नेपाल की राजधानी काठमांडू स्थित नारायणहिटी पैलेस के आसपास शुक्रवार को प्रदर्शन और सार्वजनिक सभाओं पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह कदम राजशाही को वापस बहाल करने के लिए चल रहे विरोध-प्रदर्शनों के बीच लिया गया है. यह प्रतिबंध शनिवार से शुरू होकर 8 जुलाई तक प्रभावी रहेगा.
मुख्य जिला अधिकारी ऋशिराम तिवारी द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि प्रतिबंध केशरमहाल चौक से लेकर नारायणहिटी पैलेस म्यूजियम के दक्षिणी द्वार तक लागू रहेगा. इस क्षेत्र में जया नेपाल मोड़ और महेन्द्र प्रतिमा होते हुए म्यूजियम के दक्षिणी द्वार तक का मार्ग भी शामिल है. इन इलाकों में सभी तरह के विरोध प्रदर्शन, धरनों, रैलियों और सभाओं पर कानूनी पाबंदी रहेगी.
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इससे पहले इसी तरह के प्रतिबंध राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति निवास और संसद भवन सहित भद्रकाली और सिंह दरबार के आसपास भी लगाए गए थे. यह प्रतिबंध राजधानी में राजशाही समर्थकों द्वारा चलाए जा रहे विरोध प्रदर्शन के मद्देनजर लगाया गया है.
राजशाही सिस्टम को दोबारा बहाल करने, हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग
राजशाही समर्थक समूहों में प्रमुख है राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (Rastriya Prajatantra Party - RPP) शामिल है, जो नेपाल की पांचवीं सबसे बड़ी पार्टी है. ये समूह 2008 में समाप्त हुई राजशाही सिस्टम को दोबारा बहाल करने और नेपाल को हिंदू राष्ट्र बनाने की मांग कर रहे हैं.
नारायणहिटी पैलेस म्यूजियम के पास करने वाले थे प्रदर्शन
इस सप्ताह से प्रदर्शनकारियों ने नारायणहिटी पैलेस म्यूजियम के नजदीक प्रदर्शन करने का ऐलान किया था. पिछले कुछ दिनों में बाबरमहल और नया बानेश्वर क्षेत्र समेत कई इलाकों में विरोध प्रदर्शन के कारण ट्रैफिक प्रभावित हुआ. प्रदर्शनकारी पूर्व राजा ज्ञानेन्द्र की तस्वीरें लेकर प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे हैं. हालांकि, प्रदर्शन अब तक शांतिपूर्ण रहे हैं.
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2008 में नेपाल में खत्म की गई राजशाही
नेपाल की राजनीतिक पार्टियों ने 2008 में 240 वर्षों पुरानी राजशाही को समाप्त कर देश को एक धर्मनिरपेक्ष, संघीय और लोकतांत्रिक गणराज्य की रूपरेखा में बदला था. पिछले महीनों में राजशाही समर्थक कई बार काठमांडू और अन्य हिस्सों में प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन सरकार ने इसे नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए हैं.
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