PAK डिप्लोमैट ने बताया, क्यों पूरी दुनिया में मजाक बनकर रह गया पाकिस्तान?

संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की ने भले ही कश्मीर का मुद्दा छेड़ा हो लेकिन सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों ने इस मामले में कोई बयान नहीं दिया है. पाकिस्तान इसके बाद से ही काफी निराश है. 

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अब्दुल बासित फोटो क्रेडिट: getty images अब्दुल बासित फोटो क्रेडिट: getty images

aajtak.in

  • नई दिल्ली ,
  • 24 सितंबर 2021,
  • अपडेटेड 7:08 PM IST
  • ईरान, सऊदी अरब ने यूएन महासभा में नहीं उठाया कश्मीर मुद्दा
  • पाक के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने दे डाली पाकिस्तान को सलाह

संयुक्त राष्ट्र महासभा में तुर्की ने भले ही कश्मीर का मुद्दा छेड़ा हो लेकिन सऊदी अरब और ईरान जैसे देशों ने इस मामले में कोई बयान नहीं दिया है. पाकिस्तान इसके बाद से ही काफी निराश है. सऊदी अरब के किंग सलमान बिन अब्दुल अजीज ने ईरान पर जमकर निशाना साधा था. उन्होंने ये भी कहा था कि संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य रहा है कि वो टकरावों का शांतिपूर्ण समाधान, संप्रभुता का सम्मान, अंतरराष्ट्रीय शांति और स्थिरता और दूसरों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करने को सुनिश्चित करे. उन्होंने आगे कहा कि सऊदी अरब अतिवादी विचारधारा से लड़ना जारी रखेगा और जो नफरत और आतंक का सहारा लेकर लोगों और मुल्कों को निशाना बना रहे हैं, उनके साथ भी सऊदी अरब की लड़ाई जारी रहेगी. हालांकि, अपने पूरे बयान में सऊदी अरब ने कश्मीर का कोई जिक्र नहीं करके पाकिस्तान को मायूस कर दिया.

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वहीं, पाकिस्तान के पूर्व राजदूत अब्दुल बासित ने अपने यूट्यूब चैनल पर सऊदी अरब के इस रुख को लेकर राय रखी है. उन्होंने कहा कि सऊदी अरब के साथ पाकिस्तान के रिश्ते काफी अच्छे रहे हैं. इमरान खान के पावर में आने के बाद सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने पाकिस्तान का दौरा किया था, जो काफी शानदार साबित हुआ. उन्होंने कहा, तकरीबन 20 लाख पाकिस्तानी सऊदी अरब में काम करते हैं. पाकिस्तान को आर्थिक तौर पर भी सऊदी अरब मदद करता रहा है. हालांकि, यूएनजीए की वर्चुएल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान सऊदी अरब ने कई मुद्दे उठाए जिनमें सूडान-मिस्त्र पानी विवाद, ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम, लीबिया, फिलीस्तीन और अफगानिस्तान मुद्दे शामिल थे लेकिन कश्मीर का जिक्र नहीं किया गया.

'भारत सऊदी अरब के संबंध शानदार हैं'

अब्दुल बासित ने आगे कहा कि सऊदी अरब ने पिछले साल भी कश्मीर का जिक्र नहीं किया था. इसके बाद पाकिस्तान के पीएम इमरान खान सऊदी अरब का दौरा करने गए थे, ऐसे में उम्मीद थी कि वे सरसरी तौर पर ही कश्मीर के संवेदनशील मुद्दे पर कुछ कहेंगे लेकिन सऊदी अरब ने ऐसा नहीं किया. मैं समझता हूं कि भारत और सऊदी अरब के ताल्लुकात बड़े जबरदस्त हैं लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि सऊदी अरब-भारत के संबंध बहुत अच्छे हो सकते हैं लेकिन इसका ये मतलब बिल्कुल नहीं है कि पाकिस्तान और सऊदी अरब के संबंधों में तनाव पैदा हो.

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'कश्मीर को लेकर हमारी पॉलिसी में निरंतरता नहीं है'

उन्होंने आगे कहा कि पाकिस्तान के सऊदी अरब के साथ जैसे रिश्ते हैं, उन्हें भारत और सऊदी अरब के संबंधों से रिप्लेस नहीं किया जा सकता है. लेकिन क्या किया जाए, हम खुद भी तो इतनी गलतियां करते हैं. कश्मीर को लेकर इतने मुद्दे हैं. हमारी पॉलिसी में कोई निरंतरता नहीं है. कभी हम कहते हैं कि मोदी का दोबारा इलेक्ट होना कश्मीर के लिए अच्छा होगा लेकिन दूसरे ही पल हम उन्हें फासिस्ट बता देते हैं. दुनिया यही देखती है और फिर एक लिहाज से हमारा मजाक उड़ाती है. वो देखती है कि हमारी क्या पॉलिसी है, हमने कश्मीर के लिए किया ही क्या है जो दुनिया हमें सपोर्ट करे. 

पाकिस्तान के पूर्व राजदूत ने कहा, इसी वजह से हम देखते हैं कि दुनिया से हमें खास सपोर्ट नहीं मिलता है. तुर्की के अलावा किसी भी देश ने कश्मीर को लेकर कोई जिक्र नहीं किया. ये हमारे लिए फिक्र की बात है कि अगर हम वाकई चाहते हैं कि कश्मीर की आवाम की चाहतों के हिसाब से कश्मीर का स्थायी समाधान निकले तो हमें इस मुद्दे को लेकर गंभीर होना पड़ेगा क्योंकि अगर सिर्फ बातों से ही आजादी मिल जाती तो क्या बात होती लेकिन ऐसा होता नहीं है. सऊदी अरब ने कश्मीर के मुद्दे पर कोई बात नहीं की, इससे साफ होता है कि सऊदी अरब और भारत के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं और इसके बारे में हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है.

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