ट्रंप की चेतावनी से घबराया PAK, बुला सकता है संसद का संयुक्त सत्र

आतंकवादियों को शरणस्थली मुहैया कराने के खिलाफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान को दी गई चेतावनी के मद्देनजर वहां की सरकार अपने आगे के रुख पर चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की योजना बना रही है.

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अमेरिका से डरा पाकिस्तान अमेरिका से डरा पाकिस्तान

राम कृष्ण

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  • 25 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 4:55 PM IST

आतंकवादियों को शरणस्थली मुहैया कराने के खिलाफ अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की पाकिस्तान को दी गई चेतावनी के मद्देनजर वहां की सरकार अपने आगे के रुख पर चर्चा करने और उसे अंतिम रूप देने लिए संसद का संयुक्त सत्र बुलाने की योजना बना रही है.

पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहिद खाकान अब्बासी ने सीनेट में अपने संक्षिप्त बयान में संकेत दिया कि इस मामले पर चर्चा के लिए संयुक्त सत्र बुलाया जा सकता है. अब्बासी ने अमेरिका के रुख को एक गंभीर विषय बताया और कहा कि संघीय कैबिनेट ने मंगलवार को इस पर तीन घंटे विचार विमर्श किया और एनएससी ने इस मामले पर चार घंटे चर्चा की.

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इससे पहले सीनेट अध्यक्ष रजा रब्बानी ने प्रधानमंत्री को सूचित किया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के आक्रामक बयानों के बाद आगे का रुख तय करने के लिए सीनेट पैनल का गठन किया गया है. उन्होंने कहा था कि पैनल मसौदे को पूरा करने की कगार पर है. खबर में कहा गया कि उन्होंने प्रस्ताव रखा कि पारित करने या किसी संशोधन के लिए इन सिफारिशों को संसद की संयुक्ति बैठक में पेश किया जाएगा और इस विचार को प्रधानमंत्री ने स्पष्ट रूप से स्वीकार कर लिया.

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रजा रब्बानी ने संकेत दिया कि सीनेट ने मसौदा पारित होने के बाद इसे संसद के संयुक्त सत्र में ले जाया जाएगा. इससे पहले ट्रंप के बयान पर चर्चा में भाग लेते हुए सीनेटरों ने कहा कि अमेरिका को यह याद रखना चाहिए कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ युद्ध में आगे रहा है और वह सर्वाधिक प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि सहायता के रूप में डॉलर हासिल करने के लिए पाकिस्तान का मजाक उड़ाने वाले अमेरिका को यह याद रखना चाहिए कि उसने युद्ध में पाकिस्तान को हुए करीब 150 अरब डॉलर के नुकसान का एक अंश भी नहीं दिया है.

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सीनेटरों ने कहा कि तत्कालीन सैन्य शासक ‘जनरल परवेज मुशर्रफ के अमेरिका के सामने पूर्ण आत्मसमर्पण’ के बाद देश में हुए विस्फोटों के कारण पाकिस्तान के शैक्षणिक संस्थान, स्वास्थ्य सुविधाएं और अन्य बुनियादी सुविधाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं. इसके अलावा हजारों आम नागरिकों और सशस्त्र कर्मियों की जान गई. पूर्व गृहमंत्री रहमान मलिक ने कहा कि वाशिंगटन से मिली चेतावनी को गंभीरता से लिया जाना चाहिए.

 

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