ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने सोमवार को अपनी कैबिनेट में बड़ा बदलाव किया. उन्होंने भारतीय मूल की गृहमंत्री सुएला ब्रेवरमैन को बर्खास्त कर दिया. उनकी जगह विदेश मंत्री जेम्स क्लेवरली को गृह मंत्री बनाया गया. जबकि ऋषि सुनक ने पूर्व पीएम डेविड कैमरन को नया विदेश मंत्री नियुक्त किया. सुनक ने अपने विदेश मंत्री को ऐसे वक्त पर बदला, जब उनकी बातचीत पांच दिन की ब्रिटेन यात्रा पर पहुंचे भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ होनी थी. इस फेरबदल के बाद एस जयशंकर की मुलाकात डेविड कैमरन से हुई.
सुएला को क्यों गंवानी पड़ी कुर्सी?
भारत के गोवा से ताल्लुक रखने वालीं सुएला ब्रेवरमैन का विवादों से पुराना नाता है. उन्होंने हाल ही में एक लेख में लंदन की पुलिस पर संगीन आरोप लगाया था. उन्होंने लंदन पुलिस पर फिलिस्तीन समर्थकों के प्रति उदार रुख अपनाने का आरोप लगाया था. बीते दिनों लदंन में फिलिस्तीन के समर्थन में एक प्रदर्शन का आयोजन किया गया था. लेकिन पुलिस ने इन प्रदर्शनों को रोक दिया था, जिससे सुएला भड़क गई थीं. इसके बाद उन्होंने एक आर्टिकल में लंदन पुलिस पर फिलिस्तीन के समर्थन में हुए प्रदर्शनों को गलत तरीके से रोकने का आरोप लगाया था. इस लेख को लेकर वे विवादों में थीं. सिर्फ विपक्ष ही नहीं उनकी ही पार्टी के कई सांसदों ने उनकी आलोचना की थी.
ब्रेवरमैन के लेख पर हुए विवाद के बाद सुनक ने उनको गृह मंत्री पद से हटा दिया. इससे पहले ब्रेवरमैन ने ब्रिटेन में फुटपाथ पर रहने वाले लोगों के बारे में कहा था कि वे अपनी मर्जी से वहां रहते हैं और ये एक तरह से उनकी लाइफस्टाइल च्वॉइस है. इतना ही नहीं उन्होंने ब्रिटेन में शरण चाहने वाले लोगों को लेकर भी विवादित टिप्पणी की थी. उन्होंने कहा था कि ऐसे लोगों को रवांडा भेज देना चाहिए.
पीएम रहे कैमरन की बतौर विदेश मंत्री वापसी
कैमरन ने 2010 से 2016 तक ब्रिटेन के प्रधान मंत्री और 2005 से 2016 तक कंजर्वेटिव पार्टी के नेता रहे. 57 वर्षीय ने ब्रेक्सिट जनमत संग्रह में हारने के तुरंत बाद जून 2016 में प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था, और ब्रिटेन को यूरोपीय संघ (ईयू) के भीतर बने रहने के लिए अभियान चलाया था. कैमरन ने बतौर विदेश मंत्री पदभार संभालने के बाद भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के नेताओं के बीच द्विपक्षीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा हुई.
कैमरन ने विदेश मंत्री बनने के बाद ट्वीट कर कहा, मैं सात सालों से सक्रिय राजनीति से दूर हूं. लेकिन मुझे उम्मीद है कि 11 सालों तक कंजरवेटिव नेता और छह साल तक प्रधानमंत्री के रूप में मेरे अनुभव से प्रधानमंत्री को इस कठिन चुनौतियों से निपटने में मदद मिलेगी. ब्रिटेन एक अंतर्राष्ट्रीय देश है. हमारे लोग दुनियाभर में हैं और हमारा कारोबार दुनिया के हर कोने में फैला है. वैश्विक स्तर पर स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित करना बहुत जरूरी है लेकिन इसके साथ ही राष्ट्रहित भी जरूरी है. हमारी घरेलू सुरक्षा के लिए अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा बहुत जरूरी है.
उन्होंने कहा, मैं कुछ व्यक्तिगत निर्णयों से असहमत हो सकता हूं, लेकिन मेरे लिए यह स्पष्ट है कि ऋषि सुनक एक मजबूत और सक्षम प्रधानमंत्री हैं, जो कठिन समय में अनुकरणीय नेतृत्व दिखा रहे हैं. उन्होंने कहा, मैं हमारे देश को आवश्यक सुरक्षा और समृद्धि प्रदान करने में उनकी मदद करना चाहता हूं और UK की सेवा करने वाली सबसे मजबूत संभावित टीम का हिस्सा बनना चाहता हूं और जिसे आम चुनाव होने पर देश के सामने पेश किया जा सकता है.
चुनाव से पहले कैमरन की वापसी के क्या हैं मायने?
ब्रिटेन में अगले साल आम चुनाव होने हैं. इससे पहले कैमरन की वापसी के कई मायने लगाए जा रहे हैं. कई सांसदों का मानना है कि कैमरन की वापसी से न सिर्फ उनके सुनक सरकार के पास सरकारी अनुभव का खजाना आएगा, बल्कि कैमरन को एक उदारवादी व्यक्ति के रूप में भी देखा जाता है, जो बड़े पैमाने पर समर्थकों को आश्वस्त कर सकता है. कंजर्वेटिव पार्टी के एक सांसद ने कहा कि डेविड कैमरन ने दो चुनाव जीते हैं, उनके पास पर्याप्त अनुभव है, हालांकि वे पहली जीत में वह गठबंधन सरकार बनाने के लिए लिबरल डेमोक्रेट पर निर्भर थे. हालांकि, कुछ जानकारों का मानना है कि ब्रेक्सिट जनमत संग्रह के मुद्दे पर कंजर्वेटिव पार्टी में आपसी विवाद भी देखने को मिल सकती है.
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