण करना और कीव का नाटो (NATO) से दूरी बनाकर रखना शामिल है. जंग के दौरान दोनों देशों के बीच इसको लेकर दो दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक रार थमी नहीं है.
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