पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने देश के चीफ जस्टिस की शक्तियों पर अंकुश लगाने की पुरजोर वकालत की. उन्होंने मंगलवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि अगर संसद ने चीफ जस्टिस की शक्तियों को कम करने के लिए कानून नहीं बनाए तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा.
शरीफ ने सदन को संबोधित करते हुए जस्टिस मंसूर अली शाह और जस्टिस जमाल खान मंडोखैल के फैसले पर विस्तार से बात की. इस दौरान वह चीफ जस्टिस के असीमित अधिकारों, किसी भी मुद्दे पर कार्यवाही करने और मामलों की सुनवाई के लिए अपने मनमाफिक पीठ का गठन करने को लेकर उन पर जमकर बरसे.
शरीफ ने यह बयान ऐसे वक्त पर दिया है, जब एक दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने सर्वोच्च अदालत के चीफ जस्टिस की शक्तियों पर सवाल उठाए थे.
चीफ जस्टिस की शक्तियों को सीमित करने के लिए नए कानूनों की जरूरतों पर बात करते हुए शरीफ ने कहा कि अगर इन कानूनों को पारित नहीं किया गया तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा.
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, इस बीच पाकिस्तान कैबिनेट ने पाकिस्तान के चीफ जस्टिस की शक्तियों को कम करने की मांग वाले कानून के मसौदे को मंजूरी दे दी थी. इस कानून में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के तीन वरिष्ठ जजों की समिति संविधान के अनुच्छेद 184 (3) के तहत सुप्रीम कोर्ट की ओर से स्वत: संज्ञान में लिए जा रहे किसी भी मामले पर फैसला करेगी.
aajtak.in