Mossad कैसे चुनता है एजेंट्स, किसके इशारे पर होते हैं ऑपरेशन, कहां से आता है बेहिसाब पैसा... ये सीक्रेट्स नहीं जानते होंगे आप

मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है. यह इजरायल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है. मोसाद इजरायल इंटेलिजेंस नेटर्वक के तहत काम करती है. इस नेटवर्क में मोसाद के अलावा अमान (सैन्य इंटेलिजेंस) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी हैं.

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सांकतिक तस्वीर (मेटा एआई) सांकतिक तस्वीर (मेटा एआई)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 20 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

लेबनान में जब पेजर, वॉकी-टॉकी, सोलर पैनल, रेडियो और लैपटॉप में धमाके हुए. तो इसके लिए इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को जिम्मेदार ठहराया गया. हालांकि, इजरायल ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन इससे मोसाद एक बार फिर चर्चा में आ गया है. ऐसे में जान लेना जरूरी हो जाता है कि आखिर मोसाद काम कैसे करता है और अपने एजेंट्स को किस प्रक्रिया के तहत चुनता है.

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मोसाद का पूरा नाम इंस्टीट्यूट फॉर इंटेलिजेंस एंड स्पेशल ऑपरेशंस है. यह इजरायल की राष्ट्रीय खुफिया एजेंसी है. मोसाद इजरायल इंटेलिजेंस नेटर्वक के तहत काम करती है. इस नेटवर्क में मोसाद के अलावा अमान (सैन्य इंटेलिजेंस) और शिन बेट (आंतरिक सुरक्षा) भी हैं.

मोसाद का गठन इजरायल के पहले प्रधानमंत्री डेविड बेन गुरियोन के आदेश पर 13 दिसंबर 1949 में हुआ था. दरअसल पीएम डेविड एक ऐसे संगठन को तैयार करना चाहते थे, जो सेना के साथ मिलकर देश की सुरक्षा के लिए खुफिया तौर पर काम करता रहे. 

मोसाद खुफिया जानकारियों को इकट्ठा कर अपने ऑपरेशंस को अंजाम देता है. इसके अधिकतर ऑपरेशंस देशहित में होते हैं. आतंकवाद से निपटने के लिए भी मोसाद इस तरह के खुफिया ऑपरेशन में जुटा रहता है. मोसाद के निदेशक सीधे प्रधानमंत्री को ही रिपोर्ट करते हैं.

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मोसाद में कैसे होती हैं एजेंट्स की भर्तियां?

मोसाद में एजेंट्स की भर्तियों को समझने के लिए Katsa, Kidon और Sayanim इन तीन शब्दों को समझ लेना जरूरी है. मोसाद के फील्ड इंटेलिजेंस ऑफिसर को Katsa कहा जाता है. Katsa ही फील्ड एजेंट्स की भर्तियां करता है. Katsa दरअसल एक हिब्रू शब्द है, जिसका मतलब होता है खुफिया अधिकारी. इस पद पर बैठा शख्स मोसाद के एजेंट्स को लीड करता है और एजेंट्स के जरिए इकट्ठा की गई जानकारियों को मोसाद निदेशक को सौंपता है. 

मोसाद  के प्रोफेशनल किलर्स को Kidon कहा जाता है. इनका काम ऑपरेशन के दौरान जरूरत पड़ने पर कत्ल करना होता है. इसके लिए एजेंट्स को दो साल की ट्रेनिंग दी जाती है. 

Sayanim उन लोगों को कहा जाता है कि जो इजरायल के लिए समर्पण की भावना के साथ मोसाद के लिए काम कते हैं. इसके लिए इन लोगों को किसी तरह का मेहनताना नहीं दिया जाता. आसान भाषा में इन्हें खबरी कहा जा सकता है. ये लोग मोसाद के फील्ड एजेंट्स को रिपोर्ट करते हैं. गॉर्डन थॉमस की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन में इस समय लगभग 4000 Sayanim हैं. मोसाद का पूरा कामकाज इजरायल के प्रधानमंत्री के इशारे पर ही होता है. मोसाद का डायरेक्टर सिर्फ प्रधानमंत्री के प्रति ही जवाबदेह होता है. वह सीधे पीएम को रिपोर्ट करता है. 

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कितना है मोसाद का बजट?

मोसाद ने जून 2017 में नई साइबर टेक्नोलॉजीज को विकसित करने के लिए एक वेंचर कैपिटल फंड तैयार किया था. इसके जरिए मोसाद ने बड़े पैमाने पर हाईटेक स्टार्टअप्स में निवेश किया. 

एक अनुमान के मुताबिक, मोसाद का सालाना बजट 2.73 अरब डॉलर है. भारतीय करेंसी के हिसाब से यह 22810 करोड़ रुपये है, जिसे कैबिनेट से मंजूरी मिलती है. अनुमान के ही मुताबिक मोसाद के तहत लगभग 7000 लोग काम करते हैं, जिस वजह से यह दुनिया की सबसे बड़ी जासूसी एजेंसियों में से एक है.

28 सालों तक मोसाद के लिए अंडरकवर एजेंट के तौर पर काम कर चुके एवनर अव्राहम ने मोसाद के बारे में बताते हुए कहा कि इन हमलों से इजरायल को फायदा हुआ है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि इस हमले के पीछे मोसाद का हाथ है. 

उन्होंने कहा कि लेबनान ऑपरेशन अपने आप में काफी हाई-टेक और आउट ऑफ द बॉक्स था. हमले की इस तरह की तरकीब सिर्फ CIA, MI6 और मोसाद ही कर सकती है. इसके लिए आपके पास सरकार का पूरा सपोर्ट, बहुत खुफिया कनेक्शन, पैसे और विशेषज्ञता की जरूरत होती है.

उन्होंने मोसाद की दो बड़ी ताकतों के बारे में पूछने पर बताया कि मोसाद और मोसाद के एजेंट्स की जिदंगी अनिश्चितता से भरी होती है. अन्य किसी खुफिया एजेंसी की तुलना में मोसाद अधिक अनुशासित है. 

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उन्होंने बताया कि दुनियाभर के लोग मोसाद के लिए काम करते है. ये लोग अलग-अलग जगहों पर पले-बढ़े होते हैं. ये दिखने में अलग-अलग होते हैं, ये अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं. मेरे परिवार का ताल्लुक इराक से है. मैं अरबी भाषा बोल सकता हूं और इराकी-अरबी की तरह दिखता हूं. इसलिए मैंने लेबनान में मोसाद के अंडरकवर के तौर पर काम किया. एक अन्य कारण ये है कि हमें हमारे ही देश में रहने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. 

उन्होंने कहा कि शीतयुद्ध के समय KGB, CIA और ब्रिटेन की एजेंसियों की तरह मोसाद ने भी प्रतिष्ठा हासिल की है. हमारे लक्ष्यों को पूरा करने और किसी ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हम बेहद सीक्रेटिव तरीके से काम करते हैं लेकिन हमें सुरक्षा का भी पूरा ध्यान रखना होता है.

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