कतर गुस्से में क्यों बोला- हम भी मुस्लिम देश हैं, हमसे सीखो देश चलाना

तालिबान को खुले दिल से समर्थन देने वाला देश कतर फिलहाल इस संगठन से काफी नाराज है. कतर के एक टॉप डिप्लोमैट ने कहा है कि लड़कियों की शिक्षा को लेकर तालिबान का रवैया बेहद निराश करने वाला है और ये कदम अफगानिस्तान को और पीछे धकेल देगा. उनका ये भी कहना था कि अगर वाकई तालिबान को एक इस्लामिक सिस्टम अपने देश में चलाना है तो तालिबान को कतर से सीखना चाहिए. 

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कतर के विदेश मंत्री, फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स कतर के विदेश मंत्री, फोटो क्रेडिट: रॉयटर्स

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 01 अक्टूबर 2021,
  • अपडेटेड 2:09 PM IST
  • लड़कियों की एजुकेशन के बैन के बाद तालिबान से नाराज कतर
  • कतर के विदेश मंत्री बोले, इस्लामिक राष्ट्र बनना है तो हमसे सीखो

तालिबान को खुले दिल से समर्थन देने वाला देश कतर फिलहाल इस संगठन से काफी नाराज है. कतर के एक टॉप डिप्लोमैट ने कहा है कि लड़कियों की शिक्षा को लेकर तालिबान का रवैया बेहद निराश करने वाला है और ये कदम अफगानिस्तान को और पीछे धकेल देगा. उनका ये भी कहना था कि अगर वाकई तालिबान को एक इस्लामिक सिस्टम अपने देश में चलाना है तो तालिबान को कतर से सीखना चाहिए. 

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कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुल रहमान अल थानी ने एक न्यूज कॉन्फ्रेंस में यूरोपियन फॉरेन पॉलिसी चीफ जोसेफ बोरेल के साथ बातचीत की और कई मुद्दों सहित अफगानिस्तान में लड़कियों की एजुकेशन पर रोक को निराशाजनक बताया. उन्होंने कहा कि हाल ही में अफगानिस्तान में जिस तरह के कदम उठाए गए हैं, वे दुर्भाग्यपूर्ण हैं. ये देखकर काफी निराशा हुई है कि ये कुछ ऐसे स्टेप्स लिए गए हैं जिससे अफगानिस्तान विकास की राह में काफी पीछे जा सकता है. 

गौरतलब है कि अमेरिकी सेना के निकलने के बाद पिछले कुछ हफ्तों में अफगानिस्तान में उथल-पुथल मची है और कतर ने इस संवेदनशील समय में अफगानिस्तान की काफी मदद की है. कतर ने काबुल एयरपोर्ट के ऑपरेशन्स को संभालने में मदद की थी. इसके अलावा हजारों विदेशियों और अफगानियों को भी इस देश से निकालने में मदद की थी. इसके अलावा, अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां अपना उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भेजने वाला कतर दुनिया का पहला देश भी बना था.

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'महिलाओं के मुद्दों से कैसे डील करना है, तालिबान ये बात हमसे सीखे'

शेख मोहम्मद ने आगे कहा कि हमें लगातार तालिबान के साथ बात करने की जरूरत है और उनसे आग्रह करने की जरूरत है कि वे विवादित एक्शन से दूरी बनाए रखें. हम तालिबान को ये दिखाने की भी कोशिश कर रहे हैं कि एक इस्लामिक देश होकर कैसे कानूनों को चलाया सकता है और कैसे महिलाओं के मुद्दों के साथ डील किया जाता है. उन्होंने कहा कि एक उदाहरण कतर का है. ये एक मुस्लिम देश है. हमारा सिस्टम इस्लामिक सिस्टम है लेकिन जब बात वर्क फोर्स या एजुकेशन की आती है तो कतर में पुरूषों के मुकाबले महिलाएं आपको ज्यादा मिलेंगी. 

शेख मोहम्मद ने तालिबान से ये भी उम्मीद जताई है कि वे पिछले कुछ सालों में अफगानिस्तान में जो प्रगति हुई है, उसे बनाए रखेंगे. उन्होंने इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से भी अपील की है कि संवेदनशील हालातों से गुजर रहे अफगानिस्तान को अलग-थलग ना किया जाए. वही जोसेफ बोरेल ने भी शेख मोहम्मद के साथ हामी भरते हुए कहा कि पिछले कुछ समय में अफगानिस्तान में जो चीजें हुई हैं, वो वाकई निराशाजनक हैं. लेकिन हम उम्मीद करते हैं कि अफगानिस्तानी सरकार बेहतर ढंग से काम करेगी और कतर तालिबान पर अपने मजबूत प्रभाव का इस्तेमाल कर अफगानी लोगों की बेहतरी के लिए काम करा पाएगा.

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