आगे कुआं, पीछे खाई! पाकिस्तान को बर्बादी से बचाने का आखिरी रास्ता इतना मुश्किल

पाकिस्तान की माली हालत किसी से छुपी नहीं है. सऊदी अरब और यूएई से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष पाकिस्तान को सहायता राशि देने से इनकार कर दिया है. कर्ज से पहले आईएमएफ ने पाकिस्तान को सभी निर्देशों को पूरा करने के लिए कहा है. शहबाज शरीफ इस असमंजस में हैं कि आईएमएफ की कड़वी गोली को कैसे मीठी की जाए.

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पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (फोटो-रॉयटर्स) पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ (फोटो-रॉयटर्स)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 7:00 AM IST

आर्थिक तंगहाली झेल रहे पाकिस्तान के लिए हर एक दिन संकट भरा गुजर रहा है. पाकिस्तान की माली हालत यह है कि पाकिस्तान के पास एक महीने के आयात के लिए भी पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार नहीं है. सऊदी अरब, यूएई से कर्ज लेने के बाद भी पाकिस्तान के ऊपर डिफॉल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है. पाकिस्तान के पास अब एक अंतिम रास्ता ही बचा है और वह है- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से आर्थिक मदद. लेकिन सऊदी अरब और यूएई की तरह आईएमएफ इतनी आसानी से पाकिस्तान को आर्थिक मदद नहीं देने वाला है. आईएमएफ की जो शर्तें हैं, उन्हें पूरा करना पाकिस्तान की सरकार के लिए बहुत ही मुश्किल है.

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पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से सहायता राशि के लिए कई बार अनुरोध कर चुका है. लेकिन आईएमएफ ने साफ शब्दों में पहले ही पाकिस्तान की सरकार को खर्च कम करने और अपने सरकारी खजाने को बढ़ाने की हर संभव कोशिश करने की नसीहत दे चुका है. आईएमएफ ने पाकिस्तान को हाल के दिनों में दिए गए सभी निर्देशों को पूरा करने के लिए कहा है. 

आईएमएफ की शर्तें मानने से पाकिस्तान में पहले से ही चरम सीमा पार कर चुकी महंगाई और टैक्स का बोझ बढ़ेगा. जिससे शहबाज शरीफ सरकार को जनता की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है. शहबाज शरीफ इस असमंजस में हैं कि आईएमएफ की कड़वी गोली को कैसे मीठा किया जाए.

वहीं, पाकिस्तान सरकार के कुछ लोगों का कहना है कि विश्व बैंक और आईएमएफ दोनों को पाकिस्तान की कमजोर आर्थिक स्थिति का फायदा नहीं उठाना चाहिए.

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बुरी तरह फंसी है पाकिस्तान की सरकार

पाकिस्तान के लिए जरूरी आईएमएफ के निर्देशों को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने एक 'मिनी बजट' तैयार किया है. इस मिनी बजट के माध्यम से सरकार ने 200 अरब रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा गया है. 

अंग्रेजी अखबार 'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' के अनुसार, शहबाज शरीफ ने 'मिनी बजट' के अंतिम अनुमोदन पर रोक लगा दी है. इस मिनी बजट में ऊर्जा की कीमतों में वृद्धि के अलावा आईएमएफ की कई कड़वी गोलियों को थोड़ा मीठा करने का निर्देश दिया गया था.

शहबाज शरीफ ने बुधवार को लाहौर से एक वर्चुअल बैठक की अध्यक्षता की. इस हाई प्रोफाइल बैठक में शहबाज शरीफ ने अधिकारियों को आईएमएफ के निर्देशों को लागू करने के लिए ऐसे तरीके खोजने का निर्देश दिया है जिससे राजनीतिक प्रभाव के साथ-साथ आम लोगों पर भी कम बोझ पड़े.

इससे पहले आईएमएफ और विश्व बैंक के साथ बैठक बेनतीजा रही थी. आईएमएफ और विश्व बैंक दोनों पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए हैं. दोनों वैश्विक संस्थाओं से एक राउंड और बातचीत होनी है. इसलिए पाकिस्तान अगले राउंड के बातचीत तक आईएमएफ के निर्देशों पर खरा उतरने की कोशिश कर रहा है. 

सूत्रों के अनुसार, बैठक में शामिल अधिकांश कैबिनेट सदस्य और प्रमुख नौकरशाह ने कहा कि एकमात्र विकल्प आईएमएफ के अलावा हमें और कुछ उपाय करने होंगे. 

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हालांकि, कई प्रतिनिधियों ने टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी, गैस और बिजली शुल्क में वृद्धि पर असहमति जताई है. सूत्रों के अनुसार, इस बैठक में इस बात पर सहमति बनी कि पाकिस्तानी रुपये को ओपन मार्केट दर के करीब पहुंचना होगा.

असमंजस में शहबाज शरीफ

शहबाज शरीफ इसलिए चिंतित हैं क्योंकि यह मिनी बजट लोगों पर अतिरिक्त बोझ डालेगा, जिससे उनकी राजनीतिक पूंजी और कम होगी. हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सरकार जल्द ही इस पर निर्णय ले सकती है क्योंकि एकमात्र विकल्प यही है.

बैठक में शामिल एक अन्य प्रतिभागी ने कहा कि मौजूदा आर्थिक संकट सिर्फ इस सरकार का नहीं है. हम सबको मिलकर इससे निपटना होगा.

वर्तमान में पाकिस्तान के सेंट्रल बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 4.4 अरब डॉलर रह गया है. पाकिस्तान के शीर्ष अधिकारिक सूत्रों ने द एक्सप्रेस ट्रिब्यून को बताया है कि पाकिस्तान दिसंबर में भी आईएमएफ के निर्देशों का उल्लंघन कर रहा था. क्योंकि पाकिस्तान विदेशी मुद्रा की अदला-बदली के लिए निर्धारित 4 अरब डॉलर की सीमा का उल्लंघन कर रहा था. 

पाकिस्तान के एक शीर्ष अधिकारी ने इस बात को स्वीकार किया है कि निर्धारित 4 अरब डॉलर तक करेंसी स्वैप करने के मुकाबले पाकिस्तान 5.2 अरब से 5.5 अरब डॉलर के बीच स्वैप कर रहा था. अधिकारी ने कहा कि सीमित विदेशी मुद्रा भंडार के साथ पाकिस्तान के लिए आईएमएफ से आर्थिक मदद लेना आसान नहीं होगा. 

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पाकिस्तान का क्या होगा

पाकिस्तान के शीर्ष आधिकारिक सूत्रों ने कहा है कि अगर समस्या का समाधान नहीं होता है तो इससे बैंक डिफॉल्ट हो सकते हैं. यानी कि बैंकों के पास निजी जमाकर्ताओं को भुगतान करने के लिए पर्याप्त डॉलर नहीं होंगे.

पाकिस्तान वित्त मंत्रालय के एक सूत्र ने खुलासा किया है कि विदेश से मिले लोन खत्म हो चुके हैं. क्योंकि चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही के दौरान पाकिस्तान 300 अरब रुपये कर्ज में था. 

मिनी बजट क्यों जरूरी

पाकिस्तान ने आईएमएफ से वादा किया है कि चालू वित्त वर्ष के दौरान सार्वजनिक कर्ज (circular debt) में कोई वृद्धि नहीं होगी. यानी कि पाकिस्तान जनता को किसी भी प्रकार की सब्सिडी और रियायतें नहीं दी जाएंगी. हालांकि, वित्तीय वर्ष के शुरुआती चार महीने में पहले से ही पाकिस्तान पर 500 अरब डॉलर का सार्वजनिक कर्ज है. 

सूत्रों के अनुसार, फरवरी से मिनी बजट लागू किया जा सकता है. एक आकलन के मुताबिक, अगर मिनी बजट को फरवरी से लागू किया जाता है तो पाकिस्तान 270 अरब रुपये जुटा सकता है. मिनी बजट के बाद जीएसटी को बढ़ाकर 17 प्रतिशत किया जा सकता है. 

पाकिस्तान में महंगाई और बढ़ने के आसार

सूत्रों ने कहा कि बैठक में इस बात को लेकर स्पष्ट राय बनी है कि इस महीने से गैस की कीमतें बढ़ानी होंगी. हालांकि ऑयल एंड गैस रेगुलेटरी अथॉरिटी (Ogra) की जुलाई 2022 से औसत 74% वृद्धि की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया जाएगा.

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सूत्रों के मुताबिक,  मीटिंग के दौरान इस पर भी विचार किया गया कि आईएमएफ से इस शर्त में कुछ छूट देने का अनुरोध किया जाएगा. अगर आईएमएफ किसी भी छूट की अनुमति नहीं देगा तो जनवरी महीने से लगभग 7.50 रुपये प्रति यूनिट टैरिफ बढ़ाया जाएगा. इसके अलावा पेट्रोलियम उत्पादों पर भी सेल्स टैक्स बढ़ाने पर चर्चा की गई है. 

 

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