मोदी बोले- मेरे अंदर का विद्यार्थी जिंदा है, वही हूं जो आप हैं

‘भारत की बात सबके साथ’ कार्यक्रम में पीएम मोदी ने कहा कि उनके अंदर आज भी एक विद्यार्थी जिंदा है. पीएम ने कहा कि मैं मेहनत करता हूं, देश में इस बात में कोई विवाद नहीं है. मेरी पूंजी सवा सौ करोड़ देशवासियों का प्यार है.

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लंदन में भारत की बात सबके साथ कार्यक्रम में पीएम मोदी लंदन में भारत की बात सबके साथ कार्यक्रम में पीएम मोदी

राहुल विश्वकर्मा

  • लंदन,
  • 19 अप्रैल 2018,
  • अपडेटेड 7:52 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन के वेस्टमिंस्टर हॉल में ‘भारत की बात सबके साथ’ कार्यक्रम में कहा कि उनके अंदर आज भी विद्यार्थी जिंदा है. पीएम ने कहा कि मैं मेहनत करता हूं, देश में इस बात में कोई विवाद नहीं है. मेरी पूंजी सवा सौ करोड़ देशवासियों का प्यार है. मैं देशवासियों को कहना चाहूंगा कि मैं आपके जैसा ही सामान्य नागरिक हूं. मुझमें भी कमियां हैं. मुझे अपने जैसा ही मान लें. मेरे भीतर एक विद्यार्थी है और मेरे शिक्षकों ने कभी उसे मरने नहीं दिया.

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पीएम ने कहा कि मैं जब चुनाव लड़ रहा था तो मैंने कहा था कि मेरे पास अनुभव नहीं है, मुझसे गलतियां हो सकती हैं, लेकिन मैं बदइरादे से गलत कभी नहीं करूंगा. मैं गुजरात में लंबे समय तक सीएम रहा, अब मैं प्रधानसेवक हूं, लेकिन गलत इरादे से काम नहीं करूंगा. मेरे भीतर विश्वास है कि देश के भीतर लाखों समस्याएं हैं तो करोड़ों समाधान भी हैं.

कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने पुरानी यादें ताजा करते हुए कहा कि उस समय देश जिस हालत में था, आपको याद होगा. 2001 में मैं पहली बार सीएम बना. मैं कभी पुलिस थाने में नहीं गया था, सरकारी दफ्तर में नहीं गया था. मैंने शपथ नहीं ली थी. लोग मिलने आने लगे थे. लोग कहते थे कि और कुछ करो न करो, बस रात को खाते समय बिजली मिले, इतना कर देना. मैंने 2-3 साल काम किया और गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बना, जहां 24 घंटे बिजली मिलती थी. लोग भूल गए कि अंधेरा कैसा होता है. मेरी आलोचना इसलिए नहीं होती कि आप कुछ नहीं करते, इसलिए होती है कि आप कर सकते हो, पर कुछ नहीं करते हैं.

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उन्होंने कहा कि सरकार में कई लोग होते हैं जिनके बारे में लोग कहते हैं कि इतने ले गया. मैं गर्व से कहता हूं कि मैं ऐसा सीएम था जो बच्चियों की शिक्षा के लिए 100 करोड़ से ज्यादा रुपये देकर आया था. जब लोगों ने मुझे धक्का मारकर दिल्ली भेजना शुरू किया तो मैंने अफसरों को बुलाया. विधायक होने के नाते पैसे मिलते थे, वे भी पड़े हुए थे.

मोदी ने कहा कि मुझे याद नहीं है, शायद 5-6 लाख रुपये थे. मैंने कहा कि गांधीनगर के सचिवालय में ड्राइवर और चपरासी के बच्चों को ब्याज से पैसा मिलता रहे. मेरे अफसर चुपचाप सुनते रहे. अफसर बड़े कुशल होते हैं, मुंडी हिला रहे थे. दो दिन बाद उन्होंने कहा कि वे मेरे घर आना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि आप ऐसा मत कीजिए, क्या पता आपको कब पैसे की जरूरत पड़ जाए. उन्होंने मुझे पैसे देने नहीं दिए, बहुत समझाने पर मान गए. एक फंड बनाया और मैं उसमें पैसे देकर आ गया.

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