सिंगापुर के सेंटोसा में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग-उन के बीच हुई समिट को ऐतिहासिक माना जा रहा है. साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि अब उत्तर कोरिया अपने परमाणु हथियारों और परीक्षण स्थलों को नष्ट कर देगा. हालांकि उत्तर कोरिया पर इतनी जल्दी यकीन करना उचित नहीं लगता है.
इसकी वजह यह है कि उत्तर कोरिया पहले भी अपने परमाणु कार्यक्रम को बंद करने को लेकर समझौता कर चुका है और फिर तोड़ चुका है. साल 1994 में उत्तर कोरिया और अमेरिका के बीच परमाणु समझौता हुआ था. इस सिलसिले में अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति कार्टर ने उत्तर कोरिया का दौरा भी किया था.
इस समझौते के तहत उत्तर कोरिया परमाणु कार्यक्रम बंद करने पर राजी हुआ था. हालांकि उत्तर कोरिया इस समझौते का पालन नहीं और चोरी छिपे अपने परमाणु कार्यक्रम को विकसित करता रहा. जब इसकी जानकारी अमेरिका को हुई, तो समझौता टूट गया.
साल 1998 में उत्तर कोरिया ने अपनी पहली लंबी रेंज की मिसाइल का परीक्षण किया. साल 1999 में किम जोंग इल का मिसाइल परीक्षण बंद करने का ऐलान किया, जिसके बाद अमेरिका ने उस पर लगे प्रतिबंधों में ढील दी. हालांकि इस बार भी उत्तर कोरिया अपने वादे से मुकर गया और फिर उसने मिसाइल व परमाणु परीक्षण किए.
उत्तर कोरिया ने पहले भी जो परमाणु समझौते किए थे, वो आर्थिक प्रतिबंधों के चलते किए थे. हालांकि वो समझौते की शर्तों को कभी पूरा नहीं किया. साथ ही गुपचुप तरीके से अपनी परमाणु क्षमता को बढ़ाता गया और एक समय ऐसा आया कि वह अमेरिका को ही परमाणु हमले की धमकी देने लगा.
राम कृष्ण