Omicron और XE वैरिएंट पर प्रभावी है स्पुतनिक-V और स्पुतनिक लाइट, रूस का दावा

रूस की ओर से दावा किया गया है कि कोरोना के वैरिएंट Omicron और XE पर स्पुतनिक-V और स्पुतनिक लाइट के साथ-साथ नोजल वैक्सीन प्रभावी है. रूस के गमलेया सेंटर (Gamaleya Center) के प्रोफेसर अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग (Alexander Gintsburg) ने ये जानकारी दी.

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सांकेतिक तस्वीर. सांकेतिक तस्वीर.

aajtak.in

  • मॉस्को,
  • 09 अप्रैल 2022,
  • अपडेटेड 8:11 PM IST
  • XE ओमिक्रॉन के 2 सब लीनेज BA.1 और BA.2 का रीकॉम्बिनेंट स्ट्रेन है
  • एक अप्रैल को रूसी वैक्सीन स्पूतनिक का अब नेजल वर्जन सामने आया था

कोरोना के वैरिएंट Omicron और XE पर स्पुतनिक-V और स्पुतनिक लाइट के साथ-साथ नोजल वैक्सीन प्रभावी है. रूस के गमलेया सेंटर (Gamaleya Center) के चीफ प्रोफेसर की ओर से ये दावा किया गया है. प्रोफेसर अलेक्जेंडर गिंट्सबर्ग (Alexander Gintsburg) ने कहा कि XE वैरिएंट BA.1 और BA.2 का संयुक्त रूप है और स्पुतनिक दोनों के खिलाफ प्रभावी है.

एक्सई (XE): कोरोना का नया वैरिएंट XE ओमिक्रॉन के 2 सब लीनेज BA.1 और BA.2 का रीकॉम्बिनेंट स्ट्रेन है. वर्तमान स्थिति को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि ये वैरिएंट कितना खतरनाक होगा. दुनिया के कुछ देशों में इस वैरिएंट के केस सामने आ चुके हैं.

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बता दें कि एक अप्रैल को रूसी वैक्सीन स्पूतनिक का अब नेजल वर्जन सामने आया था. रूस की तरफ से बताया गया है कि उसने दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन का निर्माण कर दिया है. ये स्पूतनिक वैक्सीन का ही एक नया रूप है.  

लंबे समय से रूस द्वारा इस नेजल वैक्सीन का ट्रायल चल रहा था. कुछ दूसरे देश भी इस दिशा में काम कर रहे थे. लेकिन सबसे पहले सफलता हासिल करने वाला देश अब रूस बन गया है. कहा जा रहा है कि नेजल वैक्सीन के आने से कोरोना के खिलाफ जारी दुनिया की ये जंग और ज्यादा आसान हो सकती है. अब जानकारी के लिए बता दें कि नेजल वैक्सीन नाक के जरिए दी जाती है. इसे इंट्रानेजल वैक्सीन भी कहा जाता है. जो वैक्सीन मांसपेशियों में इंजेक्शन के जरिए दी जाती है, वो इंट्रामस्कुलर वैक्सीन होती है. बताया जा रहा है कि ये नेजल वैक्सीन एक स्प्रे की तरह दी जा सकती है.

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भारत भी कर रहा तैयारी

वैसे भारत भी कोरोना के खिलाफ एक नेजल वैक्सीन तैयार कर रहा है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कई मौकों पर इसका जिक्र कर चुके हैं. ये वैक्सीन भारत बायोटेक द्वारा वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन (WUSM) के साथ मिलकर तैयार की जा रही है. इंजेक्शन वाली वैक्सीन की तुलना में इसके ज्यादा फायदे माने जा रहे हैं. एक्सपर्ट ये भी कह रहे हैं कि इस वैक्सीन का लोगों पर कम साइड इफेक्ट रहेगा और इसकी वजह से इंजेक्शन और सुई का कचरा भी कम रहेगा. 

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