तालिबान (Taliban) ने अफगानिस्तान में सरकार बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. तमाम अटकलों के बाद सोमवार को ये प्रक्रिया अंतिम मोड़ पर पहुंची. तालिबान ने सरकार गठन के दौरान होने वाले कार्यक्रम में चिन्हित देशों में न्योता भी भेजा है.
तालिबान द्वारा तुर्की, चीन, रूस, ईरान, पाकिस्तान और कतर को न्योता भेजा गया है. ये सभी देश लगातार तालिबान का समर्थन करते आए हैं और अब जब सरकार बन रही है तो इन्हें न्योता भी भेजा गया है.
कतर छोड़ बाकी सभी के अमेरिका से खराब रिश्ते
तालिबान द्वारा जिन देशों को न्योता भेजा गया है, उनमें से कतर को छोड़ दें तो बाकी सभी की किसी ना किसी तरह से अमेरिका के साथ अदावत है. अमेरिका ने तालिबान के साथ जो बातचीत की, वह भी कतर के दोहा में ही हुई थी. तालिबान पहले ही अमेरिका के वापस लौटने को अपनी जीत बता चुका है.
चीन-रूस के साथ अमेरिका की कोल्ड वॉर जारी है, पाकिस्तान-ईरान पर भी अमेरिका कई तरह के प्रतिबंध लगाता आया है. तुर्की के साथ भी ट्रंप प्रशासन के दौरान हालात आर-पार वाले हो गए थे.
काबुल (Kabul) के राष्ट्रपति भवन में तालिबान की सरकार का गठन होना तय है. मुल्ला बरादर को तालिबानी सरकार का प्रमुख बनाया जा सकता है, जबकि मुल्ला हिब्तुल्ला अखुंदजादा को सुप्रीम लीडर बनाया जा सकता है.
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‘दुनिया से अच्छे संबंध चाहता है तालिबान’
तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की. उन्होंने कहा कि तालिबान दुनिया के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना चाहता है. चीन हमारे लिए एक अहम देश है, वह दुनिया की आर्थिक शक्ति है और अफगानिस्तान को खुद को आगे बढ़ाने के लिए उसका साथ चाहिए.
तालिबान के प्रवक्ता ने कहा कि लोगों को समझना होगा कि बाहर से आए हुए लोग यहां का विकास नहीं कर सकते हैं, हमें ही अपनी ज़िम्मेदारी उठानी होगी. काबुल एयरपोर्ट को लेकर तालिबान ने बयान दिया है कि कतर, तुर्की, यूएई से आई हुई टीमें एयरपोर्ट को सही करने में जुटी हुई हैं.
गौरतलब है कि तालिबान द्वारा लंबे वक्त से सरकार बनाने की तैयारी की जा रही है. हालांकि, दो-तीन बार ऐलान टाल दिया गया. माना जा रहा था कि तालिबान और हक्कानी नेटवर्क के बीच सत्ता संघर्ष को लेकर कुछ विवाद चल रहा है. लेकिन अब तालिबान फिर से जल्द सरकार गठन के संकेत दे रहा है.
अशरफ वानी