OIC Summit 2022: उदार इस्लाम का मतलब बाकी कट्टर, मुस्लिम देशों पर भड़के इमरान खान

OIC Summit 2022: ओआईसी के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा है कि इस्लामोफोबिया 9/11 हमले के बाद और बढ़ा है जिसे रोकने के लिए मुस्लिम देशों ने कोई स्टैंड नहीं लिया. उन्होंने कहा है कि इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है.

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इमरान खान ने ओआईसी के सत्र को संबोधित करते हुए इस्लामोफोबिया का जिक्र किया है (Photo- Reuters) इमरान खान ने ओआईसी के सत्र को संबोधित करते हुए इस्लामोफोबिया का जिक्र किया है (Photo- Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 22 मार्च 2022,
  • अपडेटेड 5:33 PM IST
  • इमरान खान ने OIC के उद्घाटन सत्र को किया संबोधित
  • इस्लामोफोबिया का किया जिक्र
  • मुस्लिम देशों पर लगाया ये आरोप

पाकिस्तान में इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation Of Islamic Cooperation) के 48वें सत्र की दो दिवसीय बैठक आज से शुरू हो गई है. ओआईसी के सत्र का उद्घाटन करते हुए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने कथित रूप से बढ़ते इस्लामोफोबिया और आतंकवाद की बात की है. उन्होंने सदस्य देशों से सवाल किया कि इस्लाम की तुलना आतंकवाद से क्यों की गई? साथ ही उन्होंने नाराजगी जताते हुए कहा कि मुस्लिम देशों ने इस्लाम की छवि को बचाने के लिए कुछ नहीं किया.

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इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस से की इमरान खान ने अपने भाषण की शुरुआत

इमरान खान ने अपने भाषण की शुरुआत इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस से की. उन्होंने कहा, 'मैं ओआईसी के सदस्यों को विशेष रूप से धन्यवाद देना चाहता हूं क्योंकि संयुक्त राष्ट्र में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव पास किया गया है. 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय
दिवस के रूप में घोषित किया गया है.'

सदस्य देशों को संबोधित करते हुए इमरान खान ने कहा कि ये देखकर खुशी होती है कि इस्लामोफोबिया को स्वीकार किया जा रहा है और इससे निपटने के लिए बहुत काम किया जाना बाकी है.

इमरान खान ने न्यूजीलैंड के क्राइस्टचर्च घटना का उल्लेख करते हुए कहा, '15 मार्च को ही एक बंदूकधारी न्यूजीलैंड की एक मस्जिद में घुस गया और उसने 50 लोगों को मार गिराया. उसने मस्जिद में लोगों को क्यों मारा? क्योंकि उसे लगा कि सभी मुस्लिम आतंकवादी हैं. ये इस्लामोफोबिया कहां से आया और किसने इसे बढ़ने दिया? ये सब 9/11 की घटना के बाद हुआ और इसे रोकने की कोशिश नहीं की गई.'

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इमरान खान ने आगे सवाल किया, 'इस्लाम की तुलना आतंकवाद से क्यों की गई? मुझे माफ कीजिएगा लेकिन ये इसलिए हुआ क्योंकि मुस्लिम देशों ने इस गलत धारणा को तोड़ने के लिए कुछ नहीं किया. किसी भी धर्म को किसी तरह के आतंकवाद से कैसे जोड़ा जा सकता है?'

खान ने आगे कहा, 'जब एक बार इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ दिया जाता है तो किसी पश्चिमी देश का कोई व्यक्ति कट्टर इस्लाम और उदार इस्लाम में फर्क कैसे करेगा? वो कैसे फर्क करेगा? इसलिए वो आदमी मस्जिद में घुसा और जितने लोगों को मार सकता था मार दिया.'

उदार इस्लाम शब्द पर इमरान खान ने जताई आपत्ति

इमरान खान ने कहा कि इस्लाम और आतंकवाद की धारणा को तोड़ने के बजाए कुछ मुस्लिम राष्ट्राध्यक्षों ने ये कहना शुरू किया कि वो उदार मुसलमान हैं. वो आगे बोले, 'जब आप ये कहते हैं कि आप उदार मुसलमान हैं तो आप बिना कहे ही कह जाते हैं कि इस्लाम में कुछ चरमपंथ भी हैं.'

इमरान खान ने प्रबुद्ध उदार इस्लाम शब्द के इस्तेमाल पर आपत्ति जताते हुए कहा, 'प्रबुद्ध उदार इस्लाम एक ऐसा टर्म है जो उन लोगों को खुश करने के लिए इस्तेमाल किया गया है जो इस्लाम को आतंकवाद से जोड़ते हैं. इसका परिणाम ये हुआ कि ऐसी धारणा बन गई है कि इस्लाम के कई रूप हैं- कट्टर इस्लाम है, उदार इस्लाम है...लेकिन इस्लाम तो बस एक है....पैगंबर मोहम्मद का इस्लाम.'

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इमरान खान ने कहा कि सभी समुदायों में कट्टरपंथी पाए जाते हैं लेकिन इस्लाम को ही अलग-अलग टर्म देकर उसे अलग-थलग कर दिया गया.

उन्होंने कहा कि इस्लाम को बदनाम किया गया फिर भी मुस्लिम देशों ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया नहीं दी. इमरान खान ने इस्लामोफोबिया से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किए जाने को लेकर कहा कि उन्हें उम्मीद है कि लोगों में मुसलमानों की मान्यताओं को लेकर नैरेटिव में बदलाव होगा.

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