किम पर सवार भगवान बनने की सनक, तानाशाह की सांसों का गुलाम हुआ सूरज!

उत्तर कोरियाई मीडिया का कहना है कि मौसम का मिजाज उसके कमांडर किम जोंग उन की मुट्ठी में है. किम जोंग उन से कुदरत घबराती है. तानाशाह को देखकर बर्फबारी पर ब्रेक लग जाता है. उसकी सांसों का सूरज गुलाम हो गया है.

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साभार: रॉयटर्स (KCNA की ओर से जारी) साभार: रॉयटर्स (KCNA की ओर से जारी)

राम कृष्ण

  • प्योंगयांग,
  • 10 दिसंबर 2017,
  • अपडेटेड 7:35 AM IST

क्या कोई इंसान कुदरत को कंट्रोल कर सकता है? शायद आपका जवाब होगा नहीं, लेकिन उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन की प्रोपेगैंडा टीम इसका दावा कर रही है.

इस टीम का कहना है कि मौसम का मिजाज उसके कमांडर किम जोंग उन की मुट्ठी में है. किम जोंग उन से कुदरत घबराती है. तानाशाह को देखकर बर्फबारी पर ब्रेक लग जाता है, उसकी सांसों का सूरज गुलाम हो गया है.

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बेशक आपको ये दावे सुनकर हँसी आ रही हो, लेकिन तानाशाह किम जोंग उन को भगवान बनाने की कवायद में जुटा उत्तर कोरियाई मीडिया अब ऐसी ही बातें कर रहा है.

तानाशाह को देखते थम जाती है बर्फबारी?

उत्तर कोरिया को किम उन जोंग ने परमाणु देश क्या घोषित किया, उसकी ताकतें इंसानी हदों को पार कर गईं. अब कुदरत भी उस तानाशाह की गुलामी में सलामी ठोंकने लगी है. उसे देखते ही बर्फबारी थम जाती है और बर्फीली आंधियों पर ब्रेक लग जाता है. ऐसा हम नहीं कह रहे. ये दावा कर रहा है किम की गुलामी करने वाली उत्तर कोरियाई मीडिया.

उत्तर कोरिया की मीडिया ने कहा- कुदरत ने किम को देखकर खुशी जाहिर की

उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया KCNR ने लिखा कि मौसम का मिजाज अचानक बदल गया. पहाड़ों ने किम उन जोंग का दिल से स्वागत किया और कुदरत को कंट्रोल करने वाले कमांडर को देखकर खुशी जाहिर की. हाल ही में अमेरिका तक पहुंचने वाली न्यूक्लियर मिसाइलों के कामयाब परीक्षण के बाद उत्तर कोरिया का तानाशाह गदगद है.

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छाती चौड़ी कर दुनिया पर हँसा तानाशाह

वह अपनी खुशी जाहिर करने के लिए उत्तर कोरिया के उस सबसे ऊंचे पहाड़ पर पहुंचा, जिसे बेहद पवित्र माना जाता है. माउंट पेक्तू की चोटी पर पहुंचकर किम थोड़ा इतराया और मुस्कराया. उसने छाती चौड़ी की और दुनिया पर ठहाके लगाकर हँसा. तानाशाह किम शायद यह संदेश देने की कोशिश कर रहा था कि दुनिया उसे बेवकूफ और सनकी समझने की भूल ना करे.

माउंट पेक्तू पर तैनात है उत्तर कोरिया की फौज

पेक्तू चोटी पर तानाशाह की मुस्कराहट चीख-चीख कर ये कह रही थीं कि उसकी फौजी नीतियां और उसकी फौज में दुनिया को नेस्तनाबूद करने की ताकत है. ऐसा नहीं है कि किम माउंट पेक्तू पर पहली बार पहुंचा. वो अक्सर यहां जाता है. दरअसल, पेक्तू को किम राजवंश के पहले तानाशाह की जन्मस्थली माना जाता है. लिहाजा जब भी उत्तर कोरियाई तानाशाह अपनी ताकत का प्रदर्शन करता है और फिर पेक्तू का शुक्रिया अदा करने पहुंचता है. उत्तर कोरियाई सरकार ने माउंट पेक्तू पर बकायदा फौज की तैनाती कर रखी है.

सैनियों का हौसला अफजाई करने पहुंचा है किम

माउंट पेक्तू पर किम जोंग उन के दादा किम इल सुंग की मूर्ति भी मौजूद है. जब भी किंम यहां आता है, तो यहां तैनात सैनिकों का हौसला अफजाई करता है. साथ ही किम इल सुंग को श्रद्धांजलि देता है. किम माउंट पेक्तू पर जब भी आया, तो यहां तैनात फौजियों ने जश्न मनाया. वर्दी की चुनौतियों से जूझते गुलाम फौजी अपने सारे गमों को भूलकर उसे देखते ही तालियां बजाने लगते हैं, लेकिन इस बार तो हद हो गई. उत्तर कोरियाई मीडिया ने कुदरत के जश्न मनाने का भी दावा कर डाला.

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बर्फ से ढका रहता है माउंट पेक्तू

माउंट पेक्तू की ऊंचाई करीब 9,022 फीट है और दिसबंर के महीने में ये पहाड़ बर्फ से ढका रहता है, लेकिन उत्तर कोरिया की सरकारी मीडिया की माने तो किम के यहां पहुंचते ही बर्फबारी थम गई और धूप निकल आई. मौसम का मिजाज तो बदलता ही रहता है. मुमकिन है कि किम को मौसम वैज्ञानिकों ने उसी दिन माउंट पेक्तू पर जाने की सलाह दी हो, जिस दिन धूप निकलने का अनुमान रहा हो, लेकिन किम की प्रोपगैंडा टीम ने इसे उसकी ताकत से जोड़ दिया.

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