मोलनुपीरवीरः ऐसी दवा जो 24 घंटे में कोरोना के प्रसार को रोकने में सक्षम, रिसर्चर्स का दावा

मोलनुपीरवीर एक प्रयोगात्मक एंटीवायरल दवा है जो ओरल रूप से सक्रिय है और मूल रूप से इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए खोजी गई थी. इस दवा की खोज जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉक्टर रिचर्ड प्लेम्पर के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने की थी.

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कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए भी दवा पर खोज जारी (सांकेतिक तस्वीर-पीटीआई) कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए भी दवा पर खोज जारी (सांकेतिक तस्वीर-पीटीआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 10 दिसंबर 2020,
  • अपडेटेड 12:43 AM IST
  • क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण में दवा
  • जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कर रहे रिसर्च
  • कोरोना के खिलाफ दवा के गेमचेंजर होने का दावा

कोरोना संकट के बीच कई वैक्सीन की खोज का काम चल रहा है, इस बीच कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भी दवा को लेकर रिसर्च जारी है. अमेरिका में एक ऐसी दवा जो अपने एडवांस क्लीनिकल ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण में है और इसके बारे में ऐसा दावा किया जा रहा है कि यह महज 24 घंटे के भीतर SARS-CoV-2 के प्रसार को रोक सकती है.

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COVID-19 के खिलाफ वैक्सीन की खोज के लिए जारी रिसर्च के बीच, शोधकर्ताओं ने एक नई एंटी वायरल ओरल दवा की खोज की है जो 24 घंटे के भीतर SARS-CoV-2 के प्रसार को रोक सकती है. जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी के इंस्टीट्यूट फॉर बायोमेडिकल साइंसेज के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक रिसर्च में पाया गया है कि एंटी वायरल ड्रग मोलनुपीरवीर (MK-4482/EIDD-2801) कोरोना वायरस के खिलाफ जारी जंग में गेमचेंजर हो सकती है. फिलहाल यह दवा COVID-19 संक्रमण के खिलाफ एडवांस दूसरे और तीसरे चरण में क्लीनिकल ट्रायल के दौर में है.

मोलनुपीरवीर एक प्रयोगात्मक एंटीवायरल दवा है जो ओरल रूप से सक्रिय है और मूल रूप से इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए खोजी गई थी. इस दवा की खोज जॉर्जिया स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर डॉक्टर रिचर्ड प्लेम्पर के नेतृत्व में रिसर्च टीम ने की थी. दवा बनाने वाली कंपनी मर्क (Merck) के सहयोग से अमेरिका स्थित बायोटेक्नोलॉजी फर्म रिजबैक बायोथेरेप्यूटिक्स द्वारा यह दवा विकसित की जा रही है.

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एमके-4482/ईआईडीडी-2801 को गेम-चेंजिंग करार देते हुए डॉक्टर रिचर्ड प्लेम्पर कहते हैं कि SARS-CoV-2 ट्रांसमिशन को तेजी से ब्लॉक करने के लिए ओरल रूप से उपलब्ध दवा का यह पहला प्रदर्शन है.

नेचर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में, प्लेम्पर की टीम ने COVID-19 के खिलाफ मोलनुपीरवीर को फिर से तैयार किया और कोरोना वायरस के प्रसार पर दवा के प्रभाव का परीक्षण करने के लिए फार्रेट मॉडल का उपयोग किया.

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प्लेम्पर ग्रुप के सहयोगी और अध्ययन के सह प्रमुख लेखक डॉक्टर रॉबर्ट कॉक्स ने कहा, 'हम मानते हैं कि फार्रेट एक प्रासंगिक ट्रांसमिशन मॉडल है क्योंकि वे आसानी से SARS-CoV-2 का प्रसार करते हैं, लेकिन ज्यादातर गंभीर बीमारी का विकास नहीं करते हैं, जो युवा वयस्कों में फैलने वाले SARS-CoV-2 के समान है.

चूंकि इस दवा को मुंह के जरिए लिया जा सकता है, इसलिए संभावित रूप से इससे तीन गुना अधिक लाभ हो सकता है जैसे कि रोगियों की गंभीर बीमारी को रोकना, संक्रामक चरण को छोटा करना और स्थानीय प्रकोपों ​​को तोड़ना इसमें शामिल है.

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