प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को दो दिवसीय दौरे पर रूस के कजान शहर पहुंचे. यहां वह 23 अक्टूबर को BRICS समिट में शामिल होंगे. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कजान में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की. दोनों नेताओं ने भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय वार्ता में शिरकत की. पीएम मोदी का चार महीने में यह दूसरी रूस यात्रा है. इससे पहले वह जुलाई में मॉस्को आए थे और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने क्रेमलिन में उनका स्वागत किया था. अटकलें हैं कि पीएम मोदी की ब्रिक्स समिट के इतर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हो सकती है. हालांकि, दोनों देशों की ओर से ऐसी किसी मुलाकात को लेकर औपचारिक तौर पर कुछ नहीं कहा गया है. प्रधानमंत्री मोदी का आज सुबह कजान पहुंचने पर भारतीय समुदाय ने एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ द्विपक्षीय बैठक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा, 'इंटरगवर्नमेंटल कमीशन की अगली बैठक 12 दिसंबर को नई दिल्ली में होने वाली है. हमारी संयुक्त परियोजनाएं लगातार प्रगति कर रही हैं. आपने कजान में भारतीय वाणिज्य दूतावास खोलने का फैसला किया है. हम इसका स्वागत करते हैं. भारत की नीतियों से दोनों देशों की साझेदारी और संबंधों को लाभ मिलेगा. हम आपको और आपके प्रतिनिधिमंडल को रूस में देखकर बहुत खुश हैं.'
पीएम मोदी ने पिछले एक साल से ब्रिक्स का नेतृत्व करने के लिए रूस को बधाई दी. उन्होंने कहा कि पिछले 15 वर्षों में ब्रिक्स ने अपनी छाप छोड़ी है. मैं कल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के उत्सुक हूं. रूस और यूक्रेन संघर्ष के दौरान मैं और राष्ट्रपति पुतिन लगातार संपर्क में रहे हैं. भारत मानता है कि संघर्ष का समाधान शांतिपूर्ण होना चाहिए. हम मानव जाति को ध्यान में रखते हुए शांति और स्थिरता का समर्थन करते हैं. इस संबंध में भारत हर तरह का सहयोग देने को तैयार है.
पुतिन के साथ द्विपक्षीय वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्मजोशी भरे आतिथ्य के लिए रूस का धन्यवाद जताया. उन्होंने कजान शहर के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों का जिक्र किया और बताया कि कजान में भारत नया वाणिज्य दूतावास खोल रहा है. पीएम मोदी ने कहा कि पिछले कुछ महीनों के दौरान मैं दूसरी बार रूस आया हूं. इस साल जुलाई में मॉस्को में मेरी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात हुई थी. दोनों देशों के बीच यह गर्मजोशी गहरे संबंधों को दर्शाता है. भारत और रूस के बीच रिश्ते और प्रगाढ़ हुए हैं.
रूस के कजान शहर में ब्रिक्स समिट का आयोजन 23 और 24 अक्टूबर को होगा. इस समिट से पहले मंगलवार को पीएम मोदी कजान पहुंचे. यहां उनकी रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात हुई. दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय वार्ता में भाग लिया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रूस के कजान शहर में उत्साह के साथ लोगों ने स्वागत किया. यहां रूसी समुदाय के लोगों ने कृष्ण भजन गाया और पीएम मोदी का स्वागत किया.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ब्रिक्स समिट में वैश्विक नेताओं के साथ चर्चा करेंगे. इस यात्रा को भारत की वैश्विक स्थिति के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे पहले पीएम मोदी ने कहा, ब्रिक्स वैश्विक विकास एजेंडे से संबंधित कई प्रमुख मुद्दों पर बातचीत और चर्चा के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में उभरा है. रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार ने कहा, ब्रिक्स के मुख्य मुद्दे आर्थिक सहयोग का और विस्तार, राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार और वैश्विक सुरक्षा समेत अन्य विषय हैं. उन्होंने कहा, भारत ब्रिक्स का संस्थापक सदस्य है और ब्रिक्स के ढांचे के भीतर आर्थिक सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है. ग्लोबल साउथ के कई देशों और अन्य देशों के बीच ब्रिक्स के साथ सहयोग करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में रुचि बढ़ रही है.
विनय कुमार का कहना था कि ब्रिक्स जिस मुख्य मुद्दे पर विचार कर रहा है, वह है आर्थिक सहयोग का और विस्तार, राष्ट्रीय मुद्राओं में व्यापार, सतत विकास, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन की समस्याओं के समाधान के लिए प्रधानमंत्री का LiFE मिशन, समाज के हाशिए पर पड़े वर्गों के लिए डिजिटल समावेशन, वित्तीय समावेशन की दिशा में काम करना और भारत में उपलब्धियों को ब्रिक्स के साथी सदस्यों के साथ साझा करना, महिलाओं के नेतृत्व में विकास, DPI या UPI को कैसे ज्यादा व्यापक रूप से स्वीकार्य बनाया जाए, अनिवार्य रूप से आर्थिक सहयोग को गहरा करना और वैश्विक दक्षिण के बड़े हिस्से के साथ लाभों को साझा करना है.
रूस की सरकारी मीडिया TASS के अनुसार, 16वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन शाम को सभी नेताओं के लिए मैत्रीपूर्ण रात्रिभोज के साथ शुरू होगा. TASS की रिपोर्ट के अनुसार, आज रूसी राष्ट्रपति भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी से बातचीत करेंगे. सभी नेताओं के बीच विभिन्न विषयों पर चर्चा होने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने के लिए रूस के कजान शहर पहुंच गए हैं. वहां कई कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति दी. पीएम मोदी ने इन कलाकारों की हौसलाअफजाई की और बातचीत की. इनमें रूसी नागरिक भी शामिल थे.
कजान समिट में कई देशों को आमंत्रित किया गया है. इसमें सदस्य राष्ट्र भी शामिल हैं.
ब्रिक्स सम्मेलन से ठीक पहले भारत और चीन के बीच एलएसी पर जारी तनातनी को सुलझाने पर बड़ा फैसला हुआ है. देपसांग और डेमचोक में दोनों देश की सेनाएं पुरानी जगह पर लौटने पर राजी हो गई हैं. LAC यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध खत्म करने की चीन ने पुष्टि कर दी है. सोमवार को भारतीय विदेश सचिव ने गतिरोध खत्म होने पर चीन के साथ बनी सहमति की जानकारी दी थी. मंगलवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि कर दी. दोनों देश सैनिकों की पट्रोलिंग को लेकर एक समझौते पर पहुंच गए हैं.
समझौते के तहत भारत-चीन सीमा से दोनों देशों के सैनिक पीछे हटेंगे और साल 2020 में एलएसी पर जो विवाद शुरू हुआ था, उसका समाधान मिल सकेगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ब्रिक्स समिट में रूस जाने से पहले भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने ये बात देश को बताई थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस में तीन संभावित द्विपक्षीय वार्ता के बारे में जानकारी मिल रही है. इसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का नाम भी शामिल है. पीएम मोदी आज सबसे पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे और द्विपक्षीय वार्ता होगी. उसके बाद वो चीन और ईरान के राष्ट्राध्यक्ष से भी मुलाकात कर सकते हैं.
ब्रिक्स में पहले ब्राजील, रूस, भारत, चीन और साउथ अफ्रीका थे. पिछले साल सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), मिस्र, ईरान और इथियोपिया को भी इसका सदस्य बनाया गया है.
G-7 जैसे प्रभावशाली समूह की तुलना में ब्रिक्स का इतिहास बेशक ज्यादा पुराना नहीं हो, लेकिन इस समिट में ऐसे बड़े फैसलों को अमलीजामा पहनाया जा सकता है, जिसके भविष्य में बड़े प्रभाव हो सकते हैं. इनमें से एक है- ब्रिक्स करेंसी. ब्रिक्स देश एक ऐसी रिजर्व करेंसी शुरू करना चाहते हैं, जो डॉलर के प्रभुत्व को टक्कर दे सके. 22 से 24 अक्टूबर तक रूस के कजान शहर में होने वाले ब्रिक्स समिट में सदस्य देश ऐसी गोल्ड बैक ब्रिक्स करेंसी शुरू करने पर चर्चा को आगे बढ़ा सकते हैं.
चीन के साथ अमेरिकी ट्रेड वॉर और चीन एवं रूस पर अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच अगर ब्रिक्स देशों के बीच इस नई करेंसी को लेकर रजामंदी हो जाती है तो अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सिस्टम को चुनौती देने के साथ इससे इन सदस्य देशों की आर्थिक ताकत बढ़ सकती है. मौजूदा समय में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सिस्टम में अमेरिकी डॉलर का प्रभुत्व है. दुनियाभर में लगभग 90 फीसदी कारोबार अमेरिकी डॉलर में होता है. वहीं, अभी तक 100 फीसदी तेल कारोबार भी अमेरिकी डॉलर में ही होता था लेकिन पिछले साल कथित तौर पर गैर अमेरिकी डॉलर में भी थोड़ा बहुत तेल कारोबार होने लगा है.