पाकिस्तान को तालिबान लगने लगा जिद्दी, बातचीत की टेबल पर क्यों झुंझला उठा?

अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच एक बार फिर से तनाव बढ़ सकता है. पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार दोनों देशों के बीच बातचीत विफल होने के कगार पर पहुंच गया है. पाकिस्तान ने इसके लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया है. वहीं वार्ता के दौरान अफगानिस्तान ने पाकिस्तान का दांव इस्लामाबाद पर ही चल दिया है.

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पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच कई दिनों से जमीनी मार्ग के जरिये व्यापार बंद है. तस्वीर तोरखाम बॉर्डर की है. (Photo: AP) पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच कई दिनों से जमीनी मार्ग के जरिये व्यापार बंद है. तस्वीर तोरखाम बॉर्डर की है. (Photo: AP)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 27 अक्टूबर 2025,
  • अपडेटेड 9:14 AM IST

पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच 15 घंटे से ज्यादा शांति वार्ता पर माथापच्ची चल रही है, लेकिन इस वार्ता का कोई कंक्रीट नतीजा सामने नहीं आ रहा है. लिहाजा दोनों मुल्कों के बीच शांति स्थापित करने की कोशिशें सिफर साबित हो सकती हैं. दरअसल तुर्की की राजधानी इस्तांबुल में हो रही इस शांति वार्ता में अफगान तालिबान ने होशियारी का परिचय दिया है और पाकिस्तान जिस 'आतंकवाद' का रोना रो रहा था उसे अफगानिस्तान तालिबान ने पाक अफसरों के सिर पर ही मढ़ दिया. 

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अफगानिस्तान ने कहा है कि पाकिस्तान को अपनी जमीन का इस्तेमाल अफगानिस्तान के खिलाफ नहीं होने देना चाहिए. पहले पाकिस्तान यही आरोप अफगानिस्तान पर लगाता रहता था.

टोलो न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान ने पाकिस्तान के सामने दो तगड़ी शर्तें रखीं. 

1. अफगानिस्तान ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा अफगानिस्तान के हवाई क्षेत्र और लैंड बॉर्डर का किसी भी हाल में उल्लंघन नहीं किया जाएगा. 

गौरतलब है कि हाल ही में पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के कई शहरों में एयर स्ट्राइक किए थे. इसमें राजधानी काबुल पर भी पाकिस्तान ने बम गिराए थे. 

2. पाकिस्तान अफगानिस्तान के दुश्मनों को अफगानिस्तान के खिलाफ अपने क्षेत्र का उपयोग करने की अनुमति किसी भी हालत में न दे. 

गौरतलब है कि अफगानिस्तान में आतंकी हमले की घटनाएं आम हैं. 

अफगानिस्तान की ये शर्तें पाकिस्तान के लिए झटके की तरह है. अब पाकिस्तान तालिबान को जिद्दी ठहरा रहा है और अपनी झुंझलाहट छिपाने के लिए अफगानिस्तान के सबूतों को जमीनी हकीकत से अलग बताया है.

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जिओ न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में अफगान तालिबान पर ठीकरा फोड़ा है. जिओ न्यूज ने लिखा है कि पाकिस्तान-अफगानिस्तान शांति वार्ता विफल हो सकती है, क्योंकि दोनों पक्ष प्रमुख मुद्दों पर सहमत नहीं हो पा रहे हैं. जिओ न्यूज ने पाकिस्तानी सरकार के सूत्रों से कहा है कि तालिबान के तर्क "अतार्किक और जमीनी हकीकत से अलग" हैं. पाकिस्तान के अनुसार तालिबान के अफसर जिद्दी रुख अपना रहे हैं.

जिओ न्यूज ने कहा कि पाकिस्तान ने सीमा पार आतंकवाद पर बातचीत में अफगान तालिबान के सामने "स्पष्ट, सबूत आधारित और समाधान पेश करने वाली" मांगें रखी हैं. 

पाकिस्तान ने दावा किया है कि उसकी इन मांगों पर तालिबान ने सकारात्मक रुख नहीं दिखाया है. और तालिबान के इस रुख ने उसकी ईमानदारी पर संदेह पैदा कर दिया है. पाकिस्तान ने अफगान तालिबान के रुख को 'जिद' भरा बताया है.

पाकिस्तान का दावा है कि वार्ता के दौरान अफगान-तालिबान ने जमीनी हकीकतों को स्वीकार नहीं कर रहा है. 

वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने धमकी भरी भाषा का इस्तेमाल करते हुए चेतावनी दी कि अगर शांति वार्ता विफल रही तो अफगान तालिबान शासन के साथ "पूरी तरह से युद्ध" छिड़ जाएगा. 

पाकिस्तान का प्रोपगैंडा

पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार शांति वार्ता के दौरान पाकिस्तान ने एक बार फिर से कथित 'आतंकवाद' का मुद्दा जोर-शोर से मुद्दा उठाया. 

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पाकिस्तान ने अफगान पक्ष के समक्ष अपनी अंतिम स्थिति प्रस्तुत की और स्पष्ट किया कि पाकिस्तान को निशाना बनाने वाले आतंकवादियों को किसी भी प्रकार की सहिष्णुता या पनाह देना स्वीकार्य नहीं होगा. 

बातचीत के दौरान इस्लामाबाद ने तालिबान शासन से अफगान की धरती से संचालित कथित आतंकवादी नेटवर्कों को ध्वस्त करने के लिए ठोस और निर्णायक कदम उठाने की मांग की. 

पाकिस्तान ने कहा है कि बातचीत के दौरान तालिबान के तर्क "अतार्किक और जमीनी हकीकत से अलग" थे, जिससे वास्तविक क्षेत्रीय स्थिरता के लिए काम करने की उनकी इच्छा पर संदेह और गहरा हो गया. 

लेकिन पाकिस्तान के इन आरोपों को अफगान तालिबान ने गलत बताया है. टोलो न्यूज ने राजनीतिक मामलों के विश्लेषक असद अटल ने कहा, "पाकिस्तान के दावे और मांगें निराधार हैं. अफगानिस्तान किसी के लिए खतरा नहीं है और दुनिया के किसी भी देश के प्रति उसकी कोई बुरी मंशा नहीं है."

बता दें कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच ये वार्ता को दूसरा चरण है. दोनों देशों के बीच हाल की लड़ाइयों के बाद कतर की राजधानी दोहा (18-19 अक्टूबर 2025) में मुलाकात हुई. यहां कतर और तुर्की की मध्यस्थता में दोनों देशों के बीच वार्ता हुई. इसके बाद दोनों के बीच युद्धविराम पर सहमति बनी. 
 

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