बालाकोट इफेक्ट: जैश ने मिलाया अफगान के आतंकी संगठनों से हाथ, FATF का भी डर

सूत्रों के मुताबिक फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने से बचाने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अफगानिस्तान में सीमा पार लगातार अपना ठिकाना बदल रहे हैं. 

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जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर  (फोटो-ANI) जैश-ए-मोहम्मद प्रमुख मौलाना मसूद अजहर (फोटो-ANI)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 08 जुलाई 2019,
  • अपडेटेड 11:48 AM IST

खुफिया जानकारी से पता चला है कि पाकिस्तान में स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) ने हाथ मिला लिया है. बता दें कि 26 फरवरी को भारतीय वायु सेना (आईएएफ) ने बालाकोट पर हवाई हमला कर जैश के ठिकानों को तबाह कर दिया था. जिसके बाद हक्कानी नेटवर्क ने तालिबान जैसे अफगान विद्रोही समूहों के साथ हाथ मिला लिया है. पाकिस्तान FATF की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है. साथ ही बताया जा रहा है कि पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने से बचाने के लिए पाकिस्तान के आतंकी संगठन अफगानिस्तान में सीमा पार लगातार अपना ठिकाना बदल रहे हैं.

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यह संकेत मिल रहा है कि आतंकी समूह कंधार और कुनार सहित कई क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास अफगानिस्तान में अपने बेस को शिफ्ट कर रहे हैं. 14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हमले के बाद जबावी कार्रवाई में  भारतीय वायु सेना ने बालाकोट में जैश के आतंक शिविर पर हमला किया था. जिसके बाद से आतंकी संगठन लगातार अपना ठिकाना बदल रहे हैं.

आतंकी संगठन बदल रहें हैं अपना ठिकाना

सूत्रों से पता चला है कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) द्वारा पाकिस्तान को ब्लैक लिस्ट करने से बचाने के लिए पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन अफगानिस्तान में सीमा पार अपना ठिकाना बदल रहे हैं. गौरतलब है कि पाकिस्तान FATE की ग्रे लिस्ट में बना हुआ है,

फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स वैश्विक आतंकी संगठनों पर निगरानी रखता है. हाल ही में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने इस्लामाबाद को मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण पर अंकुश लगाने के लिए कदम उठाने को कहा है. भारत चाहता था कि पाकिस्तान को काली सूची में डाल दिया जाए. पाकिस्तान अगर काली सूची में शामिल होता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक रूप से असर पड़ेगा.

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लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना करने के बाद, पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादी संगठन अफगानिस्तान में तालिबान के अधिकार वाले इलाकों में सुरक्षित ठिकानों पर छिपे हुए हैं. वे काबुल में भारतीय दूतावास सहित भारतीय राजनयिक प्रतिष्ठानों के लिए भी खतरा बने हुए हैं.

कंधार में भारतीय वाणिज्य दूतावास हाई अलर्ट पर

खुफिया सूत्रों से पता चलता है कि कंधार में भारतीय वाणिज्य दूतावास को तालिबान के हमले के मद्देनजर हाई अलर्ट पर रखा गया है. साथ ही जलालाबाद से अफगान नेशनल सिक्योरिटी फोर्स द्वारा जैश के दो आतंकवादियों की गिरफ्तारी के बारे में भी पता चला है.

यह भी पता चला है कि जेएम प्रमुख मसूद अजहर को इस साल की शुरुआत में हक्कानी नेटवर्क की तरफ से अफगानिस्तान में शरण देने की पेशकश की गई थी. हालांकि, मसूद अजहर बहावलपुर में पाकिस्तानी सेना के संरक्षण में खुद को ज्यादा सुरक्षित महसूस करता है.

पेंटागन की एक रिपोर्ट से पता चला था कि अमेरिका लश्कर को आंतक प्रभावित अफगानिस्तान में वाशिंगटन और उसके सहयोगी बलों के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक मानता है. वहीं आतंकवादी समूह के कम से कम 300 लड़ाके सक्रिय हैं. 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के लिए लश्कर जिम्मेदार था.

अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर को एक वैश्विक आतंकवादी संगठन घोषित किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में 20 प्रमुख आतंकवादी संगठन सक्रिय हैं. अफगानिस्तान में  JeM के बढ़ते आंतक के कारण यह लोगों और सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरा बना हुआ है.

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