कराची में नवरात्र पर नजर आ रहा पूरा उत्साह, सियासी उठापटक का असर नहीं

पाकिस्तान में हिन्दुओं की अधिकतर आबादी कराची समेत सिंध में ही बसी है. कराची या सिंध में हिन्दुओं समेत अल्पसंख्यकों की जितनी आबादी है, इतनी पाकिस्तान के किसी और हिस्से में नहीं देखने को मिलती.

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कराची में नवरात्र के जश्न की तस्वीर कराची में नवरात्र के जश्न की तस्वीर

गीता मोहन

  • नई दिल्ली/कराची,
  • 21 अक्टूबर 2020,
  • अपडेटेड 4:17 PM IST
  • पाकिस्तान में भी मनाए जा रहे नवरात्र
  • कराची के मंदिरों में विशेष सुविधा

पाकिस्तान में राजनीतिक सरगर्मियां उफान पर हैं. पाकिस्तान के सिंध प्रांत में बिलावल भुट्टो की पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार है. इसलिए सिंध की राजधानी कराची खास तौर पर सियासी टकराव का केंद्र बना हुआ है. लेकिन इस सब उठापटक से दूर कराची में हिन्दुओं की आस्था के प्रतीक नवरात्र की रौनक देखते ही बन रही है. इस मौके पर जहां कराची के मंदिरों को विशेष तौर पर सजाया गया है. रौशनी, रंग, संगीत और डांडिया के रंग नवरात्र की हर रात को देखने को मिल रहे हैं. ठीक वैसे ही जैसे भारत में, विशेष तौर पर, गुजरात में देखने को मिलते हैं. 

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नारायणपुरा में नवरात्र की खास रौनक  
पाकिस्तान में हिन्दुओं की अधिकतर आबादी कराची समेत सिंध में ही बसी है. कराची या सिंध में हिन्दुओं समेत अल्पसंख्यकों की जितनी आबादी है, इतनी पाकिस्तान के किसी और हिस्से में नहीं देखने को मिलती. कराची का नारायणपुरा ऐसा ही एक इलाका है. यहां हिन्दू, सिख और ईसाई बड़ी संख्या में रहते हैं. इस इलाके में छह मंदिर, एक गुरुद्वारा और एक चर्च हैं. 

नारायणपुरा में अल्पसंख्यकों के धर्मस्थल 
हिन्दू मंदिर  
जोगमाया मंदिर 
हिंगलाज माता मंदिर 
मनोहर मंदिर 
रामदेव गुजराती मंदिर 
श्री जय वीर हनुमान मंदिर  
श्री नवल मंदिर 

सिख गुरुद्वारा   
गुरुद्वारा गुरु ग्रंथ साहिब सिख सभा  

चर्च 
पाक मेथोडिस्ट चर्च   

नारायणपुरा में करीब 10,000 हिन्दू रहते हैं, जिनमें से अधिकतर गुजराती बोलने वाले हैं. यही वजह है कि नारायणपुरा में जगह जगह नवरात्र का अलग ही जोश देखने को मिलता है. नवरात्र में मंदिरों के साथ ही गलियों, सड़कों को भी विशेष तौर पर रंगबिरंगी रौशनियों से सजाया जाता है. 

डांडिया में हिस्सा लेने वाली एक हिन्दू महिला ने बताया, “हम नौ दिन व्रत रखते हैं. हर शाम को यहां आकर पूजा करते हैं. यह बहुत ही सुंदर त्यौहार है और हम इसका पूरा आनंद लेते हैं.”  एक हिन्दू भक्त ने प्रशासन की ओर से सुरक्षा और अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए प्रशासन का आभार जताया.  

हालांकि अल्पसंख्यकों में कोई भी खुले तौर पर धमकियों या असुरक्षा बोध का जिक्र नहीं करता, जिसमें उन्हें पाकिस्तान में रहना पड़ रहा है. हालांकि उन्हें कट्टरपंथी तत्वों से कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन नवरात्र समारोहों में हिस्सा लेने वालों के चेहरे पर कहीं तनाव नजर नहीं आता. उनका कहना है कि मां दुर्गा का त्यौहार है  

और वो ही उनकी रक्षा करेगी. क्या महिलाएं-पुरुष, क्या बच्चे और क्या बुजुर्ग सभी के चेहरों पर डांडिया की थाप पर नाचते हुए अलग ही खुशी देखने को मिलती है.  

सबसे पुराने मंदिरों में से एक जोग माया मंदिर 
नारायणपुरा के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जोग माया मंदिर, जहां नवरात्र में देवी दुर्गा के नौ रूपों की स्तुति के लिए मुख्य आयोजन होता है. एक युवक ने बताया कि नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा की पूजा के बाद उससे अगले दिन दशहरे का त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है. 

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1824 में हुई थी नारायणपुरा की स्थापना 
सिर्फ हिन्दू ही नहीं अन्य समुदायों के लोग भी नवरात्र में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. नारायणपुरा के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इसकी स्थापना 1824 में नारायणदास नाम के कार्यकर्ता ने की थी. 1992 में अयोध्या में बाबरी ढांचा गिराए जाने के बाद इस इलाके में भी हमले हुए थे. उसके बाद से अल्पसंख्यकों (हिन्दुओं, सिखों और ईसाईयों) के खिलाफ भेदभाव की घटनाएं बढ़ गईं.  

लेकिन ये अल्पसंख्यक तमाम दुश्वारियों के बावजूद पाकिस्तान को अपनी मातृभूमि मानते हैं. नवरात्र पूरे होने के बाद दसवें दिन नारायणपुरा के लोग जेटी ब्रिज तक जुलूस निकालते हैं. समुद्र तट पर मूर्ति विसर्जन के लिए जाने से पहले श्रद्धालु ब्रिज के नीचे स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर में माथा टेकते हैं. इस जुलुस में पहले लोग पैदल ही जाते थे. लेकिन पिछले कुछ साल से सुरक्षा कारणों की वजह से इसकी मनाही कर दी गई है. अब लोग पैदल की जगह बसों और कारों में ये दूरी पूरी करते हैं.  

(कराची से अनीस मंसूरी के इनपुट के साथ) 

 

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